कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे के दामाद राधाकृष्ण डोड्डामणि कर्नाटक की गुलबर्गा सीट से आगामी लोकसभा चुनाव के लिए पार्टी टिकट के प्रबल दावेदार के रूप में उभरे हैं. खरगे (81) गुलबर्गा (कलबुरगी) लोकसभा सीट से दो बार जीते हैं लेकिन 2019 के चुनाव में उन्हें हार का सामना करना पड़ा था.
पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने खरगे के कलबुरगी से चुनाव लड़ने के पक्ष में नहीं होने संबंधी खबरों की पुष्टि करते हुए कहा, ‘‘राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष के पास कई जिम्मेदारियां हैं. राष्ट्रीय स्तर पर पार्टी मामलों के प्रबंधन के अलावा उन्हें ‘इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इन्क्लूसिव अलायंस' (INDIA) गठबंधन के भागीदारों के साथ समन्वय करना है.'' उन्होंने कहा, ‘‘ इसके अलावा, राज्यसभा में उनका चार साल से अधिक का कार्यकाल अभी शेष है.''
उनके बेटे प्रियंक खरगे गुलबर्गा क्षेत्र के चित्तपुर विधानसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करते हैं और कर्नाटक में सिद्धरमैया नीत सरकार में मंत्री हैं. वह भी लोकसभा चुनाव लड़ने के इच्छुक नहीं है. पार्टी के एक नेता ने कहा, ‘‘शैक्षणिक संस्थाओं का प्रबंधन करने वाले कारोबारी डोड्डामणि प्रमुख दावेदार प्रतीत होते हैं.''
पार्टी सूत्रों ने बताया कि सोनिया गांधी और राहुल गांधी सहित शीर्ष नेताओं के परामर्श से कांग्रेस अध्यक्ष खरगे चुनाव लड़ने या नहीं लड़ने पर अंतिम फैसला करेंगे. सूत्रों ने बताया कि इस बारे में अंतिम फैसला खरगे ही करेंगे कि गुलबर्गा से डोड्डामणि उम्मीदवार होंगे या कोई और.
डोड्डामणि शुरुआत में चुनाव लड़ने के इच्छुक नहीं थे. उन्हें इस सीट से मैदान में उतरने के लिए तैयार रहने को कहा गया है.
कलबुरगी में जन्मे डोड्डामणि सुर्खियों से दूर रहते हैं. उन्होंने खरगे के चुनाव प्रचार अभियान के प्रबंधन और उसकी रणनीति बनाने में पर्दे के पीछे हमेशा सक्रिय रूप से काम किया है. बताया जाता है कि वह पार्टी कार्यकर्ताओं और समर्थकों के बीच खासकर गुरमिटकल विधानसभा क्षेत्र में लोकप्रिय हैं जिसका खरगे ने 1972 से 2004 के बीच लगातार प्रतिनिधित्व किया था.
बताया जाता है कि कलबुरगी में कांग्रेस के चुनाव प्रबंधकों ने हाल में पार्टी विधायकों और क्षेत्र के नेताओं के साथ एक बैठक के दौरान डोड्डामणि की संभावित उम्मीदवारी और उनकी जीत की संभावना को लेकर चर्चा की थी.
गुलबर्गा लंबे समय तक कांग्रेस का गढ़ रहा है. वर्ष 2019 से पहले उसे इस सीट पर केवल 1996 और 1998 में हार मिली थी. गुलबर्गा में आठ विधानसभा सीट हैं, जिनमें से छह कांग्रेस के पास हैं जबकि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और जनता दल -सेक्युलर के पास एक-एक सीट है.
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