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NDTV की खबर का असर : मध्य प्रदेश नर्सिंग कॉलेज फर्जीवाड़ा में परत दर परत ऐसे हुआ घोटाले का खुलासा

भ्रष्टाचार और इस मामले को लेकर चल रही राजनीति के जाल में छात्र फंस गये जो अनिश्चित भविष्य की ओर देख रहे हैं, अनियमितताओं के आरोपों के बीच करीब 1.25 लाख छात्र 4 साल से परीक्षा का इंतजार करते रहे, अब परीक्षा शुरू हुई है लेकिन जिन कॉलेजों पर रिश्वत देकर पात्र सर्टिफिकेट हासिल करने का आरोप है वहां के हजारों छात्रों के भविष्य पर फिर सवाल खड़े हो गये हैं.

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NDTV की खबर का असर : मध्य प्रदेश नर्सिंग कॉलेज फर्जीवाड़ा में परत दर परत ऐसे हुआ घोटाले का खुलासा
रिश्वत के लिए "छाछ ग्लास:, "अचार की बरनी" और "किलो आम" जैसे कोडवर्ड का उपयोग किया जाता था.
भोपाल:

एनडीटीवी के लगातार खुलासे और ग्राउंड रिपोर्ट्स के बाद मध्य प्रदेश सरकार ने राज्य में नर्सिंग कॉलेज घोटाले के आरोपियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई के आदेश दिए हैं. इस घोटाले को व्यापमं-2 के तौर पर देखा जा रहा है, जिसमें करीब सवा लाख छात्रों का भविष्य अधर में लटक गया है.

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा है कि अनियमितता में शामिल सभी अधिकारी-कर्मचारी बर्खास्त होंगे, तत्कालीन रजिस्ट्रार और नर्सिंग काउंसिल के सचिव पर कार्रवाई होगी. नर्सिंग छात्रों के लिए इंजीनियरिंग और मेडिकल प्रवेश की तर्ज पर परीक्षा आयोजित की जाएगी. नर्सिंग संस्थानों को मान्यता देने के लिए राज्य में एक आयोग का गठन किया जाएगा और नर्सिंग कॉलेजों में प्रवेश के लिए राज्य स्तरीय प्रतियोगी परीक्षा आयोजित की जाएगी.

3 दिनों पहले ही एनडीटीवी ने बताया था कि नर्सिंग कॉलेज घोटाले की कमान केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) की एक नई टीम संभाल सकती है, क्योंकि एजेंसी की पिछली टीम के सदस्य कथित तौर पर इसका हिस्सा बन गए थे. एफआईआर में एक उपअधीक्षक-रैंक (डीएसपी) अधिकारी सहित चार सीबीआई अधिकारियों को नामित किया गया है और तीन को गिरफ्तार किया गया है.

मामले में प्रवर्तन निदेशालय अधिकारियों के खिलाफ धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत एक अलग मामला दर्ज कर सकता है, साथ ही, पूर्व में "पात्र" टैग किए गए कॉलेजों की दोबारा जांच की जा सकती है.

क्या है मामला

पिछले डेढ़ साल से एनडीटीवी की ग्राउंड रिपोर्ट्स में मध्य प्रदेश में नर्सिंग कॉलेजों के कामकाज में भारी अनियमितताएं पाई गईं. स्वास्थ्य शिक्षा विभाग के शीर्ष अधिकारी ऐसे नर्सिंग कॉलेज चलाते पाए गए जिनके पास कोई परिसर तक नहीं था. कई कॉलेज 2-3 कमरों में चलते हुए पाए गए, तो कई सिर्फ कागजों पर मौजूद थे. चौंकाने वाले खुलासे के बाद राज्य नर्सिंग काउंसिल ने 19 कॉलेजों की मान्यता रद्द कर दी. उच्च न्यायालय के आदेश के बाद, सीबीआई जांच ने 2020-21 में पंजीकृत 670 कॉलेजों के कामकाज की जांच शुरू की.

सीबीआई ट्विस्ट

सीबीआई ने जिन 308 नर्सिंग कॉलेजों पर अपनी रिपोर्ट दी, जिसमें 169 कॉलेज सूटेबल (पात्र), 73 डिफिशिएंट(कमी वाले) और 66 अनसूटेबल (अपात्र) पाये गये. जैसे ही रिपोर्ट आई एनडीटीवी फिर मैदान में उतरा, पता लगा कि रीवा में एक सरकारी कॉलेज को "अयोग्य" घोषित कर दिया गया, वहीं भोपाल में जिस कॉलेज को "फिट" टैग दिया गया था, उसका पता एक किराए की इमारत का था जहां एक स्कूल चल रहा था. सीधी कॉलेज आफ नर्सिंग 4 कमरों की दुकान में चल रहा था. शहडोल में 2 कमरों का शारदा देवी कॉलेज तो सालों से चल रहा था, यहां भी पढ़ने वाले छात्र परीक्षा दे रहे थे. आरोप हैं कि सीबीआई अधिकारी रिश्वत के बदले कॉलेजों को "पात्र" बना रहे थे, एक "अनफिट" कॉलेज को "फिट" टैग करने के लिए 2 लाख रुपये से 10 लाख रुपये के बीच रिश्वत ली गई. जांच से पता चला है कि रिश्वतखोरी का गिरोह भोपाल और राजस्थान के रास्ते संचालित हो रहा था, हमारी तफ्तीश में ये भी पता चला है कि एक बिचौलिया रिश्वत को जयपुर भेजता था और फिर इसे एक सीबीआई अधिकारी तक पहुंचाया जाता था. मामले में सीबीआई अधिकारी राहुल राज, सुशील कुमार मजोका और ऋषिकांत असाठे को गिरफ्तार कर लिया गया है. डिप्टी एसपी आशीष प्रसाद भी आरोपी हैं.

