महाकुंभ 2025 की शुरुआत 13 जनवरी से हुई थी और इसे शुरू हुए 15 दिन हो गए हैं. महाकुंभ में अब तक कई करोड़ श्रद्धालु आस्था की डुबकी लगा चुके हैं. इस भव्य आयोजन के लिए उत्तर प्रदेश सरकार ने खासा इंतजाम किए हुए हैं ताकि श्रद्धालुओं को महाकुंभ में किसी तरह की कोई परेशानी न हो. इसी बीच एनडीटीवी द्वारा आयोजित महाकुंभ संवाद के दौरान भी महाकुंभ में सुविधाओं और स्वच्छता पर बात हुई. इस दौरान जब पूछा गया कि महाकुंभ में किस तरह से स्वच्छता का ध्यान रखा जा रहा है तो इस पर नगर विकास के प्रमुख सचिव अमृत अभिजात ने बताया कि स्वच्छता के लिए 15 हजार कर्मियों को काम पर लगाया गया है और साथ ही इसमें एआई का भी इस्तेमाल किया जा रहा है.
15 हजार स्वच्छता कर्मी लगाए गए
महाकुंभ में स्नान रुकता नहीं है, वहां सुबह-दोपहर-शाम और रात में भी श्रद्धालु स्नान करते रहते हैं और कई बात को लोग वहीं सो भी जाते हैं और इसी बीच स्वच्छता एक अहम मुद्दा बन जाता है तो इसका ध्यान कैसे रखा जाता है? इस पर अमृत अभिजात ने कहा, "हमारे यहां 2014 से ही स्वच्छ भारत मिशन चल रहा है और उत्तर प्रदेश पर हमने इस चीज पर काम किया है. कुंभ में सिर्फ मेला एरिया में ही 15 हजार लोग स्वच्छता के लिए लगाए गए हैं".
टॉयलेट को क्यूआर कोड से किया गया है अटैच
उन्होंने कहा, "रास्ते में जैसे अखाड़े आते हैं, या नया अखाड़ा आता है तो उसे लगाने से पहले ही वहां की अच्छे से सफाई की जाती है. साथ ही हर टॉयलेट को क्यूआर कोड से अटैच किया गया है और इससे पता चल जाता है कि आखिरी बार टॉयलेट की सफाई कब की गई थी".
मेला एरिया में बनवाए गए हैं डेढ लाख टॉयलेट
अमृत अभिजात ने बताया, "पिछले कुंभ में 65 हजार टॉयलेट बनाए गए थे लेकिन इस बार डेढ लाख टॉयलेट बनाए गए हैं, जो पूरे मेला एरिया में हैं, जिसका लोग इस्तेमाल कर रहे हैं. इसके अलावा क्लीयरेंस मशीन लगाई गई हैं. शहर की बात करें तो एआई के माध्यम से हम कूड़े-कचरे की जानकारी ले रहे हैं. इसमें कहां पर नया डस्ट गिरा है, उसे वो लॉकेट कर पाता और फिर ईवेंट क्रिएट किया जाता है, इसके बाद हमारे सफाई कर्मचारी उसे क्लोज करते हैं".
डिजिटल टेक्नोलॉजी और एआई से स्वच्छता का रखा जा रहा ध्यान
उन्होंने कहा, "इस तरह से हम डिजिटल टेक्नोलॉजी, एआई, मैनपावर के इस्तेमाल से स्वच्छता का ध्यान रख रहे हैं. अबतक जो सबसे अच्छा इनपुट आ रहा है वो हमें सफाई व्यवस्था पर ही आ रहा है और इसमें आगे भी काम किया जा रहा है. स्वच्छा और सुरक्षा पर मुख्यमंत्री ने बहुत ध्यान दिया है".
महाकुंभ को बनाया गया है जीरो प्लास्टिक ईवेंट
संगम और उसके आसपास के इलाके में जल का प्रवाह बहुत अच्छा है लेकिन कई बार ऐसा होता है कि जब इस तरह की चीजें हो जाती हैं तो बाद में बहुत गंदगी हो जाती है और इसमें प्लास्टिक एक बहुत बड़ा चैलेंज है... इस पर अमृत अभिजात ने कहा कि "जब कुंभ की बैठकें शुरू हुई थी तब ही तय कर लिया गया था कि यह जीरो प्लास्टिक ईवेंट रहेगा और इसके बाद कई प्रोडक्शन यूनिट पर फाइल कराया गया और रेड्स भी की गईं और प्लास्टिक को बैन किया गया. इसके बाद कुंभ में आ रहे अखाड़ों, साधू-संतों ने इस मैसेज को लोगों तक पहुंचाया गया कि प्लास्टिक का इस्तेमाल न करें".
उन्होंने कहा, "मां गंगा में पवित्र स्नान के लिए आने वाले श्रद्धालुओं की आस्था है और मैंने नहीं देखा कि बहुत अधिक स्केल पर कोई प्लास्टिक का इस्तेमाल कर रहा है. जीरो प्लास्टिक ईवेंट जो हमने किया है, उसके बाद हमें बहुत कम संख्या में ही प्लास्टिक घाटों के आसपास या फिर मेले परिसर में देखने को मिला है".
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