प्रतीकात्मक चित्र
मुंबई:
सुप्रीम कोर्ट से स्पष्ट आदेश पा चुकी महाराष्ट्र सरकार ने डांस बार को लाइसेंस देने के मामले में अपनी भूमिका साफ कर दी है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि महाराष्ट्र सरकार को गुरुवार तक 8 डांस बारों को लाइसेंस देने होंगे। महाराष्ट्र सरकार के गृह राज्यमंत्री राम शिंदे ने सरकारी भूमिका साफ करते हुए कहा कि लाइसेंस उन्हें ही मिलेंगे, जो कानून का पालन करेंगे। उनका कहना है कि सरकार सर्वोच्च न्यायालय के आदेश का सन्मान करती है। इसी के तहत वह उन लोगों को लाइसेंस देगी, जो इस मामले में जारी राज्य सरकार के कानून का पालन करेंगे। जो ऐसा नहीं करेंगे, उन पर कार्रवाई होगी।
इससे पहले मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट कर दिया की वह महाराष्ट्र में डांस बार शुरू हुए देखना चाहती है और वह भी सिर्फ दो दिनों के भीतर। सुनवाई के दौरान अदालत ने कहा कि कोर्ट महिलाओं को जीवनयापन करने का मौका देना चाहता है और सरकार उनके जीवनयापन के अधिकार को छीनना चाहती है। ऐसे में सरकार को संवैधानिक जिम्मेदारी का पालन करना चाहिए।
इसी के साथ सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि जिन बार कर्मचारियों के खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज हैं, उन्हें काम पर नहीं रखा जाएगा। इस का भरोसा बार मालिक लिखित में देंगे। डांस बार मामले की अगली सुनवाई शुक्रवार को होगी। उस समय तक महाराष्ट्र सरकार को कोर्ट के आदेश का पालन कर रिपोर्ट दाखिल करनी है।
बता दें कि जहां सुप्रीम कोर्ट ने साफ कहा है कि डांस बार शुरू हो, वहीं महाराष्ट्र की सभी राजनीतिक पार्टिंयां इसके खिलाफ एकजुट हैं। यही वजह है कि सरकार कानून के सहारे डांस बार की रोकथाम पर लगी है। उसे यह मसला राज्य की कानून-व्यवस्था में अड़चन पैदा करनेवाला लग रहा है। राज्य की बीजेपी सरकार ने इसी के चलते सर्वदलीय समिति से मंजूर मसौदे के तहत डांस बार चलाने के लिए नियम और शर्त रखी है। राज्य विधिमंडल ने इस मसौदे को कानून के रूप में मंजूर कर अंतिम मंजूरी के लिए राष्ट्रपति के पास भेज दिया है।
इससे पहले चार डांस बार मालिकों को मिले लाइसेंस यह कह कर रद्द कर दिए गए कि उन्होंने कानून का उल्लंघन किया है। जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने आपत्ति जताते हुए कहा कि सरकारी कानून व्यवस्था डांस बार को चलाने के लिए पोषक नहीं है।
इससे पहले मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट कर दिया की वह महाराष्ट्र में डांस बार शुरू हुए देखना चाहती है और वह भी सिर्फ दो दिनों के भीतर। सुनवाई के दौरान अदालत ने कहा कि कोर्ट महिलाओं को जीवनयापन करने का मौका देना चाहता है और सरकार उनके जीवनयापन के अधिकार को छीनना चाहती है। ऐसे में सरकार को संवैधानिक जिम्मेदारी का पालन करना चाहिए।
इसी के साथ सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि जिन बार कर्मचारियों के खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज हैं, उन्हें काम पर नहीं रखा जाएगा। इस का भरोसा बार मालिक लिखित में देंगे। डांस बार मामले की अगली सुनवाई शुक्रवार को होगी। उस समय तक महाराष्ट्र सरकार को कोर्ट के आदेश का पालन कर रिपोर्ट दाखिल करनी है।
बता दें कि जहां सुप्रीम कोर्ट ने साफ कहा है कि डांस बार शुरू हो, वहीं महाराष्ट्र की सभी राजनीतिक पार्टिंयां इसके खिलाफ एकजुट हैं। यही वजह है कि सरकार कानून के सहारे डांस बार की रोकथाम पर लगी है। उसे यह मसला राज्य की कानून-व्यवस्था में अड़चन पैदा करनेवाला लग रहा है। राज्य की बीजेपी सरकार ने इसी के चलते सर्वदलीय समिति से मंजूर मसौदे के तहत डांस बार चलाने के लिए नियम और शर्त रखी है। राज्य विधिमंडल ने इस मसौदे को कानून के रूप में मंजूर कर अंतिम मंजूरी के लिए राष्ट्रपति के पास भेज दिया है।
इससे पहले चार डांस बार मालिकों को मिले लाइसेंस यह कह कर रद्द कर दिए गए कि उन्होंने कानून का उल्लंघन किया है। जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने आपत्ति जताते हुए कहा कि सरकारी कानून व्यवस्था डांस बार को चलाने के लिए पोषक नहीं है।
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं