पीएम मोदी के अमेरिकी दौरे में हुए कई करारों से भारत को क्या कुछ हुआ हासिल

रिसर्च के क्षेत्र में भारत अमेरिका के 35 साझा कार्यक्रम होंगे. ISRO-NASA का साझा स्पेश मिशन करने की भी योजना है.

नई दिल्ली:

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) अमेरिका से वापस आ गए हैं. इस दौरे में पीएम मोदी ने कई करार किए हैं. अब सवाल यह है कि जो करार वहां पर हुए हैं वो कितने कारगर है? इन्हें भविष्य की तकनीक साझेदारी बताया जा रहा है. सेमीकंडक्टर पर हुए करार को गेमचेंजर बताया जा रहा है. ये सभी इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों में प्रयोग होते हैं और जिस पर एक तरह से चीन का वर्चस्व रहा है.

माइक्रोन गुजरात में चिप का एक प्लांट लगाने जा रहा है. जिसमें 10 बरसों में साठ हजार नौजवानों को चिप इंजिनियरिंग में ट्रेनिंग दी जाएगी.  इस प्लांट को लगाने के लिए माइक्रॉन टेक्नोलॉजी 825 मिलियन डॉलर निवेश करेगी. इसके अलावा भी कई करार हुए हैं. 

भारत अमेरिका के बीच दूरसंचार पर 2 साझा टास्क फोर्स का गठन किया गया है. AI और क्वांटम तकनीक में 20 लाख डॉलर के अनुदान को लेकर भी समझौते हुए हैं. रिसर्च के क्षेत्र में भारत अमेरिका के 35 साझा कार्यक्रम होंगे. ISRO-NASA का साझा स्पेश मिशन करने की भी योजना है.अमेरिका और भारत के बीच आर्टेमिस समझौते हुए हैं. इस समझौते के तहत दोनों भारत की स्पेस एजेंसी इसरो और अमेरिका की स्पेस एजेंसी नासा 2024 में ज्वॉइंट एस्ट्रोनॉट मिशन करेंगे.

 भारत अमेरिका से गीगार्डियन ड्रोन भी खरीदेगा. इसके साथ ही GE एयरोस्पेस ने भारतीय वायुसेना  के हल्के लड़ाकू विमानों (LCA) 'Mk2 तेजस' के लिए संयुक्त रूप से लड़ाकू जेट इंजनों का उत्पादन करने के लिए हिन्दुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) के साथ एक समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर किए हैं.

इस समझौते में भारत में GE एयरोस्पेस के F414 इंजनों का संभावित संयुक्त उत्पादन शामिल है, और GE एयरोस्पेस इसके लिए आवश्यक निर्यात अधिकार हासिल करने के लिए अमेरिकी सरकार के साथ काम कर रही है. समझौता LCA-Mk2 कार्यक्रम के हिस्से के रूप में भारतीय वायुसेना के लिए 99 इंजन बनाने की GE एयरोस्पेस की पिछली प्रतिबद्धता को आगे बढ़ाएगा.

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