बबलू मार्टिन, जो अब नहीं है...
मैहर:
मध्य प्रदेश के मैहर में बाढ़ जैसे हालात के बीच एक ऐसा हादसा हुआ जो अपने आप में कई सवाल खड़े करता है. मैहर में एक इमारत जब ढह रही थी तो कई लोग मोबाइल के कैमरे से उसका वीडियो बना रहे थे लेकिन मलबे में तब्दील होती इस इमारत के नीचे एक बच्ची और एक महिला दब रहे हैं, यह केवल वहां मौजूद एक शख्स ने देखा जिसका नाम है बबलू मार्टिन. 40 की उम्र पार कर चुके एक खिलाड़ी बबलू मार्टिन की नज़र जब बच्ची और महिला पर पड़ी तो उन्होंने आखिरी दम तक उन्हें बचाने की कोशिश की.
बबलू बच्ची को मलबे से बचाने में कामयाब रहा लेकिन फिर महिला को बचाने की कोशिश में टाइमिंग थोड़ा चूकी और वे दोनों मलबे के नीचे फंस गए. बाद में पानी में उसका सिर नज़र आ रहा था. वो कुछ होश में था लेकिन पास खड़ा एक नौजवान उसे निकालने में मदद करने के बजाय मोबाइल से वीडियो बना रहा था. उसे निकालने में देरी हो गई, उसे मैहर से कटनी ले जाया गया लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी.
बबलू उस जमात में से नहीं था जो सड़क पर पड़े घायल को देखकर भी गाड़ी नहीं रोकते, वो वीडियो बनाने, लाइक्स
पाने के फेर में भी नहीं पड़ता था, वो क्रिकेट और फुटबॉल खेलता था, उसने अपनी कोचिंग में नौजवानों को बताया था कि आखिर दम तक कोशिश करो, हार मत मानो और ये काम वो असल ज़िंदगी में भी करता था.
वैसे तो मैहर, शारदा देवी के मंदिर की वजह से जाना जाता है लेकिन सतना ज़िले के खिलाड़ी मैहर को बबलू मार्टिन के नाम से भी जानते थे. वो अज़हर का फैन था-मैदान में आते ही कॉलर खड़े करता, कलाई घुमाकर शॉट मारता, गेंदबाज़ी भी कर लेता और फील्डिंग करते वक़्त चोट का ख्याल न करते हुए डाइव मारने से नहीं चूकता.
उसने फुटबॉल और क्रिकेट खेलने का सपना देखने वाले कई बच्चों को कोचिंग दी थी और इस पीढ़ी को जाते-जाते शायद एक और सबक दे गया कि वीडियो बनाने से ज़्यादा ज़रूरी है बबलू मार्टिन बनना यानी एक मुकम्मल इंसान बनना.
बबलू बच्ची को मलबे से बचाने में कामयाब रहा लेकिन फिर महिला को बचाने की कोशिश में टाइमिंग थोड़ा चूकी और वे दोनों मलबे के नीचे फंस गए. बाद में पानी में उसका सिर नज़र आ रहा था. वो कुछ होश में था लेकिन पास खड़ा एक नौजवान उसे निकालने में मदद करने के बजाय मोबाइल से वीडियो बना रहा था. उसे निकालने में देरी हो गई, उसे मैहर से कटनी ले जाया गया लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी.
बबलू उस जमात में से नहीं था जो सड़क पर पड़े घायल को देखकर भी गाड़ी नहीं रोकते, वो वीडियो बनाने, लाइक्स
पाने के फेर में भी नहीं पड़ता था, वो क्रिकेट और फुटबॉल खेलता था, उसने अपनी कोचिंग में नौजवानों को बताया था कि आखिर दम तक कोशिश करो, हार मत मानो और ये काम वो असल ज़िंदगी में भी करता था.
वैसे तो मैहर, शारदा देवी के मंदिर की वजह से जाना जाता है लेकिन सतना ज़िले के खिलाड़ी मैहर को बबलू मार्टिन के नाम से भी जानते थे. वो अज़हर का फैन था-मैदान में आते ही कॉलर खड़े करता, कलाई घुमाकर शॉट मारता, गेंदबाज़ी भी कर लेता और फील्डिंग करते वक़्त चोट का ख्याल न करते हुए डाइव मारने से नहीं चूकता.
उसने फुटबॉल और क्रिकेट खेलने का सपना देखने वाले कई बच्चों को कोचिंग दी थी और इस पीढ़ी को जाते-जाते शायद एक और सबक दे गया कि वीडियो बनाने से ज़्यादा ज़रूरी है बबलू मार्टिन बनना यानी एक मुकम्मल इंसान बनना.
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं