‘निर्भया कोष' (निर्भया फंड) के तहत मुंबई पुलिस द्वारा खरीदे गए कुछ वाहनों का उपयोग महाराष्ट्र सरकार के मंत्रियों की सुरक्षा के लिए किए जाने के मामले पर विवाद जारी है. विपक्ष जहां इस मुद्दे पर सरकार को घेर रहा है. वहीं, सरकार तर्क देकर अपने बचाव में लगी हुई है. सरकार का कहना है कि महाविकास अघाड़ी के कार्यकाल में महिलाओं के प्रति अपराध बहुत ज्यादा बढ़ गए थे.
एनडीटीवी से बात करते हुए शिवसेना (शिंदे गुट) के प्रवक्ता कृष्णा हेगड़े ने कहा कि केंद्र सरकार ने 5 हजार 800 करोड़ रुपये दिए, उसमें से 3 हजार 700 करोड़ सभी राज्यों को एलोकेट किया. महाराष्ट्र में निर्भया फंड का 0.1 परसेंट फंड यूज हुआ है. इसके लिए वो हहाकार मचा रहे हैं. इनकी सरकार में लगभग 8 लाख मामले महिलाओं के प्रति अपराध के दर्ज हुए. उस पर कोई कार्रवाई नहीं हुई.
हेगड़े ने कहा, " उन्होंने एक पैसे निर्भया फंड का इस्तेमाल नहीं किया. जब सरकार जाने वाली थी तब उन्होंने वाहनों की खरीद की. जांच तो होनी ही चाहिए. लेकिन हमारी नहीं उनकी. मंत्रियों के लिए गाड़ी का इस्तेमाल इसलिए किया गया, क्योंकि उनके ऊपर हमला हुआ था."
वहीं, सराकर में उनके सहयोगी बीजेपी के नेता आलोक वत्स ने कहा कि मेरा मानना है कि किसी खास काम के लिए अगर कोई सामान दिया गया है, उसका इस्तेमाल किसी और काम के लिए नहीं होना चाहिए. फंड का दुरुपयोग नहीं हुआ है, क्योंकि पैसे तो गाड़ियां खरीदने के लिए ही दिए गए थे. लेकिन खरीद के बाद इसका काम दूसरे मकसद से हुआ ये गलत है. बीजेपी बेटियों को लेकर किसी तरह की लापरवाही नहीं कर सकती है. इस काम को कोई आदमी ऐप्रीसिएट नहीं करेगा.
इधर, एनसीपी प्रवक्ता बृजमोहन श्रीवास्तव ने कहा कि उन्होंने (शिवसेना शिंदे गुट) हमारी कार्यकाल को लेकर शिकायत कर रही है. लेकिन उनके बयान हमें परेशान करते हैं. ये तो वही बात है कि जब सैंया भए कोतवाल तो डर काहे का. इन्हें ऐसे काम करने का फ्री हैंड मिल गया है. लेकिन इस बात को किसी भी तरह के तर्क से सही नहीं ठहराया जा सकता है.
वहीं, शिससेना उद्धव के प्रवक्ता आनंद दुबे कहा कि मैं उनके तर्क को सुनकर क्या प्रतिक्रिया दूं ये समझ नहीं आ रहा है. हम सभी जांच से गुजरने को तैयार हैं. केंद्र और राज्य दोनों में उनकी सरकार है. योजना तो केंद्र सरकार ने ही शुरू की है. ये बीते छह महीने से उस फंड से खरीदी हुई गाड़ी से घूम रहे. यानि अगर किसी ने पहले गलती की गई है तो वो भी करेंगे क्या. अपराध तो अपराध ही होता उसका कोई तर्क नहीं हो सकता है.
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