Loksabha Election 2024: दिल्ली में कांग्रेस का कितना नुकसान करेंगे अरविंदर सिंह लवली, इन चुनावों में मिली थी हार

अरविंदर सिंह लवली ने दूसरी बार दिल्ली कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दिया है. इससे पहले 2015 में विधानसभा चुनाव में मिली हार के बाद उन्होंने इस्तीफा दिया था. लवली 2020 का विधानसभा और 2019 का लोकसभा चुनाव हार चुके हैं.

Loksabha Election 2024: दिल्ली में कांग्रेस का कितना नुकसान करेंगे अरविंदर सिंह लवली, इन चुनावों में मिली थी हार

नई दिल्ली:

दिल्ली कांग्रेस कमेटी (Delhi Congress Committee) के प्रमुख अरविंदर सिंह लवली (Arvinder Singh Lovely)ने रविवार को अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया. कांग्रेस आलाकमान ने उनका इस्तीफा स्वीकार कर लिया है. दिल्ली में लोकसभा चुनाव (Loksabha Election 2024)के लिए नामांकन शुरू होने से एक दिन पहले आए इस्तीफे ने कांग्रेस को असहज कर दिया. कांग्रेस प्रमुख को लिखे इस्तीफे में लवली ने इस्तीफा देने के कई कारण बताए हैं.हालांकि लवली ने यह साफ कर दिया है कि उन्होंने अध्यक्ष का पद छोड़ा है, कांग्रेस नहीं.वहीं उनके भाजपा (BJP)में जाने की भी चर्चा गर्म है.

दिल्ली में लोकसभा का चुनाव

लवली का इस्तीफा ऐसे समय आया है जब दिल्ली में चुनाव प्रचार जोर पकड़ रहा है. इस बार के चुनाव के लिए कांग्रेस और आम आदमी पार्टी ने समझौता किया है. इसके तहत आम आदमी पार्टी चार और कांग्रेस तीन सीटों पर चुनाव लड़ रही हैं. कांग्रेस के हिस्से में उत्तर पूर्वी दिल्ली, चांदनी चैक और उत्तर पश्चिमी दिल्ली लोकसभा सीट आई है. वहीं पूर्वी दिल्ली, दक्षिणी दिल्ली, नई दिल्ली और पश्चिमी दिल्ली पर आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार चुनाव मैदान में हैं. 

लवली ने अपने इस्तीफे के कारणों में एक कारण इस समझौते को भी बताया है. उनका कहना है कि जो पार्टी कांग्रेस और कांग्रेस नेताओं के खिलाफ झूठे, मनगढ़ंत और दुर्भावनापूर्ण आरोप लगा कर ही अस्तित्व में आई थी, उससे गठबंधन से कांग्रेस की दिल्ली इकाई असहज थी. हालांकि फऱवरी में जब इस समझौते की घोषणा की गई तो लवली ने उस समय इसका स्वागत करते हुए कहा था कि गठबंधन दिल्ली की सभी सात सीटों पर जीत दर्ज करेगा.आप ने 2015 में पहली बार दिल्ली में 49 दिन की सरकार बनाई थी. इस सरकार को कांग्रेस का समर्थन हासिल था.कहा जाता है कि आप को समर्थन के पीछे भी लवली का ही दिमाग था. 

दिल्ली में कैसी है कांग्रेस की हालत

साल 2015 के विधानसभा चुनाव में आप ने कांग्रेस को शून्य पर पहुंचा दिया था.उस समय दिल्ली कांग्रेस कमेटी का अध्यक्ष का पद अरविंदर सिंह लवली के ही पास था.इस हार के बाद लवली ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया था.इस हार के बाद कांग्रेस दिल्ली में कभी उबर नहीं पाई, न विधानसभा के चुनाव में और न ही लोकसभा चुनाव में.

उत्तर पूर्वी दिल्ली से उदित राज और उत्तर पश्चिमी दिल्ली से कन्हैया कुमार को टिकट दिए जाने से लवली नाराज बताए जा रहे हैं.उन्होंने इन दोनों उम्मीदवारों को बाहरी बताया है.कन्हैया की उम्मीदवारी के खिलाफ दिल्ली प्रदेश कांग्रेस कार्यालय पर प्रदर्शन भी हुआ था.  

