लोकसभा चुनाव में एक बार फिर नोएडा-ग्रेटर नोएडा में रजिस्ट्री बड़ा मुद्दा बन गया है.घर खरीदारों का आरोप है कि सरकार इस पर गंभीर नहीं है, जबकि सरकार का कहना है कि उसने अमिताभ कांत कमेटी की सिफ़ारिशों को मंज़ूरी दी है, जिससे रजिस्ट्री होनी शुरू हो गई है. हकीकत क्या है,जानें इस रिपोर्ट में...
नो रजिस्ट्री, नो वोट के बैनर
नोएडा, ग्रेटर नोएडा की अलग-अलग सोसायटियों में ये बैनर फिर लगने लगा है कि नो रजिस्ट्री, नो वोट. यहां के लोग इन बैनरों के जरिए अपनी नाराजगी जाहिर कर रहे हैं. नोएडा के सेक्टर 46 की गार्डेनिया ग्लोरिया सोसायटी में निवासियों का कहना है कि चुनाव में वोट लेते वक्त नेता वादा करते हैं कि रजिस्ट्री करवा देंगे, लेकिन चुनाव जीतने के बाद कोई झांकने तक नहीं आते हैं. बिल्डर का बकाया है, जिसे अथॉरिटी नहीं ले पाई, अब उनकी रजिस्ट्री रोक कर उन्हें परेशान किया जा रहा है. ग्रेटर नोएडा वेस्ट की कई सोसायटियों में भी लोगों में नाराज़गी है. पिछले डेढ़ साल से रजिस्ट्री की मांग को लेकर ग्रेटर नोएडा वेस्ट में कई बार विरोध प्रदर्शन हुआ है.
एनसीआर में क़रीब 2.4 लाख फ़्लैट ऐसे हैं जो प्रभावित हैं.इनमें 1.2 लाख फ़्लैट सालों से लटके हुए हैं, वहीं 1.2 लाख फ़्लैट लोगों को मिल तो गए हैं, लेकिन उनकी रजिस्ट्री नहीं हुई है.
इस समस्या पर सुझाव के लिए अमिताभ कांत कमेटी बनी. कमेटी की कई सिफ़ारिशों को यूपी सरकार ने मंज़ूरी दी...
- बिल्डरों को दो साल ज़ीरो पीरियड का लाभ दिया गया. यानी उन पर उस दौरान जो ब्याज लगा उससे राहत दी गई.
- बिल्डरों को 60 दिन में 25% राशि जमा कराने को कहा गया
- जो बिल्डर ये पैसा जमा करेंगे, वहां रजिस्ट्री शुरू होने की बात है
- लेकिन इसका फ़ायदा उन प्रोजेक्ट को नहीं मिल रहा है जिनका केस एनसीएलटी में है
कब तक ज़्यादातर घरों की रजिस्ट्री शुरू होगी, इस पर अथॉरिटी के वरिष्ठ अधिकारी से बात करने की कोशिश, लेकिन आचार संहिता की वजह से उन्होंने बात करने से मना कर दिया.
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