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संगम के पानी को लेकर CPCB रिपोर्ट पर एक्सपर्ट्स ने उठाए सवाल, कहा- और सैंपल जरूरी

Mahakumbh 2025: महाकुंभ मेला अब समाप्ति की ओर है. इस बीच संगम जल पर आई नेशनल पोल्यूशन कंट्रोल बोर्ड की रिपोर्ट ने नई चिंता पैदा कर दी है. हालांकि एक्सपर्ट्स पोल्यूशन कंट्रोल बोर्ड की रिपोर्ट से अलग राय रख रहे हैं.

Mahakumbh 2025: प्रयागराज महाकुंभ का आज (शनिवार, 22 फरवरी) 41वां दिन है. अब तक यहां 60 करोड़ से ज्यादा लोगों ने आस्था की डुबकी लगाई है. महाकुंभ मेला समाप्त होने में अब मात्र 4 दिन का समय शेष रह गया है. लेकिन जैसे-जैसे मेला समाप्ति की ओर बढ़ रहा है, श्रद्धालुओं का सैलाब भी उमड़ रहा है. इस बीच बीते दिनों संगम के पानी को लेकर भी सवाल उठे. यह सवाल तब उठा जब नेशनल पोल्यूशन कंट्रोल बोर्ड (Central Pollution Control Board) ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि संगम जल प्रदूषित हो चुका है.

CPCB रिपोर्ट- संगम जल में फीकल कॉलीफॉर्म की मात्रा काफी ज्यादा

CPCB रिपोर्ट के मुताबिक संगम का पानी नहाने लायक नहीं है, गंगा यमुना का पानी प्रदूषित हो चुका है. संगम जल में फीकल कॉलीफॉर्म (अपशिष्ट जल) की मात्रा काफी बढ़ गई है. फीकल कॉलीफॉर्म का लेवल बढ़ने के कारण CPCB ने संगम जल को स्नान के लिए गुणवत्ता के अनुरूप नहीं माना.  

संगम जल पर नेशनल पोल्यूशन कंट्रोल बोर्ड की रिपोर्ट की बड़ी बातें.

संगम जल पर नेशनल पोल्यूशन कंट्रोल बोर्ड की रिपोर्ट की बड़ी बातें.

CPCB के फीकल कॉलीफॉर्म की स्वीकार्य सीमा 2500 यूनिट प्रति 100 ML है. लेकिन संगम जल में करोड़ों लोगों के स्नान के बाद यहां पर अपशिष्ट जल की सांद्रता बढ़ी है.

एक्सपर्ट बोले- इस रिपोर्ट में कई पैरामीटर उपलब्ध नहीं

CPCB की इस रिपोर्ट पर सवाल उठाते हुए टीईआर के स्कूल ऑफ एडवांस स्टडीज के प्रोफेसर चंद्र कुमार सिंह ने कहा कि इस रिपोर्ट में कई पैरामीटर उपलब्ध नहीं है. CPCB की रिपोर्ट में काफी कुछ पैरामीटर्स ऐसे हैं जो दिखाए या बताए नहीं गए. हो सकता है उनकी रिपोर्ट में हो, लेकिन जो रिपोर्ट अवेलेबल है उसम वो सारे पैरामीटर्स नहीं हैं. जो सीधे-सीधे यह इंडिकेट करें ये सारा जो फिकल कोलीफॉर्म आ रहा है वो ह्यूमन एक्सक्रीट या वेस्ट की वजह से आ रहा है. इसलिए रिपोर्ट पूरी तरह से सामने आने के बाद ही उस पर सही ढंग से बोल पाना उचित होगा.

