
महाराष्ट्र (Maharashtra) की अंधेरी ईस्ट सीट पर 3 नवंबर को उपचुनाव होना है. इसमें उम्मीदवार को लेकर शिवसेना के दोनों धड़े आमने-सामने हैं. इस बीच उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackeray) ने चुनाव आयोग (ECI) को एक पत्र (Letter) लिखकर आरोप लगाया है कि चुनाव चिह्न दिए जाने में उनके साथ भेदभाव किया गया है. इसके साथ ही ठाकरे ने शिवसेना की बैठकम में बीजेपी पर निशाना भी साधा. उन्होंने कहा कि हर काम के लिए हमें कोर्ट में जाना पड़ता है. वार करने वाले... हिम्मत है तो मैदान में आओ... मैं तो यही हूं. एक मंच पर आओ और हो जाने दो.'
छगन भुजबल के अमृत महोत्सव में ठाकरे ने ये बातें कही. राज्य के पूर्व उपमुख्यमंत्री और अखिल भारतीय महात्मा फुले समता परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष छगन भुजबल 15 अक्टूबर 2022 को अपना 75वां जन्मदिन मना रहे हैं. इस अवसर पर छगन भुजबल गौरव समिति की ओर से राष्ट्रवादी कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष सांसद शरद पवार की अध्यक्षता में 13 अक्टूबर 2022 को दोपहर 1.30 बजे मुंबई के षणमुखानंद सभागार में ‘अमृत महोत्सव' समारोह का आयोजन किया गया. इसमें उद्धव ठाकरे के अलावा शरद पवार और फारुख अब्दुला भी मौजूद रहे.
उद्धव ठाकरे ने कहा, 'नियति के मन क्या होता है किसी को पता नहीं है. लेकिन, उसके मन में शायद यही था कि अब मर्दों के हाथ में मशाल देने का वक्त आ गया है.' ठाकरे ने कहा, 'ढाई साल पहले एक नया समीकरण तैयार हुआ. ढाई साल सफलतापूर्वक चला. उसे देखकर विरोधी के पेट में दर्द होना स्वाभाविक था. इसमें हम कुछ नहीं कर सकते हैं.' उन्होंने साफ लहजे में कहा, 'मुझे सब चाहिए, लेकिन कोई प्रतियोगी नहीं चाहिए.'
ठाकरे ने की शरद पवार की तारीख
महाविकास अघाड़ी के सहयोगियों कांग्रेस और एनसीपी की तारीफ करते हुए उद्धव ठाकरे ने कहा, 'संकट के कई बादल आए. लेकिन यहां शरद पवार जैसे लोग कई बादल निर्माण करने वाले हैं. हर संकट में हम साथ रहने वाले हैं.
कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक भारत को एक रखना है- फारुख
वहीं, फारुख अब्दुला ने कहा- 'हम सब आपके साथ हैं. कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक देश को एक रखना है. हम सब में भिन्नता है, लेकिन हम इकट्ठा होकर ही भारत बना सकते हैं. क्योंकि मजहब नहीं सिखाता आपस में बैर रखना. हिंदी हैं हम वतन है हिंदोस्ता हमारा'.
फारुख अब्दुला ने कहा कि धर्म भले अलग हैं, लेकिन वो हमें जोड़ता है. क्या भगवान राम सिर्फ हिंदुओं के हैं? वो तो अंग्रेजों, रूसियों के भी भगवान हैं. लेकिन सबको अलग किया जा रहा है. हम मस्जिद में जाकर नमाज पढ़ते हैं किसके सामने? वही ना जो हम सबका है. मैं मुलमान हूं, लेकिन एक भारतीय मुसमलान हूं.'
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