समाजवादी पार्टी ने इस लोकसभा चुनाव में ऐतिहासिक प्रदर्शन किया है.सपा ने इस बार 62 सीटों पर चुनाव लड़ा था. इसमें से उसे 37 सीटों पर जीत मिली है.इस जीत के साथ ही सपा संसद में बीजेपी और कांग्रेस के बाद तीसरी सबसे बड़ी पार्टी बन गई है. सपा की इस जीत में सबसे बड़ा योगदान ओबीसी मतदाताओं का रहा है.सपा के 37 सांसदों में से 20 ओबीसी के है. इसमें भी सबसे बड़ी संख्या कुर्मी जाति के लोगों की है. आइए देखते हैं कि सपा ने कैसे किया है यह कमाल.
सपा के सांसदों का जातीय गणित
सपा के जो 37 सांसद जीते हैं, उनमें ओबीसी के 20, दलित समाज के आठ और चार मुसलमान हैं.वहीं सवर्ण जातियों में एक सांसद ब्राह्मण, एक वैश्य और एक भूमिहार है. इसके अलावा दो राजपूत सांसद सपा के टिकट पर चुने गए हैं. इस चुनाव में बड़ा प्रयोग करते हुए सपा ने दो सामान्य सीटों अयोध्या और मेरठ में दलित उम्मीदवार उतार दिए थे. सपा का यह प्रयोग सफल रहा. अयोध्या में उसके उम्मीदवार अवधेश प्रसाद ने बीजेपी के लल्लू सिंह को हरा दिया. वहीं मेरठ में सपा की दलित उम्मीदवार सुनीता वर्मा केवल 10 हजार वोटों से बीजेपी के अरुण गोविल से हार गईं.
बीजेपी को सपा ने कैसे दी मात
सपा ने इस चुनाव में 27 ओबीसी को टिकट दिए थे. इनमें सबसे अधिक 10 टिकट कुर्मी जाति के लोगों को दिए गए. उत्तर प्रदेश में कुर्मी यादवों के बाद दूसरी सबसे बड़ी ओबीसी जाति है. साल 2014 और 2019 के चुनाव में बीजेपी को मिली सफलता में कुर्मी जाति का योगदान बहुत अधिक था. इसलिए इस बार सपा ने बीजेपी को उसी के हथियार से मात दी.सपा ने ऐसी कुर्मी बहुल सीटों की पहचान की, जहां बीजेपी ने गैर ओबीसी उम्मीदवार खड़ा किए थे.इनमें से प्रमुख थी लखीमपुर खीरी और बस्ती की सीट.खीरी को कुर्मी बहुल सीट माना जाता है. लेकिन बीजेपी पिछले दो चुनाव से वहां ब्राह्मण समाज के अजय कुमार मिश्र टेनी को टिकट दे रही थी और वो जीत रहे थे.किसान आंदोलन के दौरान हुए हत्याकांड को लेकर मिश्र को लेकर टेनी में गुस्सा था. इस बार सपा ने वहां से कु्र्मी जाति के उत्कर्ष वर्मा को टिकट दिया. उत्कर्ष ने अजय को 34 हजार से अधिक वोटों से मात दे दी. वहीं बस्ती में बीजेपी के हरीश द्विवेदी पिछले दो चुनाव से जीत रहे थे. वहां सपा ने एक बार फिर राम प्रसाद चौधरी पर भरोसा जताया. उन्होंने पार्टी के भरोसे पर खरा उतरते हुए जीत दर्ज की. वह भी तब जब बसपा ने भी वहां से एक कुर्मी उम्मीदवार उतारा था.
कौन कौन पहुंचा लोकसभा
इन दोनों के अलावा कुर्मी जाति के बांदा से कृष्णा देवी पटेल, फतेहपुर से नरेश उत्तम पटेल, प्रतापगढ़ से एसपी सिंह पटेल, अंबेडकर नगर से लालजी वर्मा और श्रावस्ती से राम शिरोमणि वर्मा सांसद चुने गए हैं.सपा ने बहुत सोच-समझ कर बीजेपी के ब्राह्मण उम्मीदवारों के खिलाफ कुर्मी उम्मीदवार खड़े किए.ऐसा इसलिए कि प्रदेश में कुर्मी और ब्राह्मण को बीजेपी का कोर वोटर माना जाता है. सपा ने बांदा को छोड़कर किसी भी ऐसी सीट पर कुर्मी प्रत्याशी नहीं दिए,जिस पर बीजेपी या उसके सहयोगी अपना दल का उम्मीदवार कुर्मी हो.ब्राह्मण बनाम कुर्मी की अखिलेश की यह रणनीति कामयाब रही है. बीजेपी इसका काट नहीं खोज पाई.
वहीं अगर सपा-कांग्रेस के उम्मीदवारों की बात करें तो उनमें 33ओबीसी ,19 दलित और छह मुस्लिम शामिल हैं.कांग्रेस के छह सासंदों की बात करें तो उसमें राकेश राठौड़-ओबीसी ,तनुज पुनिया-दलित, इमरान मसूद-मुसलमान, राहुल गांधी-ब्राह्मण, उज्जवल रेवती रमन सिंह-भूमिहार हैं और केएल शर्मा- ब्राह्मण हैं.
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