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This Article is From May 03, 2024

लोकसभा चुनाव : हाथरस में नेताओं के भाषणों पर नहीं, रागिनी के बोलों पर बज रहीं तालियां

Lok Sabha elections 2024: हाथरस सुरक्षित सीट बीजेपी का मजबूत गढ़ रही है. यहां यहां दो लाख 70 हजार जाटव और दो-दो लाख ब्राह्मण, ठाकुर, जाट और मुस्लिम वोटर हैं.

लोकसभा चुनाव : हाथरस में नेताओं के भाषणों पर नहीं, रागिनी के बोलों पर बज रहीं तालियां
हाथरस में लोकसभा चुनाव के प्रचार में रागिनी का इस्तेमाल किया जा रहा है.
हाथरस (उत्तर प्रदेश):

Lok Sabha elections 2024: बीजेपी (BJP) के निवर्तमान सांसद राजवीर दिलेर की मौत के बाद उत्तर प्रदेश की हाथरस (Hathras) लोकसभा सीट अचानक चर्चा में आ गई है. हाथरस में खारे पानी की समस्या एक बड़ा सियासी मुद्दा बना हुआ है. हाथरस में इन दिनों  रागिनी चौधरी चरण सिंह को भारत रत्न मिलने का बखान कर रही है. जोशीले बोल और उस पर जाट बिरादरी के वोटर थिरकते दिख रहे हैं. 

उक्त दृश्य हाथरस लोकसभा सीट के सादाबाद विधानसभा क्षेत्र में दिखाई दे रहे हैं. तकरीबन दो लाख जाट वोटरों वाले इस विधानसभा क्षेत्र में नेताओं के भाषणों पर नहीं, बल्कि रागिनी पर तालियां बजती हैं.

बीजेपी उम्मीदवार को जीत मिलने का भरोसा

एक रागिनी सभा में हाथरस लोकसभा सीट से बीजेपी के उम्मीदवार और राज्य के मंत्री अनूप प्रधान बाल्मीकी ने लोगों से आशीर्वाद लिया. उनको राजवीर दिलेर की जगह टिकट मिला है.  अनूप प्रधान बाल्मीकी ने कहा कि, मेरे जैसे सामान्य कार्यकर्ता की जानकारी में नहीं था कि मुझे लड़वाया जा रहा है. मैं यहां से ताकत से लड़ रहा हूं, बीजेपी लाखों के अंतर से जीतेगी.

हाथरस सुरक्षित सीट बीजेपी का मजबूत गढ़ रही है. यहां के जातीय समीकरण देखें तो यहां दो लाख 70 हजार जाटव, दो लाख से ज्यादा ब्राह्मण, दो लाख से ज्यादा ठाकुर, दो लाख से ज्यादा ही जाट और 
दो लाख के आसपास ही मुस्लिम वोटर हैं. 

जसबीर सिंह बाल्मीकी भी गांव-गांव घूमकर वोट मांग रहे

इंडिया गठबंधन के उम्मीदवार जसबीर सिंह बाल्मीकी भी गांव-गांव घूमकर वोट मांग रहे हैं. वे बीजेपी के परंपरागत वोटों में सेंध लगाने के लिए जाट बहुल गोंडा इलाके में घूम रहे हैं. पिछली बार राष्ट्रीय लोकदल (RLD), समाजवादी पार्टी (SP) और बहुजन समाज पार्टी (BSP) गठबंधन के उम्मीदवार को बीजेपी उम्मीदवार से दो लाख से ज्यादा वोटों से हारना पड़ा था. लेकिन इस बार के उम्मीदवार जसबीर कहते हैं कि बेरोजगारी और पानी जैसी समस्या की वजह से लोगों में नाराजगी का फायदा उनको मिलेगा.

जसबीर सिंह बाल्मीकी ने प्रतिद्वंदी पार्टी बीजेपी को लेकर कहा कि, ''दो बार यहां से जीते हैं लेकिन दस साल बाद भी कोई कामकाज नहीं करवाया है. सड़कें टूटी पड़ी हैं, पीने का पानी नहीं है, हाथरस को कूड़े का ढेर बना दिया है.''

काका हाथरस के शहर के तौर पर हाथरस जाना जाता है और काका ने लिखा है कि मन मैला तन इजरा भाषण लच्छेदार ऊपर सत्याचार है नीचे भ्रष्टाचार... 

सौ गांवों की दो लाख से ज्यादा आबादी खारे पानी की समस्या से जूझ रही 

सादाबाद से महज पांच किलोमीटर दूर आइमा गांव है. इस भीषण गर्मी में हाथरस के करीब 100 गांवों की दो लाख से ज्यादा आबादी खारे पानी की समस्या से जूझ रही है. जब आप यहां से गुजरेंगे तो साइकिल से लेकर मोटर साइकिल तक पर बच्चे, बूढ़े जवान पानी ढोते ही दिखेंगे. 

चमचम के लिए मशहूर हाथरस में हींग का कारोबार भी बड़े पैमाने पर होता है. वन डिस्ट्रिक्ट वन प्रोडक्ट के तहत हींग को रखा गया है. इससे हींग कारोबारियों की समस्या बहुत हद तक दूर हुई है. हींग कारोबारी राजेश अग्रवाल ने कहा कि, ''हींग का काम यहां बढ़ा है लेकिन अभी हींग की टेस्टिंग के लिए हमें गुरुग्राम, दिल्ली जाना पड़ता है. हमारी मांग है कि यहां प्रयोगशाला बने.''

हाथरस में सात तारीख को मतदान होना है. यहां सभी उम्मीदवारों ने अपनी पूरी ताकत झोंक रखी है, लेकिन लगता है कि स्थानीय प्रत्याशी और समस्याओं से ज्यादा यहां के वोटर पीएम मोदी या राहुल के चेहरे को देखकर वोट डालेंगे और इसे लेकर वे असमंजस में भी दिख रहे हैं.  

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