केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) मध्य प्रदेश में 600 से ज्यादा नर्सिंग कॉलेजों की जांच कर रहा है. यहां कई संस्थान प्रॉपर फैकल्टी और इंफ्रास्ट्रक्चर के बिना चल रहे थे. NDTV ने मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में एक ऐसे कॉलेज का दौरा किया. आपको जानकर हैरानी होगी कि महज 3 कमरों में ये नर्सिंग कॉलेज चल रहा था. कागजों में यहां 100 बेड दिखाए गए थे. इस नर्सिंग कॉलेज को मेडिकल एजुकेशन के पूर्व डायरेक्टर ऑपरेट कर रहे थे.
राज्य में 'भूतिया' नर्सिंग कॉलेज चलाए जाने के आरोपों के बीच अगस्त में ऐसे 19 संस्थानों की मान्यता रद्द कर दी गई थी. अगले महीने मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने 2020-21 के दौरान रजिस्टर्ड सभी 670 नर्सिंग कॉलेजों की सीबीआई जांच का आदेश दिया था.
कॉलेज या घर?
NDTV ने भोपाल की डेटा कॉलोनी में सविता इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ साइंस का दौरा किया. हमारी टीम ने पाया कि ये नर्सिंग कॉलेज 3 मंजिला रेजिडेंशियल बिल्डिंग की सिर्फ एक मंजिल पर चलाया जा रहा है. मध्य प्रदेश में मेडिकल एजुकेशन के पूर्व डायरेक्टर एनएम श्रीवास्तव इसे ऑपरेट करते हैं. ये कॉलेज नर्सिंग में बीएससी के साथ-साथ डिप्लोमा कोर्स भी कराता है.
इस बिल्डिंग में घुसते ही पहली नज़र दीवार पर चस्पा किए गए एक कागज पर जाती है. इसमें कॉलेज में किसी के मौजूद नहीं होने पर कॉल करने के लिए नंबरों की लिस्ट दी गई है. ग्राउंड फ्लोर और दूसरी मंजिल पर निवासी रहते हैं. कॉलेज सिर्फ पहली मंजिल पर चलता है.
कॉलेज में किसी के मौजूद नहीं होने पर NDTV की टीम ने दीवार पर चिपकाए गए कागज पर लिखे एक नंबर पर कॉल किया. फोन उठाने वाले ने बताया कि उनमें से दो कमरों में लैब थीं. एक समय में संस्थान पूरी बिल्डिंग से चलता था. शख्स ने यह भी दावा किया कि उन्होंने ट्रेनिंग के लिए एक अस्पताल के साथ टाई-अप किया है. ऐसा करना नियमों के खिलाफ है.
चौंकाने वाली बात यह है कि कॉलेज 2015-16 में शुरू हुआ था. तब से कम से कम चार बैच यहां से ग्रैजुएट हो चुके हैं. इससे अस्पतालों में काम करने वाली कुछ नर्सों की ट्रेनिंग पर भी सवाल उठ रहे हैं. आखिरी बैच 2020 में शामिल किया गया था. फिलहाल किसी नए छात्र को एडमिशन नहीं दिया जा रहा है, क्योंकि मामले की जांच चल रही है.
खतरे में भविष्य
नर्सिंग कॉलेज में छात्रों का आखिरी बैच 3 साल से फर्स्ट ईयर में है. क्योंकि कोई एग्जाम ही नहीं हुआ है. NDTV ने सविता इंस्टीट्यूट और ऐसे अन्य कॉलेजों के छात्रों के विरोध-प्रदर्शन में भाग लिया. कुछ छात्रों ने भविष्य के साथ खिलवाड़ करने वाले संस्थानों की आपबीती बताई है.
NDTV से कुछ छात्रों ने कहा कि एक ही या फैकल्टी मेंबर 15 कॉलेजों में पढ़ाते हैं. कई कॉलेजों में वर्षों से कोई परीक्षा नहीं हुई. NDTV की पड़ताल में हमें पता चला कि जेम्स थॉमस नाम का शख्स भोपाल, ग्वालियर और जबलपुर के 10 कॉलेजों में पढ़ाता है. कुछ कॉलेजों में प्रिंसिपल और कुछ में एसोसिएट प्रोफेसर भी हैं. फैकल्टी मेंबर कुमारी लीना 18 और विष्णु कुमार स्वर्णकार15 कॉलेजों में पढ़ाते हैं.
कुछ छात्रों ने कहा कि ग्रैजुएशन की पढ़ाई के दौरान गुजारा करने के लिए उन्होंने कॉल सेंटर और पेट्रोल पंपों पर नौकरी की. नर्सिंग कॉलेज के छात्र अजय रजक ने कहा, "हम शहर में किराए पर रहते हैं और कर्ज चुकाते हैं. परीक्षा नहीं होने पर बहुत दबाव होता है. यह चार साल की डिग्री है. तीन साल हो गए हैं. पहले साल की परीक्षा अभी भी नहीं हुई है. हिमांशु शेखर नाम के एक छात्र ने कहा, "शिक्षा विभाग को फर्स्ट ईयर और सेकेंड ईयर के छात्रों को बढ़ावा देने और थर्ड ईयर की परीक्षा आयोजित करने की जरूरत है. हमारे भविष्य के साथ खिलवाड़ करना ठीक नहीं है."
मंत्रियों ने क्या कहा?
इस बारे में मध्य प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री प्रभुराम चौधरी ने कहा, "हम हर समय चीजों को बेहतर बनाने के लिए काम कर रहे हैं. हमने डॉक्टरों की भर्ती बढ़ा दी है. नर्सें और पैरामेडिकल स्टाफ की भी भर्ती की जा रही है."
नर्सिंग कॉलेज घोटाले के बारे में विशेष रूप से पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि मामला अदालत में विचाराधीन है. इस पर टिप्पणी करना उचित नहीं होगा. वहीं, चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग ने भी कहा कि मामला अदालत में है. इस पर कोई बयान नहीं दे सकते.
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