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जेएनयू के प्रोफेसर बोले- इस तरह की रिपोर्ट के लिए और सैंपल की जरूरत

वहीं जेएनयू के स्कूल ऑफ एनवायरमेंटल साइंस के असिस्टेंट प्रोफेसर अमित मिश्रा का कहना है कि इस तरीके की रिपोर्ट के लिए हमें और सैंपल की जरूरत है. मैंने जो पहली नजर में देखा है और जो डाटा अभी पब्लिक फोरम में है, उस रिपोर्ट के आधार पर ये कह देना उचित नहीं होगा. मेरे हिसाब से इस चीज को प्रोस्पेक्टिव करने के लिए हमको और डेटा चाहिए, और सैंपल चाहिए. यह बताना होगा कि डाउन स्ट्रीम में क्या कोई सैंपलिंग हुई है?

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एक्सपर्ट ने उठाए सवाल- क्या सैंपलिंग हुई, अप स्ट्रीम में क्या डाटा है

प्रोफेसर अमित मिश्रा ने आगे कहा कि अप स्ट्रीम में क्या डाटा है? क्या सैंपलिंग हुई है? कितना फ्लक्स है? जो वाटर छोड़ा जा रहा है, उसका क्या बहाव है? जहां से सैंपलिंग की गई उसकी पोजीशंस क्या है? वो सारी चीजें मिलने के बाद हमारे देश के साइंटिस्ट स्टडी करें तब हम कंक्लूजन बुक कर सकते हैं.

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पब्लिक फोरम में उपलब्ध रिपोर्ट में संगम जल में ऑक्सीजन पर्याप्त

एक्सपर्ट ने कहा जो रिपोर्ट पब्लिक फोरम पर आई है, उसमें आप देखेंगे कि डिजॉल ऑक्सीजन काफी हाई है. अगर आप देखेंगे तो प्रति मिलीग्राम डिजॉल ऑक्सीजन 7-10 तक गया हुआ है. साथ ही बीओडी की मात्रा 3 मिलीलीटर के आसपास घूम रहा है. सबसे बड़ी बात है कि अगर आप इस डाटा को एनालिसिस करेंगे तो आप कहेंगे कि यहां पर बीओडी और ऑक्सीजन में पॉजिटिव एसोसिएशन है. ऐसे में एक्सपर्ट ने भी यह माना कि संगम का जल नहाने से आचमन करने लायक है. 

एक्सपर्ट ने आगे कहा- अगर BOD बढ़ेगा तो DO घटेगा. DO बढ़ेगा तो BOD घटेगा, जो कि इसमें नहीं पाया गया.  उसका एक तार्किक जवाब दिया जा सकता है. इतने श्रद्धालु एक साथ नहा रहे हैं तो जो पानी है, एयर का एक्सचेंज है, वो फिजिकल इंटरवेंशन की वजह से बढ़ सकता है. एक्सपर्ट ने आगे कहा, हमे फीकल कोलीफॉर्म का काउंट तो बता दिया गया है लेकिन इसके काफी कई सारे सोर्स होते हैं. क्या हम सीधे ये कह दें कि उसमें गंदा पानी डाला जा रहा है?
 

एक्सपर्ट ने कहा, नेचुरल प्रोसेस से डिसेडिमेंशन होता है. जिसमें बैक्टीरिया सीधे नीचे जमीन में बैठ जाते हैं. अगर श्रद्धालु जाएंगे तो डिसेडिमेंट करेंगे वो वापस पुनः पानी में आएंगे.  

CPCB की रिपोर्ट को गलत इंटरप्रेट किया गयाः एक्सपर्ट

एक्सपर्ट ने कहा- स्टडी कहती है एक स्वस्थ आदमी जो नहा-धो के किसी वाटर बॉडी में जाता है, उसके पास भी लगभग 5000 ऐसे बैक्टीरिया होते हैं जो फीकल कॉलीफॉर्म होते हैं. संगम जल में एक दिन में 70-80 लाख नहा रहे हैं तो किसी भी कंक्लूजन पर पहुंचने से पहले कि आपके पास डाउन स्ट्रीम का डाटा होना चाहिए. एक्सपर्ट ने यह भी कहा कि सीपीसीवी की जो रिपोर्ट आई है, उसको मीडिया ने गलत इंटरप्रेट किया.


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