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Analysis: हरियाणा का CM बदलने से BJP को फायदा या कांग्रेस जीतेगी दांव? JJP और INLD किसे पहुंचाएंगे नुकसान

हरियाणा में बहुकोणीय मुकाबला देखने को मिल रहा है. BJP, कांग्रेस, JJP और इनेलो ने अपने-अपने उम्मीदवार उतारे हैं. विपक्षी दलों के INDIA अलायंस से AAP कुरूक्षेत्र संसदीय सीट से चुनाव लड़ रही है. 10 लोकसभा सीटों पर कुल 16 महिलाओं सहित 223 उम्मीदवार चुनाव लड़ रहे हैं.

2019 के इलेक्शन में बीजेपी ने हरियाणा में 10 में से 10 सीटें जीत ली थीं.

नई दिल्ली/चंडीगढ़:

लोकसभा चुनावों (Lok Sabha Elections 2024) का दंगल छठे दौर में पहुंच रहा है. 25 मई को छठे फेज की वोटिंग होनी है. 'दंगल' शब्द का ज़िक्र हो, तो हरियाणा (Haryana Lok Sabha Elections 2024) खुद ब खुद ज़हन में आ जाता है. चुनावों के लिहाज से हरियाणा बेलवेदर स्टेट कहलाता है, क्योंकि 1999 से हरियाणा जीतने वाली पार्टी केंद्र की सत्ता में काबिज़ होती आई है. 2019 में BJP ने इन सभी 10 सीटों पर जीत दर्ज की थी. हालांकि, 2024 के इलेक्शन से ठीक पहले हरियाणा में बड़ा सियासी उलटफेर देखा गया. सियासी घटनाक्रम के बीच BJP-JJP के रास्ते जुदा हो गए. BJP ने मनोहर लाल खट्टर को हटाकर नायब सिंह सैनी को मुख्यमंत्री बना दिया, जिससे दुष्यंत चौटाला से पार्टी का गठबंधन खत्म हो गया. अब BJP राज्य में अकेले चुनाव लड़ रही है. कांग्रेस और जननायक जनता पार्टी (JJP) भी मैदान में हैं. हरियाणा में कांग्रेस और आम आदमी पार्टी (AAP) का गठबंधन है. आइए समझते हैं कि हरियाणा में BJP क्या 2019 की तरह 10 का दम दिखा पाएगी? या कांग्रेस के 'हाथ' मौजूदा सियासी हालात बदलने में कामयाब होंगे.

10 सीटों पर 223 उम्मीदवार आजमा रहे किस्मत
हरियाणा में बहुकोणीय मुकाबला देखने को मिल रहा है. BJP, कांग्रेस, JJP और इनेलो ने अपने-अपने उम्मीदवार उतारे हैं.  विपक्षी दलों के INDIA अलायंस से AAP कुरूक्षेत्र संसदीय सीट से चुनाव लड़ रही है. 10 लोकसभा सीटों पर कुल 16 महिलाओं सहित 223 उम्मीदवार चुनाव लड़ रहे हैं.

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कौन कहां से दे रहा टक्कर?
1. हिसार सीट: रणजीत चौटाला (BJP), नैना चौटाला (JJP), सुनैना चौटाला (INLD), जयप्रकाश (CONG).
2. सोनीपत सीट: सतपाल ब्रह्मचारी (CONG) और मोहन लाल बडौली (BJP).            
3. सिरसा सीट : कुमारी सैलजा (CONG) और अशोक तंवर (BJP).             
4. गुरुग्राम सीट: राव इंद्रजीत (BJP) और राज बब्बर (CONG).        
5.फरीदाबाद सीट: कृष्णपाल गुर्जर (BJP) और महेंद्र प्रताप सिंह (CONG).        
6. रोहतक सीट: दीपेंद्र सिंह हुड्डा (CONG) और अरविंद शर्मा (BJP).        
7.करनाल: मनोहरलाल खट्टर (BJP) और दिव्यांशु बुद्धिराजा (CONG).     
8.कुरुक्षेत्र : नवीन जिंदल (BJP), डॉ. सुशील गुप्ता (AAP),अभय चौटाला (INLD).
9.अंबाला: बंतो कटारिया (BJP) और वरुण मुलाना (CONG).        
10.भिवानी-महेंद्रगढ़ : राव दान सिंह (CONG) और चौधरी धर्मबीर सिंह BJP).