लवली के इस्तीफे के समय को लेकर सवाल उठाए जा रहे हैं. उनका इस्तीफा ऐसे समय आया है, जब दिल्ली में लोकसभा चुनाव का प्रचार जोर पकड़ रहा है.हालांकि अब तक के चुनाव में प्रचार में कांग्रेस खेमे में बहुत उत्साह नजर नहीं आ रहा है. दिल्ली में इंडिया गठबंधन का जो प्रचार हो रहा है, उसमें आप के नेता और कार्यकर्ता आगे हैं. कांग्रेस का दिल्ली में यह हाल तब है, जब दिल्ली में वह रसातल में जा चुकी है. ऐसे में अध्यक्ष रहते हुए लवली की यह जिम्मेदारी थी कि वो कांग्रेस के चुनाव प्रचार को बढ़ाते और कार्यकर्ताओं में जोश बढ़ाते लेकिन इसकी जगह उन्होंने इस्तीफा देना बेहतर समझा. अब इस बात के कयास लगाए जा रहे हैं कि वो भाजपा में शामिल हो सकते हैं. चर्चा तो इस बात की भी है कि भाजपा उन्हें पूर्वी दिल्ली लोकसभा सीट से उम्मीदवार बना सकती है. हालांकि भाजपा ने इस सीट पर अपने उम्मीदवार हर्ष मल्होत्रा का नाम पहले ही घोषित कर चुकी है.

लवली पहले भी जा चुके हैं भाजपा

लवली के भाजपा में जाने की खबरें निराधार नहीं हैं. वो 2017 में उस समय कांग्रेस से इस्तीफा देकर भाजपा में शामिल हो गए थे, जब एमसीडी के चुनाव चल रहे थे. भाजपा में उन्हें बहुत कुछ हासिल नहीं हुआ, इसके बाद वो 2018 की शुरूआत में ही कांग्रेस में लौट आए थे. इसके बाद कांग्रेस ने उन्हें पूर्वी दिल्ली लोकसभा सीट से उम्मीदवार बनाया था. लेकिन उन्हें बीजेपी के गौतम गंभीर के हाथों में करीब चार लाख वोटों के अंतर से हार का सामना करना पड़ा था. 

लोकसभा चुनाव में पूर्वी दिल्ली लोकसभा सीट पर मिली करारी हार के बाद भी कांग्रेस ने उन्हें 2020 के विधानसभा चुनाव में गांधीनगर सीट से टिकट दिया. लेकिन वो तीसरे स्थान पर रहे.यह सीट भाजपा ने जीती थी. गांधीनगर वह सीट है, जहां से लवली 1998 से 2015 तक लगातार चार बार विधायक चुने गए थे. लवली शीला दीक्षित की सरकार में कई महत्वपूर्ण विभागों के मंत्री भी रहे. 

दिल्ली में पंजाबी मतदाता

लवली के इस्तीफे से कयास लगाए जा रहे हैं कि इससे कांग्रेस से सिख और दूर हो सकते हैं, जो 1984 के सिख विरोधी दंगों के बाद से ही उससे नाराज हैं. कहा जा रहा है कि लवली के इस्तीफे और कांग्रेस छोड़ने की स्थिति में इंडिया गठबंधन को दिल्ली के कुछ सिख बहुल इलाकों जैसे तिलक नगर, हरिनगर, राजौरी गार्डेन, लक्ष्मी नगर, सिविल लाइंस और जंगपुरा जैसे इलाकों में नुकसान उठाने की आशंका जताई जा रही है. 

दिल्ली की हरी नगर, तिलक नगर, जनकपुरी, मोती नगर,राजेंद्र नगर, विकासपुरी, राजौरी गार्डन, ग्रेटर कैलाश, जंगपुरा, मॉडल टाऊन, लक्ष्मी नगर, रोहणी और गांधी नगर विधानसभा सीटों पर पंजाबी समुदाय के मतदाताओं की संख्या ज्यादा है. इनमें से रोहिणी, गांधीनगर और लक्ष्मी नगर पर भाजपा और बाकी की सीटों पर आप का कब्जा है. 

ऐसे में लगता है कि संभावित नफा-नुकसान का आकलन करने के बाद ही कांग्रेस आलाकमान ने लवली का इस्तीफा मंजूर करने में देरी नहीं की. उम्मीद की जा रही है कि सोमवार तक दिल्ली प्रदेश कांग्रेस कमेटी के कार्यकारी अध्यक्ष के नाम का ऐलान किया जा सकता है. लेकिन लवली के इस्तीफे के प्रभाव का पता लगाने के लिए हमें चार जून तक इंतजार करना होगा, जब लोकसभा चुनाव के नतीजे आएंगे. 

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