मध्‍य प्रदेश में 'संबल योजना' हो चुकी रीलांच लेकिन लाभार्थी अभी भी कर रहे खाते में राशि आने का इंतजार

कमलनाथ सरकार के सत्ता में आने के बाद इस योजना को बंद कर दिया गया था और 'नया सवेरा' योजना शुरू की थी.कई दफे हितग्राहियों के खातों में पैसे भेजे गये भी होंगे, लेकिन कई परिवार ऐसे भी हैं जो पैसे का इंतजार कर रहे हैं.

मध्‍य प्रदेश में 'संबल योजना' हो चुकी रीलांच लेकिन लाभार्थी अभी भी कर रहे खाते में राशि आने का इंतजार

शिवराज सिंह ने पिछले साल सत्ता संभालने के बाद मुख्यमंत्री जन कल्याण संबल योजना को रिलांच किया है

भोपाल:

मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने सत्ता संभालने के बाद मुख्यमंत्री जन कल्याण संबल योजना को रिलांच किया है. असंगठित क्षेत्र के कामगारों के लिए 2018 में मुख्यमंत्री जन कल्याण संबल योजना शुरू की गई थी. बाद में कमलनाथ सरकार के सत्ता में आने के बाद इस योजना को बंद कर दिया गया था और 'नया सवेरा' योजना शुरू की थी.कई दफे हितग्राहियों के खातों में पैसे भेजे गये भी होंगे, लेकिन कई परिवार ऐसे भी हैं जो पैसे का इंतजार कर रहे हैं. मुख्‍यमंत्री शिवराज सिंह इस बारे में कहते हैं, 'दुख की बात है संबल योजना बंद कर दी. गरीबों की ताकत संबल. अरे भैया, गरीबों को भी मुस्कुराने का हक और जीने का अधिकार है. हमने संबल में यही तो तय किया है. जात-पात पूछे नहीं कोई हरि को पूजे सो हरि को होई. क्यों भैया कमलनाथ काहे को बंद कर दी थी तुमने.'

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एक हितग्राही रवि माली ने कहा, 'संबल योजना में मुख्यमंत्री जी ने दो-दो बार क्लिक करा मगर पैसे खाते में नहीं आए हैं. पैसा जाता कहां है ये अगर डालते हैं तो.' रवि अकेले आश्वासन पर सवाल नहीं उठा रहे. आगर मालवा के अर्जुन नगर में रहने वाली जरीना के पति जावेद की 28 जनवरी 2019 को एक दुर्घटना में मौत हो गई, जावेद का संबल योजना में पंजीयन था, उनके चार बच्चे हैं. कमाई का कोई जरिया नहीं है. चार लाख 4 लाख का प्रकरण बनता था. कागज आते-आते 11 नवंबर 2019 को दो लाख रुपये की स्वीकृति हुई, आज तक मिला कुछ नहीं. बेटी मुस्कान 8वीं के बाद पढ़ नहीं पाई. मां की मदद करती है, प्याज-लहसुन छीलती हैं तब जाकर15-20 रु. मिलते हैं और घर चलता है. उनका 14 साल का बेटा भी मजदूरी करता है. जावेद की पत्नी जरीना बताती हैं, 'कुछ नहीं मिला, 2 साल से उम्मीद लगाई लेकिन कुछ नहीं मिला. मैं ये चाहती हूं थोड़ी मदद मिले तो घर खर्च चल जाए और बच्चों की पढ़ाई भी हो जाए.' जरीना की बेटी मुस्‍कान कहती है-मैं स्‍कूल में पढ़ना चाहती हूं. दो किलोमीटर दूर आकाश 50 रुपये साहूकार से लेकर मां के साथ घर के अंदर दुकान चलाते हैं. पिता की बीमारी में इन्‍होंने ढाई लाख रुपये का कर्ज लिया था.संबल योजना में 2 लाख रुपये की राशि स्वीकृत हुई. 24 सितंबर 2020 को एक कार्यक्रम में मंत्री इंदरसिंह परमार ने स्वीकृति का प्रमाण पत्र दे दिया. यहां तक कि अखबारों में फोटो भी छप गई लेकिन पैसा नहीं मिला. गोपाल गवली के पुत्र आकाश कहते हैं,'हमने संबल में आवेदन किया था लेकिन किसी तरह की राशि नहीं मिली है. शिक्षा मंत्री परमार जी भी मौजूद थे, वहीं कार्ड दिया था बोला था राशि डाल दी जाएगी लेकिन पैसा अब तक नहीं आया.' 

