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क्या 2024 में राजनीतिक दलों के बीच डिजिटल युद्ध भी हुआ था... देखें ये आंकड़े

2024 के लोकसभा चुनाव में कुल चुनावी खर्च 1.35 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गया था, जो इससे पहले के दुनिया के सबसे महंगे 2020 के अमेरिका राष्ट्रपति चुनाव (1.2 लाख करोड़ रुपये) से भी अधिक था.

क्या 2024 में राजनीतिक दलों के बीच डिजिटल युद्ध भी हुआ था... देखें ये आंकड़े
  • 2024 का लोकसभा चुनाव आधिकारिक तौर पर दुनिया के सबसे महंगे चुनावों में दर्ज हो चुका है.
  • CSDS के मुताबिक, इस चुनाव में बीजेपी ने गूगल विज्ञापनों पर 56 करोड़, कांग्रेस ने 21 करोड़ खर्चे थे.
  • साइलेंस पीरियड में बीजेपी के 16% और कांग्रेस के 73% विज्ञापन नियमों का उल्लंघन करते पाए गए.
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2024 के लोकसभा चुनाव जिन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लगातार तीसरी बार सत्ता में पहुंचाया, आधिकारिक तौर पर दुनिया के सबसे महंगे चुनावों में दर्ज हो चुका है. सेंटर फॉर मीडिया स्टडीज (CMS) की रिपोर्ट के अनुसार, कुल चुनावी खर्च 1.35 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गया था, जो इससे पहले के दुनिया के सबसे महंगे 2020 के अमेरिका राष्ट्रपति चुनाव (1.2 लाख करोड़ रुपये) से भी अधिक था.

सेंटर फॉर द स्टडी ऑफ डेवलपिंग सोसाइटीज (CSDS) ने Advertisements, Trends and Targeting Tactics: Digital Campaign Strategies in the 2024 Lok Sabha Elections नामक रिपोर्ट जारी की है. इस रिपोर्ट में प्रमुख राजनीतिक दलों की डिजिटल रणनीतियों और उनके ऑनलाइन खर्च का विश्लेषण किया गया है.

डिजिटल विज्ञापन: कांग्रेस से दोगुना खर्च बीजेपी का

CSDS रिपोर्ट के अनुसार, बीजेपी ने 2024 लोकसभा चुनाव अभियान में गूगल विज्ञापनों पर लगभग 560 मिलियन रुपये खर्च किए. यह कांग्रेस के ₹210 मिलियन खर्च से अधिक से दोगुना है. बीजेपी ने गूगल पर 2,25,695 विज्ञापन चलवाए, जबकि कांग्रेस के केवल 9,251 विज्ञापन थे. बीजेपी के अधिकतर विज्ञापन 20 दिनों से ज्यादा नहीं चले, जबकि कांग्रेस के 60% विज्ञापन 21 से 40 दिनों तक चले, जो एक अलग रणनीति को दर्शाता है.

बीजेपी ने 1,494 करोड़, कांग्रेस ने 620 करोड़ खर्चे

गूगल ऐड्स ट्रांसपेरेंसी सेंटर के अनुसार, पूरे चुनाव अभियान में करीब 2,60,252 राजनीतिक विज्ञापन चले. खासकर प्रत्येक मतदान चरण से पहले वाले सप्ताह में. इनमें से 87% विज्ञापन बीजेपी के थे, 4% कांग्रेस के और बाकी 9% अन्य दलों व उम्मीदवारों के थे. इस विश्लेषण अवधि में कुल डिजिटल विज्ञापन खर्च 1.19 अरब रुपये रहा. इसमें बीजेपी का हिस्सा करीब 47% और कांग्रेस का 18% था.

भारत निर्वाचन आयोग (ECI) के Atlas के अनुसार, 2024 में हर लोकसभा उम्मीदवार ने औसतन 57 लाख रुपये खर्च किए. एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) के आंकड़े बताते हैं कि बीजेपी ने 1,494 करोड़ रुपये खर्च किए, जो कुल पार्टी चुनावी खर्च का 44.56% था. कांग्रेस ने 620 करोड़ रुपये खर्चे, जो कुल खर्च का 18.5% था.

