मणिपुर की इनर लाइन परमिट प्रणाली को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और मणिपुर सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है. याचिका में मणिपुर इनर लाइन परमिट दिशानिर्देश 2019 को रद्द करने की मांग की गई है. याचिका में कहा गया है कि यह राज्य को गैर-निवासियों या जो मणिपुर के स्थायी निवासी नहीं हैं, के प्रवेश और निकास को प्रतिबंधित करने के लिए बेलगाम शक्ति देता है. जस्टिस एस अब्दुल नजीर और जस्टिस कृष्ण मुरारी की बेंच ने नोटिस जारी किया है. गौरतलब है कि संगठन अमरा बंगाली ने यह याचिका दायर की है. इस याचिका में कहा गया है कि मणिपुर राज्य में ILP प्रणाली का प्रभाव यह है कि कोई भी व्यक्ति जो उक्त राज्य का निवासी नहीं है, को राज्य में प्रवेश करने या व्यवसाय में संलग्न होने की अनुमति एक विशेष परमिट यानी इनर लाइन परमिट के बिना लागू नहीं है. यह कठोर व्यवस्था मूल रूप से इनर लाइन से परे के क्षेत्रों में सामाजिक एकीकरण, विकास और तकनीकी उन्नति की नीतियों की विरोधी है.
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याचिका में कहा गया है कि यह राज्य के भीतर पर्यटन को भी बाधित करेगा जो इन क्षेत्रों के लिए राजस्व का एक प्रमुख स्रोत है. मणिपुर राज्य में इनर लाइन परमिट (संशोधन) आदेश, 2019 के माध्यम से राष्ट्रपति द्वारा 2019 के आदेश के माध्यम से लागू किया गया था, जो एक 140 साल पुराने औपनिवेशिक कानून- बंगाल ईस्टर्न फ्रंटियर रेगुलेशन 1873,का विस्तार है, जिसे ब्रिटिश द्वारा असम में नए स्थापित चाय बागानों पर अपना एकाधिकार बनाने के साथ-साथ पहाड़ी क्षेत्रों में अपने व्यावसायिक हितों को भारतीयों से बचाने के लिए इसे लागू किया गया था.
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