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इसी तरह शबीना 30 साल की हैं, वे बच्चों को पालने का और घरेलू काम करती हैं. 13 साल का बड़ा बेटा भी स्कूल जाने के बजाय घर के खर्चों के इंतजाम में लगा रहता है. इन्हें भी पति फिरोज की मौत के बाद 2 लाख की स्वीकृति मिली. कई कार्यक्रमों में बुलाया गया, फोटो खिंची अखबार में छपा ... नेता-अधिकारी मौजूद रहे लेकिन सालभर बीतने को है पैसे नहीं मिले. शबाना भी बताती हैं, 'स्वीकृति पत्र मिला था, मुख्यमंत्री की मीटिंग में गई थी तब बोला गया था कि खाते में पैसे डाल दिये हैं लेकिन अभी तक पैसे नहीं मिले हैं.'


छोटा गवलीपुरा के गोपाल गवली संबल योजना में पंजीकृत थे, करीब डेढ़ साल पहले दुनिया छोड़ कर चले गए, बेटे गंभीर के लिए रोज कार्यालय के चक्कर लगाना और बैंक खाता चेक करना दिनचर्या में शामिल हो गया है. मां की बीमारी के इलाज का खर्च जुटा पाना मुश्किल हो रहा है. गोपाल बताता है,'राशि नहीं मिल रही है.हम मजदूरी करते हैं, राशि का इंतजार है मिल जाए तो अच्छे अस्पताल में इलाज कराएं.'हालांकि कंप्यूटर ऑपरेटर संदीप नागर कहता है, 'जैसे ही आवेदन आता है भौतिक सत्यापन करते हैं, फिर पात्र होता है तो आवेदन आगे बढ़ता है आवेदक के खाते में पैसा ट्रांसफर होता है.' लेकिन कई लोग ऐसे भी हैं जिन्‍हें अब तक पैसा नहीं मिली है. सरकार की इस बारे में अपनी दलील है. कैबिनेट मंत्री विजय शाह कहते हैं, 'संबल के पैसे जिसके रह गये हैं, मिल जाएंगे.योजना को चालूकरने का उद्देश्य यही है कि मदद हो. जो भी संभव होगा,करेंगे. 

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कांग्रेस पार्टी की बात करें तो कमलनाथ सरकार के कार्यकाल में संबल योजना को बंद करने का मन चुकी इस पार्टी के सुर अब बदल गए है. वह सरकार की नीयत और नीति में दोष बता रही है. कांग्रेस नेता और पूर्व मंत्री जीतू पटवारी ने कहा, 'शिवराज सिंह केवल भाषण और हेडलाइन की सरकार चला रहे हैं वो जब से आए हैं. पेंशन नहीं मिल रही है. मरने के बाद भी न्याय नहीं हो रहा है.मैं मानता हूं ये अन्याय है, न्‍याय होना चाहिए. सरकारी इश्तेहारों में 'मजदूर मजबूर नहीं है', यह बात की जाती है लेकिन सच ये है कि मजदूरों के दर्द और तकलीफों की हजारों कहानियां यहां वहां बिखरी पड़ी दिखती हैं. बस वक़्त का इंतजार है कि इनके हक़ की बात कब छेड़ी जाएगी.

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क्‍या है संबल योजना
दरअसल संबल योजना में असंगठित श्रमिकों को लाभांवित करने का प्रावधान है. असंगठित श्रमिक जो 18 से 60 वर्ष की आयु के हों, जिनके पास 1 हैक्टेयर से ज्यादा जमीन या सरकारी कर्मचारी हैं वो इसके अपात्र हैं.योजना में पंजीकृत मजदूर की मृत्यु होने पर 5 हजार रुपए अंत्येष्टि राशि , सामान्य मृत्यु पर दो लाख रुपए और दुर्घटना में मृत्यु होने पर 4 लाख रुपए अनुग्रह राशि दिए जाने का प्रावधान है. लाभ लेने के लिये पंजीयन, मृत्यु प्रमाण पत्र , आधार कार्ड, राशन कार्ड, नामांकित, आधार कार्ड, बैंक खाता ज़रूरी है. सरकारी वेबसाइट कहती है 12436 हितग्राहियों को दुर्घटना में मृत्यु पर 495 करोड़सामान्य मृत्यु पर 100848 हितग्राहियों को 2012 करोड़ रूपये वितरित किए गए.