जम्मू-कश्मीर में हिज्बुल मुजाहिदीन के दो बेटों समेत जिन 11 लोगों को सरकारी नौकरियों से निकाला गया है, उनमें से कई को बिना जांच के बर्खास्त कर देने का आरोप लग रहा है. इनमें से एक आतंकवाद से पीड़ित महिला स्कूल टीचर रजिया सुल्ताना भी शामिल है, जो इस फैसले से हैरान है. रजिया को जिस कानून के तहत बर्खास्त किया गया है, उसमें किसी भी सरकारी कर्मी को बिना जांच या सफाई का मौका दिए बिना हटाने का प्रावधान है. रजिया सुल्ताना का कहना है कि वो उनकी बर्खास्तगी की वजह जानना चाहती हैं
रजिया सुल्ताना (Razia Sultana)को 20 साल पहले सरकारी शिक्षक की नौकरी अनुकंपा के आधार पर दी गई थी, जब उनके पिता की आतंकवादियों ने हत्या कर दी थी. रजिया को जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने सुरक्षा कारणों का हवाला देते हुए हटा दिया है. अनंतगाज जिले के खीरम मिडिल स्कूल में हेड टीचर रजिया को जब बर्खास्तगी का आदेश पत्र मिला तो वो हैरत में पड़ गईं. उन्हें हटाए जाने की कोई भी वजह इसमें नहीं बताई गई.
उनका कहना है कि ये सारे आरोप काल्पकिन और सच्चाई से परे हैं. वो कभी किसी गैरकानूनी गतिविधियों में शामिल नहीं रहीं. लिहाजा राज्य सरकार से उन्होंने उन वजहों को बताने का अनुरोध किया है, जिन्हें आधार बनाकर उन्हें हटाया गया है. उनके पिता मोहम्मद सुल्तान भट जमात ए इस्लामी के सदस्य थे, जिनकी 1996 में अपहरण के बाद हत्या कर दी गई थी. भट ने 1987 का चुनाव मुस्लिम यूनाइटेड फ्रंट के बैनर तले लड़ा था.
रजिया सुल्ताना को पुलिस और सुरक्षा की समीक्षा के बाद ही अनुकंपा के आधार पर नौकरी दी गई थी. लेकिन शुक्रवार को लेफ्टिनेंट गवर्नर के आदेश के बाद अनुच्छेद 311 के प्रावधानों के तहत उन्हें तत्काल प्रभाव से हटा दिया गया. सुल्ताना उन 11 सरकारी कर्मचारियों में हैं, जिन्हें हटाया गया है. इसमें हिज्बुल सरगना सैय्यद सलाउद्दीन के दो बेटे भी शामिल हैं. सलाउद्दीन भारत के मोस्टवांटेड आतंकियों में से एक हैं औऱ पिछले 30 साल से पाकिस्तान में रह रहा है.
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