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महाराष्ट्र: राजनीति पर हावी इतिहास, इतिहासकार बनते राजनेता

Jitendra Dixit
  • देश,
  • Updated:
    मार्च 13, 2025 19:14 pm IST
    • Published On मार्च 13, 2025 19:14 pm IST
    • Last Updated On मार्च 13, 2025 19:14 pm IST
महाराष्ट्र: राजनीति पर हावी इतिहास, इतिहासकार बनते राजनेता

रंग और राजनीति का पुराना नाता है. राजनेताओं को रंग खेलते या रंग बदलते अक्सर देखा गया है. महाराष्ट्र विधानसभा के बजट सत्र में इस वक्त होली ब्रेक चल रहा है, और तमाम विधायक अपने-अपने गृह क्षेत्र में होली मनाने चले गए हैं. इस ब्रेक से पहले, यानी बीते डेढ़ हफ्ते तक, जो विधानसभा की कार्रवाई चली, उसमें राजनीति और इतिहास का बड़ा घालमेल देखने को मिला. राजनेता इतिहासकारों की तरह बोलते नजर आए, और सदन में ऐतिहासिक शख्सियतों के नाम गूंजते रहे. राजनीति में इतिहास की इस मिलावट का नतीजा यह हुआ कि जिन गंभीर मुद्दों पर सदन में चर्चा की उम्मीद थी, वे हवा हो गए.

अबू आजमी के एक बयान पर बखेड़ा

सत्र की शुरुआत में ही समाजवादी पार्टी के महाराष्ट्र प्रमुख और विधायक अबू आजमी के एक बयान पर बखेड़ा खड़ा हो गया. आजमी ने एक समाचार एजेंसी से बात करते हुए मुगल बादशाह औरंगजेब की तारीफ करते हुए कहा कि वह एक अच्छा प्रशासक था और हिंदू-मुस्लिम में भेदभाव नहीं करता था. उनके इस बयान पर विधान सभा में हंगामा हुआ और उन्हें निलंबित करने की मांग उठी. ऐसी मांग करने वालों में न केवल सत्ताधारी पक्ष के सदस्य शामिल थे, बल्कि विपक्षी गठबंधन महाविकास आघाड़ी के एक घटक दल, शिव सेना (उबाठा), ने भी उनका विरोध किया. आजमी को पूरे सत्र के लिए निलंबित कर दिया गया, और उनके खिलाफ दो एफआईआर भी दर्ज की गईं, एक मुंबई में और दूसरी ठाणे में.

नितेश राणे के बयान की चर्चा

बुधवार को विधानसभा को एक बार फिर वर्तमान को भूलकर इतिहास की ओर लौटना पड़ा. इस बार महायुति सरकार में बंदरगाह मंत्री नितेश राणे के बयान इसकी वजह बने. अक्सर भड़काऊ और विवादित बयानों के कारण चर्चा में रहने वाले राणे ने एक भाषण के दौरान यह कहकर सबको चौंका दिया कि छत्रपति शिवाजी महाराज की सेना में मुसलमान थे ही नहीं. उन्होंने यह भी कहा कि शिवाजी और औरंगजेब की लड़ाई हिंदू बनाम इस्लाम की लड़ाई थी. राणे के इस "रहस्योद्घाटन" से कई लोग हैरान रह गए. मामला विधान भवन में उठा, और उपमुख्यमंत्री अजित पवार को हस्तक्षेप करना पड़ा. अजित पवार ने सत्ता पक्ष और विपक्ष से भड़काऊ बयान न देने की अपील की और स्पष्ट किया कि शिवाजी महाराज की सेना में मुसलमान भी थे, और वे धर्म या जाति के आधार पर भेदभाव नहीं करते थे. पवार के अनुसार, शिवाजी महाराज की सेना का बारूदखाना एक मुस्लिम व्यक्ति के जिम्मे था.

वार-पलटवार

आजमी और राणे के बयानों के अलावा भी इस बार विधान सभा सत्र में इतिहास हावी रहा. नागपुर के एक पत्रकार, प्रशांत कोरटकर, और एक मराठी अभिनेता, राहुल सोलापुरकर, ने भी छत्रपति शिवाजी महाराज को लेकर कुछ आपत्तिजनक बयान दिए. इसके बाद विपक्ष ने विधान परिषद में हंगामा किया और दोनों की तुरंत गिरफ्तारी की मांग की. मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने इस पर पलटवार करते हुए एनसीपी (एसपी) के विधायक जीतेंद्र आव्हाड द्वारा छत्रपति शिवाजी के प्रति दिए गए कथित अपमानजनक बयान की याद दिलाई. साथ ही, उन्होंने विपक्ष से यह सवाल भी किया कि क्या वे पंडित जवाहरलाल नेहरू की किताब डिस्कवरी ऑफ इंडिया में शिवाजी महाराज के बारे में लिखी गई बातों की निंदा करेंगे.

ऐतिहासिक चरित्रों को लेकर हंगामा

विधान भवन में ऐतिहासिक चरित्रों को लेकर मचा हंगामा सरकार के फायदे में रहा. इससे कई गंभीर मुद्दों पर सरकार घिरने से बच गई. सरकार के एक मंत्री, धनंजय मुंडे, को बीड में एक सरपंच की हत्या के मामले में इस्तीफा देना पड़ा, लेकिन औरंगजेब का मुद्दा अधिक तूल पकड़ गया. विपक्ष सरकार से यह सवाल ठीक से पूछ ही नहीं पाया कि मुंडे से इस्तीफा लेने में इतनी देर क्यों की गई. महायुति ने अपने चुनावी घोषणापत्र में ‘लाडकी बहन योजना' के तहत महिलाओं को हर महीने 1,500 रुपये से बढ़ाकर 2,100 रुपये देने का वादा किया था, लेकिन बजट में ऐसी कोई घोषणा नहीं की गई. मुद्दा "इतिहास में खो गया," और सरकार को घेरने के नाम पर मुट्ठीभर विपक्षी विधायक सिर्फ पंद्रह मिनट के लिए विधान भवन की सीढ़ियों पर बैठे, नारेबाजी की, फोटो खिंचवाया, टीवी पर बाइट दी, और चलते बने. उम्मीद की जा रही है कि होली के बाद जब विधान सभा फिर से शुरू होगी, तो सियासत पर से इतिहास का रंग उतर चुका होगा.

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