प्रतीकात्मक फोटो
मुंबई:
महाराष्ट्र विधानमंडल के मानसून सत्र के आखिरी दिन तमाम दलों ने एक राय से विधायकों की सैलरी में 166 प्रतिशत तक की बढ़ोतरी को एकमत से मंजूरी दी. अब महाराष्ट्र में विधायकों को एक लाख 70 हजार रुपये प्रतिमाह वेतन मिलेगा.
अब तक मिलते थे 75 हजार रुपये प्रति माह
महाराष्ट्र में लोकप्रतिनिधि और सरकारी बाबुओं की तनख्वाह में समानता लाने के लिए बीजेपी सरकार ने वेतन बढ़ोतरी का प्रस्ताव रखा था. इसके तहत अब विधिमंडल सदस्यों में पद के अनुसार वेतन का फर्क होगा. मुख्यमंत्री और कैबिनेट मंत्रियों को प्रतिमाह दो लाख रुपये मिलेंगे. जबकि राज्य मंत्रियों को एक लाख 80 हजार और साधारण विधायक को एक लाख 70 हजार रुपये प्रतिमाह वेतन मिलेगा. इससे पहले सभी को हर महीने न्यूनतम 75 हजार रुपये मिलते थे.
पीए की तनख्वाह भी बढ़ी, टेलीफोन ऑपरेटर मंजूर
मौजूदा स्थिति में महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री से लेकर साधारण विधायक की तनख्वाह राज्य के मुख्य सचिव की तनख्वाह की आधे से भी कम थी. शुक्रवार को मंजूर वेतन बढ़ोतरी से जनप्रतिनिधि और सरकारी बाबुओं की तनख्वाह में बना अंतर कम होगा. वैसे विधायकों की सैलरी बढ़ाते हुए सरकार ने उनके पीए की तनख्वाह भी हर महीने 15 हजार से 25 हजार रुपये बढ़ा दी है और साथ में 10 हजार रुपये के वेतन पर टेलीफोन ऑपरेटर रखने को भी मंजूरी दे दी है.
पूर्व विधायकों को 40 हजार की जगह 50 हजार रुपये पेंशन
इस बीच, पूर्व विधायकों के पेंशन में बढ़ोतरी करना भी महाराष्ट्र सरकार भूली नहीं है. इस पेंशन को 40 हजार रुपये से 50 हजार रुपये प्रतिमाह किया गया है. साथ ही हर टर्म के लिए अतिरिक्त 10 हजार रुपये प्रतिमाह मिलेंगे. इसी के साथ महाराष्ट्र देश का विधायकों को सर्वाधिक पेंशन देने वाला राज्य बन गया है.
वर्ष 2012 में की गई थी वेतन वृद्धि
इससे पहले विधायकों की सैलरी और पेंशन 2012 में बढ़ाई गई थी. तब इसके खिलाफ पत्रकार एसएम देशमुख ने हाई कोर्ट में याचिका दायर कर इसे रोकने की मांग की थी. हाई कोर्ट ने इस मामले में दखल देने से इनकार कर दिया था.
वैसे शुक्रवार को हुई महाराष्ट्र के विधायकों की वेतन बढ़ोतरी दिल्ली में विधानसभा सदस्यों के बढ़ाए वेतन के मुकाबले कम ही है। दिल्ली में विधायकों को प्रतिमाह 3 लाख रुपये बतौर स्टाइपेंड और एलाउंस दिए जा रहे हैं.
अब तक मिलते थे 75 हजार रुपये प्रति माह
महाराष्ट्र में लोकप्रतिनिधि और सरकारी बाबुओं की तनख्वाह में समानता लाने के लिए बीजेपी सरकार ने वेतन बढ़ोतरी का प्रस्ताव रखा था. इसके तहत अब विधिमंडल सदस्यों में पद के अनुसार वेतन का फर्क होगा. मुख्यमंत्री और कैबिनेट मंत्रियों को प्रतिमाह दो लाख रुपये मिलेंगे. जबकि राज्य मंत्रियों को एक लाख 80 हजार और साधारण विधायक को एक लाख 70 हजार रुपये प्रतिमाह वेतन मिलेगा. इससे पहले सभी को हर महीने न्यूनतम 75 हजार रुपये मिलते थे.
पीए की तनख्वाह भी बढ़ी, टेलीफोन ऑपरेटर मंजूर
मौजूदा स्थिति में महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री से लेकर साधारण विधायक की तनख्वाह राज्य के मुख्य सचिव की तनख्वाह की आधे से भी कम थी. शुक्रवार को मंजूर वेतन बढ़ोतरी से जनप्रतिनिधि और सरकारी बाबुओं की तनख्वाह में बना अंतर कम होगा. वैसे विधायकों की सैलरी बढ़ाते हुए सरकार ने उनके पीए की तनख्वाह भी हर महीने 15 हजार से 25 हजार रुपये बढ़ा दी है और साथ में 10 हजार रुपये के वेतन पर टेलीफोन ऑपरेटर रखने को भी मंजूरी दे दी है.
पूर्व विधायकों को 40 हजार की जगह 50 हजार रुपये पेंशन
इस बीच, पूर्व विधायकों के पेंशन में बढ़ोतरी करना भी महाराष्ट्र सरकार भूली नहीं है. इस पेंशन को 40 हजार रुपये से 50 हजार रुपये प्रतिमाह किया गया है. साथ ही हर टर्म के लिए अतिरिक्त 10 हजार रुपये प्रतिमाह मिलेंगे. इसी के साथ महाराष्ट्र देश का विधायकों को सर्वाधिक पेंशन देने वाला राज्य बन गया है.
वर्ष 2012 में की गई थी वेतन वृद्धि
इससे पहले विधायकों की सैलरी और पेंशन 2012 में बढ़ाई गई थी. तब इसके खिलाफ पत्रकार एसएम देशमुख ने हाई कोर्ट में याचिका दायर कर इसे रोकने की मांग की थी. हाई कोर्ट ने इस मामले में दखल देने से इनकार कर दिया था.
वैसे शुक्रवार को हुई महाराष्ट्र के विधायकों की वेतन बढ़ोतरी दिल्ली में विधानसभा सदस्यों के बढ़ाए वेतन के मुकाबले कम ही है। दिल्ली में विधायकों को प्रतिमाह 3 लाख रुपये बतौर स्टाइपेंड और एलाउंस दिए जा रहे हैं.
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