विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की ओर चेतावनी जारी किए जाने के बाद कफ सिरप (Cough Syrup) बनाने वाली भारतीय दवा कंपनी मेडेन फार्मास्युटिकल्स लिमिटेड (Maiden Pharmaceuticals Limited) सवालों के घेरे में है. इस बीच स्वास्थ्य मंत्रालय (Health Ministry) की ओर से बनाई गई कमेटी ने मेडेन फार्मा को लेकर जांच पूरी कर ली है. सूत्रों के मुताबिक, कफ सिरप के मैन्युफैक्चरिंग यूनिट में रखे गए चारों कंट्रोल्ड सैंपल जांच में पास हुए हैं. जांच से जुड़े अधिकारियों को कुछ भी ऐसा नहीं मिला है, जो गलत हो.
फार्मोकोलॉजी के प्रमुख डॉक्टर यूके गुप्ता के नेतृत्व में कमेटी ने मेडेन फार्मा से जुड़े मामलों की जांच की. अभी सरकार को रिपोर्ट दिया जाना बाकी है. जब तक रिपोर्ट नहीं आती, कंपनी का प्रोडक्शन बंद रहेगा.
रिपोर्ट के हिसाब से गाम्बिया सरकार को देंगे जवाब
सूत्रों के मुताबिक, जांच अधिकारियों ने बताया कि गाम्बिया सरकार की अपनी फाइंडिंग्स हो सकती हैं. लेकिन हमारे यहां कोई गड़बड़ी नहीं मिली. अगर गाम्बिया सरकार से कोई सवाल या कम्युनिकेशन आता है, तो हम अपनी रिपोर्ट के हिसाब से जवाब देंगे.
मैन्यूफैक्चरिंग यूनिट का हुआ था निरीक्षण
बता दें कि गाम्बिया में 66 बच्चों की मौत के बाद फार्मा कंपनी मेडेन फार्मास्युटिकल्स और इसके कप सिरप सवालों के घेरे में हैं. कफ सिरप को लेकर विवाद बढ़ने के बाद 1, 3, 6 और 11 अक्टूबर 2022 को मैन्यूफैक्चरिंग यूनिट का स्थानीय निरीक्षण किया गया. उसी बैच की दवाओं के सैंपल चंडीगढ़ लैब को भेजे गए.
WHO ने कप सिरप पर उठाए थे सवाल
इस मसले पर प्रतिक्रिया देते हुए विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने भी भारतीय कंपनियों की सिरप पर सवाल उठाए थे. WHO ने कहा कि मेडेन फार्मास्यूटिकल्स की प्रोमेथाजिन ओरल सॉल्यूशन, कोफेक्समालिन बेबी कफ सिरप, मैकॉफ बेबी कफ सिरप और मैग्रीप एन कोल्ड सिरप खराब क्वालिटी वाली हैं.
गुर्दों की हालत खराब होने से हुई थी बच्चों की मौत
गाम्बिया में 66 बच्चों की मौत गुर्दों की हालत बेहद खराब हो जाने की वजह से हुई है. बहुत मुमकिन है कि इन सिरप के इस्तेमाल के चलते ही बच्चों की मौत हुई हो. ये प्रोडक्ट अभी सिर्फ गाम्बिया में पाए गए हैं. WHO ने मेडिकल प्रोडक्ट अलर्ट जारी किया था. यह न केवल गाम्बिया जैसे देशों, बल्कि भारत के लिए भी बेहद गंभीर है.
गाम्बिया मेडिसिन कंट्रोल एजेंसी ने जारी किया था बयान
इसके बाद गाम्बिया मेडिसिन कंट्रोल एजेंसी के प्रतिनिधि टीजन जैलो ने पिछले साल 31 अक्टूबर को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, 'अभी पुष्टि नहीं हुई है कि भारतीय खांसी की दवाई से बच्चों की किड़नी खराब हुई थी. हम बच्चों की मौत की सही वजह पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं.'
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