साइलेंस पीरियड में भी चले हजारों विज्ञापन

आदर्श आचार संहिता (MCC) के तहत मतदान से 48 घंटे पहले साइलेंस पीरियड में किसी भी प्रकार के प्रचार पर रोक है, जिसमें डिजिटल विज्ञापन भी शामिल हैं. लेकिन दोनों प्रमुख दलों ने इस दौरान गूगल पर बड़ी संख्या में विज्ञापन चलवाए. CSDS के अनुसार, साइलेंस पीरियड में बीजेपी के 1,70,921 विज्ञापन सक्रिय थे. कांग्रेस के 8,149 विज्ञापन चल रहे थे. बीजेपी ने इस अवधि में 18.9 करोड़ खर्च किए, जबकि कांग्रेस ने 15.1 करोड़ खर्च किए. विज्ञापन संख्या के मामले में यह अनुपात 21:1 था, लेकिन कांग्रेस का प्रति विज्ञापन खर्च कहीं ज्यादा था.

पहले चरण में कांग्रेस का विज्ञापनों पर खर्च ज्यादा

चुनाव के पहले चरण (19 अप्रैल 2024) में गूगल डेटा के मुताबिक, 67,082 राजनीतिक विज्ञापन सक्रिय थे. इनमें से 60,493 बीजेपी के और 1,882 कांग्रेस के थे. बीजेपी ने इस दौरान 1.5 करोड़ रुपये खर्च किए, जबकि कांग्रेस ने केवल 1,882 विज्ञापनों के लिए ₹1.8 करोड़ खर्च कर दिए, जो प्रति विज्ञापन ज्यादा निवेश दर्शाता है.

कांग्रेस ने ज्यादा किया MCC का उल्लंघन

CSDS ने साइलेंस पीरियड में सक्रिय राजनीतिक विज्ञापनों का विश्लेषण कर उनकी आदर्श आचार संहिता (MCC) और जन प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 के अनुरूपता का आकलन किया. रिपोर्ट में पाया गया कि बीजेपी के 16% और कांग्रेस के 73% विज्ञापन इन नियमों का उल्लंघन करते थे.

पहले चरण के 250 विज्ञापनों के नमूने में कुछ विज्ञापन MCC मानकों का उल्लंघन करते पाए गए. CSDS ने नोट किया कि बीजेपी ने उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद और नगीना जैसी महत्वपूर्ण सीटों में जियो टार्गेटेड विज्ञापन रणनीति अपनाई, जबकि कांग्रेस के विज्ञापनों में यह स्थानीय फोकस नहीं था.

किस चरण में कितने विज्ञापन, कितने उल्लंघन

बीजेपी - 2,996 विज्ञापनों का विश्लेषण:

  • चरण 2: 279 विज्ञापन, 92 उल्लंघन
  • चरण 3: 625 विज्ञापन, 93 उल्लंघन
  • चरण 4: 662 विज्ञापन, 63 उल्लंघन
  • चरण 5: 640 विज्ञापन, 91 उल्लंघन
  • चरण 6: 360 विज्ञापन, 36 उल्लंघन
  • चरण 7: 180 विज्ञापन, 53 उल्लंघन
  • कुल: 2,996 विज्ञापन, 492 (16%) उल्लंघन

कांग्रेस – 958 विज्ञापनों का विश्लेषण:

  • चरण 2: 100 विज्ञापन, 78 उल्लंघन
  • चरण 3: 168 विज्ञापन, 154 उल्लंघन
  • चरण 4: 70 विज्ञापन, 57 उल्लंघन
  • चरण 5: 160 विज्ञापन, 94 उल्लंघन
  • चरण 6: 140 विज्ञापन, 130 उल्लंघन
  • चरण 7: 70 विज्ञापन, सभी 70 उल्लंघन में पाए गए
  • कुल: 958 विज्ञापन, 698 (73%) उल्लंघन

यह दर्शाता है कि कांग्रेस के विज्ञापन उल्लंघन की दर बीजेपी से कहीं ज्यादा थी, जो चुनावी नियम अनुपालन और निगरानी पर गंभीर सवाल खड़े करती है. CSDS रिपोर्ट दर्शाती है कि स्पष्ट और दस्तावेजी उल्लंघनों के बावजूद, भारत निर्वाचन आयोग ने किसी भी दल के खिलाफ ठोस कार्रवाई नहीं की.

आदर्श आचार संहिता के तहत साइलेंस पीरियड मतदान खत्म होने से 48 घंटे पहले की अवधि होती है. इसमें सभी तरह के प्रचार जिसमें ऑनलाइन और डिजिटल विज्ञापन भी शामिल है, प्रतिबंधित होते हैं. इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि मतदाता बिना किसी बाहरी दबाव के निर्णय ले सकें. 

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