बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (फाइल फोटो)।
पटना:
भारतीय जनता पार्टी , रामजन्मभूमि का मुद्दा, उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव के मद्देनजर उछाल रही है। यह कहना है बिहार के मुख्यमंत्री, नीतीश कुमार का। बाबरी मस्जिद के विध्वंस के 23 साल पूरे होने पर रविवार को नीतीश कुमार ने बीजेपी पर आरोप लगाया कि वह भगवान राम को राजनैतिक अस्त्र के रूप में इस्तेमाल करना चाहती है।
भागवत का राम मंदिर आलाप राजनीति से प्रेरित
नीतीश ने चुटकी लेते हुए व्यंग्य किया कि पहली बार उनके सहयोगी भी अब मंदिर निर्माण की तारीख के बारें में पूछ रहे हैं, इसलिए भारतीय जनता पार्टी को तारीख का ऐलान करना चाहिए। हालांकि नीतीश ने कहा कि ''दरअसल बीजेपी लोगों को इस मुद्दे पर भ्रम की स्थिति में रखना चाहती है। जब यह तय है कि इस मुद्दे का समाधान या तो सर्वोच्च न्यायालय के आदेश या सभी पक्षों की सहमति से हो सकता है तब आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत द्वारा राम मंदिर का राग अलापना राजनीति से प्रेरित है।''
नीतीश ने बीजेपी पर यह भी आरोप लगाया कि उन्हें लगता है कि भगवान राम उनके अपने हैं, जबकि सच्चाई है कि उनमें आस्था हिन्दू धर्म के बहुसंख्यक लोगों की है, लेकिन उनका धर्म से कोई लेना देना नहीं है।
राम मंदिर और साम्प्रदायिकता के मुद्दों पर मुखर
यह भी उलेखनीय है कि नीतीश कुमार ने जब समता पार्टी के दिनों में 1995 में बीजेपी से राजनीतिक तालमेल किया था तब तीन शर्तें रखी थीं कि बीजेपी राम मंदिर का मुद्दा, अनुच्छेद 370 और सामान आचार संहिता का मुद्दा नहीं उठाएगी, लेकिन बीजेपी के साथ संबंध खत्म करने के समय भी नीतीश ने यह आशंका जताई थी कि नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली भारतीय जनता पार्टी इन तीनों मुद्दों को उठाने से परहेज नहीं करेगी। लेकिन बिहार के चुनाव परिणाम के बाद नीतीश राम मंदिर और साम्प्रदियकता के मुद्दे पर और मुखर हुए हैं।
भागवत का राम मंदिर आलाप राजनीति से प्रेरित
नीतीश ने चुटकी लेते हुए व्यंग्य किया कि पहली बार उनके सहयोगी भी अब मंदिर निर्माण की तारीख के बारें में पूछ रहे हैं, इसलिए भारतीय जनता पार्टी को तारीख का ऐलान करना चाहिए। हालांकि नीतीश ने कहा कि ''दरअसल बीजेपी लोगों को इस मुद्दे पर भ्रम की स्थिति में रखना चाहती है। जब यह तय है कि इस मुद्दे का समाधान या तो सर्वोच्च न्यायालय के आदेश या सभी पक्षों की सहमति से हो सकता है तब आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत द्वारा राम मंदिर का राग अलापना राजनीति से प्रेरित है।''
नीतीश ने बीजेपी पर यह भी आरोप लगाया कि उन्हें लगता है कि भगवान राम उनके अपने हैं, जबकि सच्चाई है कि उनमें आस्था हिन्दू धर्म के बहुसंख्यक लोगों की है, लेकिन उनका धर्म से कोई लेना देना नहीं है।
राम मंदिर और साम्प्रदायिकता के मुद्दों पर मुखर
यह भी उलेखनीय है कि नीतीश कुमार ने जब समता पार्टी के दिनों में 1995 में बीजेपी से राजनीतिक तालमेल किया था तब तीन शर्तें रखी थीं कि बीजेपी राम मंदिर का मुद्दा, अनुच्छेद 370 और सामान आचार संहिता का मुद्दा नहीं उठाएगी, लेकिन बीजेपी के साथ संबंध खत्म करने के समय भी नीतीश ने यह आशंका जताई थी कि नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली भारतीय जनता पार्टी इन तीनों मुद्दों को उठाने से परहेज नहीं करेगी। लेकिन बिहार के चुनाव परिणाम के बाद नीतीश राम मंदिर और साम्प्रदियकता के मुद्दे पर और मुखर हुए हैं।
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