सीबीआई ने मध्य प्रदेश और जयपुर में 31 स्थानों की तलाशी ली और 2.3 करोड़ रुपये से अधिक नकदी, 4 सोने की छड़ें और कई दस्तावेज बरामद किये. इंस्पेक्टर राहुल राज पर बिचौलियों के साथ संपर्क रखने, सीबीआई निरीक्षणों की अनुसूची साझा करने, रिश्वत की रकम तय करने और उसे इकठ्ठा करने का आरोप था जिसे 10 लाख रुपये रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों पकड़ा गया था.

रिश्वत के लिए "छाछ ग्लास:, "अचार की बरनी" और "किलो आम" जैसे कोडवर्ड का उपयोग किया जाता था.

नियम परिवर्तन

राज्य में नर्सिंग कॉलेजों के कामकाज में घोर अनियमितताएं 2-3 साल से सामने आ रही थी, मामले में एनडीटीवी की खबरें चौंकाने वाली थी, हाईकोर्ट में मामला चल रहा था, सीबीआई जांच में जुटी थी इस बीच सरकार ने चौंकाने वाला फैसला ले लिया. दरअसल नियमों के मुताबिक नर्सिंग कॉलेज केवल तभी चल सकता था जब उसका क्षेत्रफल कम से कम 23,000 वर्ग फुट हो, नये नियम में इस न्यूनतम क्षेत्र की आवश्यकता को घटाकर 8,000 वर्ग फुट कर दिया गया, साथ ही, सहायक प्रोफेसर और छात्रों के 10:1 अनुपात को घटाकर 20:1 कर दिया गया. नर्सिंग लैब के लिए न्यूनतम क्षेत्र को 1500 वर्ग मीटर से संशोधित कर 900 मीटर कर दिया गया. ऐसे कई फैसलों से लगने लगा कि सिस्टम में कोई तो है जो घोटाला करने वालों का मददगार है क्योंकि एनडीटीवी की जांच में पहले पाया गया था कि कई नर्सिंग कॉलेज बगैर जरूरी शिक्षकों के अनुपात या बुनियादी ढांचे के बिना चल रहे थे. कई कॉलेजों में एक शिक्षक को तीन शहरों के कम से कम 10 कॉलेजों में पढ़ाते हुए कागजों में दिखाकर मान्यता ली गई, - कुछ में प्रिंसिपल के रूप में और अन्य में एसोसिएट प्रोफेसर के रूप में, एनडीटीवी को ऐसे कॉलेज भी मिले जिनके पास कोई फैकल्टी नहीं थी फिर भी वो "सर्टिफिकेट" बांटते रहे.

राजनीति

डेढ़-2 साल मामले में एनडीटीवी की ग्राउंड रिपोर्ट, हाईकोर्ट में सुनवाई और सीबीआई जांच के बाद विपक्ष भी जागा विधानसभा में विपक्ष के उपनेता कांग्रेस के हेमंत कटारे ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में नर्सिंग कॉलेज घोटाले की जांच की जरूरत है उन्होंने कहा, "हमने सीबीआई पर से भरोसा खो दिया है, क्योंकि वो बीजेपी के हथियार के रूप में काम कर रही है. हम विधानसभा में सरकार से सवाल करेंगे, लेकिन अगर वह ठोस जवाब नहीं देती है, तो हम सड़कों पर उतरेंगे."

पूर्व मंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मुकेश नायक ने कहा मध्य प्रदेश में जिस तरह से धड़ल्ले से नर्सिंग कॉलेज खोले गए हैं इससे साफ़ तौर पर पता चलता है कि किस तरह से ये एक पूरा खेल चल रहा था डेफिसिट नाम की एक नई कैटेगरी इसलिए दी गई इसे की रिश्वत के पैसे ले लेकर ये उन्हें पात्र बता सके और अपने ख़ज़ाने भर सकें.

इस मामले के एनडीटीवी ने मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव से सवाल किया था उन्होंने कहा था  सरकार को "पिछली गलतियों से सीखना होगा" और उन्होंने यह सुनिश्चित करने के लिए कई निर्देश जारी किए हैं कि ऐसी अनियमितताएं न हों.

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