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मध्य प्रदेश पुलिस भर्ती में फर्जी कांस्टेबल, आधार और फिंगर प्रिंट भी नकली, देशभर में फैला है जाल

2013 के व्यापम घोटाले में भी सॉल्वर बैठाए गए थे, लेकिन अब खेल और भी तकनीकी हो गया है. आधार अपडेट का ग़लत इस्तेमाल, बायोमेट्रिक्स की हेराफेरी, और आधार केंद्रों की मिलीभगत — इस बार पूरा ऑपरेशन कहीं ज्यादा संगठित और विस्तार वाला निकला.

मध्य प्रदेश पुलिस भर्ती में फर्जी कांस्टेबल, आधार और फिंगर प्रिंट भी नकली, देशभर में फैला है जाल
भोपाल:

मध्य प्रदेश में पुलिस भर्ती के दौरान सॉल्वर गैंग ने फर्जीवाड़ा मुक्त सभी इंतजामों को धत्ता बता दिया. इनके तरीके ने पुलिस के सिस्टम को भी मात दे दिया. मध्य प्रदेश पुलिस कांस्टेबल भर्ती 2023 में तकनीक, आधार और पैसे का इस्तेमाल कर असली उम्मीदवारों की जगह सॉल्वर परीक्षा में बैठे और पकड़े भी नहीं गए. इसमें से तो कई वर्दी पहनने ही वाले थे, लेकिन उससे पहले ही राज खुल गया.

मुरैना में एक छोटी सी गड़बड़ी ने 100 करोड़ के खेल की पोल खोल दी. अक्टूबर-नवंबर 2024 में मुरैना में पीपीटी (शारीरिक दक्षता परीक्षा) के दौरान पुलिस अधिकारियों को शक हुआ, कुछ अभ्यर्थियों की तस्वीर और बायोमेट्रिक आधार डाटा बार-बार बदला गया था. शक गहरा हुआ, और राज्य पुलिस की चयन शाखा ने जांच शुरू की.

ग्वालियर, मुरैना, श्योपुर, गुना, शिवपुरी, राजगढ़, शहडोल, अलीराजपुर और इंदौर तक फैला ये जाल, आधार आईडी में हेरफेर कर असली उम्मीदवारों की जगह नकली परीक्षार्थियों (सॉल्वर) को परीक्षा में बैठाया गया.

कैसे चलता था ये हाई-टेक घोटाला?

  1. पहला चरण: जुलाई-अगस्त 2023 — परीक्षा से ठीक पहले, सॉल्वर को असली उम्मीदवार की जगह आधार में जोड़ दिया जाता. नाम वही रहता, लेकिन फोटो और फिंगरप्रिंट बदल दिए जाते.
  2. दूसरा चरण: सॉल्वर लिखित परीक्षा देता और पास हो जाता.
  3. तीसरा चरण:अक्टूबर-नवंबर 2024 में पीपीटी से पहले आधार में फिर बदलाव — इस बार असली उम्मीदवार की तस्वीर और बायोमेट्रिक फिर से जोड़ दिए जाते.

इस प्रक्रिया को एक नहीं, कई बार दो-तीन बार दोहराया गया और जब नियुक्ति का वक्त आया, तब जाकर ये आधार रैकेट पकड़ा गया.

2013 के व्यापम घोटाले में भी सॉल्वर बैठाए गए थे, लेकिन अब खेल और भी तकनीकी हो गया है. आधार अपडेट का ग़लत इस्तेमाल, बायोमेट्रिक्स की हेराफेरी, और आधार केंद्रों की मिलीभगत — इस बार पूरा ऑपरेशन कहीं ज्यादा संगठित और विस्तार वाला निकला. एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया कि अब तक कुल 19 एफआईआर दर्ज की जा चुकी हैं. ग्वालियर, मुरैना, श्योपुर, शिवपुरी जैसे जिलों में गहन जांच चल रही है.

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जांच में पता चला कि कई सॉल्वर बिहार से थे और कुछ ने एक से ज्यादा जिलों में अलग-अलग उम्मीदवारों की जगह परीक्षा दी. एक अकेले सॉल्वर ने छह उम्मीदवारों की परीक्षा दी, जिनमें से पांच का चयन हो चुका था. सूत्रों के अनुसार ग्वालियर-चंबल क्षेत्र से दो सॉल्वर, जो रावत (मीणा) समुदाय से हैं, 16 से ज्यादा परीक्षार्थियों की तरफ से परीक्षा में बैठे. इनमें से कई का चयन हो गया.

ग्वालियर-चंबल के कई प्रभावशाली लोग इस रैकेट के मास्टरमाइंड निकले. ये लोग उम्मीदवारों से 10-15 लाख रुपये लेते, जिसमें से 4-5 लाख सॉल्वर को जाते. आधार केंद्रों से मिलीभगत थी. भितरवार (ग्वालियर), मुरैना और श्योपुर जैसे इलाकों के चुनिंदा केंद्र इस धंधे का अड्डा बन गए थे. 19 एफआईआर दर्ज, 12 गिरफ्तारी — सॉल्वर, लाभार्थी और आधार केंद्र संचालक, 20+ उम्मीदवार चिन्हित — नकली तरीके से भर्ती की कोशिश करते पकड़े गए. 100+ मामलों में शक की सुई — जांच में तेजी के साथ खुलासे और बढ़ सकते हैं.

संकेत हैं कि ये रैकेट 2023 से पहले से भी सक्रिय था, यानी मध्य प्रदेश में हुई पिछली सरकारी भर्तियों में भी इसका इस्तेमाल हुआ हो सकता है. इतना ही नहीं, इस गिरोह का लिंक MP से बाहर के राज्यों के बड़े परीक्षा माफिया से भी जुड़ा हो सकता है. पुलिस अब सभी उम्मीदवार से आधार अपडेट हिस्ट्री और चरित्र प्रमाणपत्र मांग रही है. यही वजह है कि नियुक्ति से पहले ही कई पकड़े जा चुके हैं.

इस घोटाले ने न सिर्फ भर्ती प्रक्रिया पर सवाल खड़े किए हैं, बल्कि आधार जैसी अहम पहचान प्रणाली के दुरुपयोग की खतरनाक मिसाल भी पेश की है. NDTV इस मामले की हर परत को खोलता रहेगा, क्योंकि सवाल सिर्फ भर्ती का नहीं, भरोसे का है.

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