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2024 में हर सीट पर कांग्रेस से मिल रही टक्कर 
पिछले चुनाव में 10 की 10 सीटें BJP की झोली में गई थीं. रोहतक को छोड़ कहीं और कड़ा मुकाबला भी नहीं दिखा था. इस बार कहानी थोड़ी बदली है. लगभग हर सीट पर कांग्रेस BJP को टक्कर दे रही है. रोहतक, सिरसा और सोनीपत में BJP नेताओं को ज्यादा पसीना बहाना पड़ रहा है. करनाल, गुरुग्राम और फरीदाबाद सीट कांग्रेस के लिए चुनौती बनी हुई हैं. अंबाला, हिसार, भिवानी-महेंद्रगढ़ और कुरुक्षेत्र में भी कड़ा मुकाबला है.

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2019 में BJP ने दिखाया 10 का दम 
2019 के लोकसभा चुनाव में BJP ने हरियाणा की सभी 10 सीटें जीत ली थी. BJP का वोट शेयप 58% रहा था. कांग्रेस को एक भी सीट नहीं मिली, लेकिन वोट शेयर 28% रहा. INLD का वोट शेयर 0% था, जबकि JJP को 5% वोट मिले थे.

2014 में BJP ने दिखाए दांव-पेंच    
2014 के लोकसभा चुनाव में हरियाणा में BJP और कांग्रेस के बीच कांटे की टक्कर हुई थी. BJP ने 10 में से 7 सीटें जीती. वोट शेयर 35% रहा. कांग्रेस ने एक सीट जीती और वोट शेयर 23% रहा. जबकि INLD को 2 सीटें मिली थी और उसका वोट शेयर 24% रहा था.     

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2009 में कांग्रेस ने दिखाया था करिश्मा
वहीं, 2009 के इलेक्शन में कांग्रेस ने हरियाणा में 9 सीटें जीती थी. वोट शेयर 42% था. जबकि हरियाणा जनहित कांग्रेस (BL) को एक सीट मिली थी. BJP एक भी सीट नहीं जीत पाई, लेकिन उसका वोट शेयर 12% था.    INLD का वोट शेयर 16% रहा.    

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2019 में किसको किस जाति का मिला वोट?    
CSDS लोकनीति के आंकड़ों के मुताबिक, 2019 के इलेक्शन में ग़ैर जाट अगड़ी जातियों का 74% वोट BJP को गया. कांग्रेस को 18% वोट मिले. 50% जाट ने BJP और 33% ने कांग्रेस के लिए वोट किया. OBC समुदाय का 73% वोट BJP को गया और 22% ने कांग्रेस को चुना. SC समुदाय का 58% वोट BJP और 28% कांग्रेस को मिला. मुस्लिम वोटों की बात करें, तो इस समुदाय का 14% वोट BJP और 86% वोट कांग्रेस को गया था.    

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कांग्रेस के लिए हरियाणा का दंगल मुश्किल
2019 में BJP ने ज़्यादातर सीटें भारी अंतर से जीती थीं. ऐसे में कांग्रेस को BJP के वोट में काफी सेंध लगानी पड़ेगी. पिछली बार BJP की जीत का मार्जिन इतना बड़ा था कि अगर 15% तक भी उनके वोट बैंक में सेंध लगाए, तब भी 5 सीटें ही जीत पाएगी. मौजूदा सियासी हालात में तीन संभावनाएं बन रही हैं:-
-अगर BJP के 5% वोट CONG+ झटक ले, तो इस केस में BJP को 9 सीटें मिलेंगी. CONG+ के पास एक सीट चली जाएगी.    -अगर BJP के 10% वोट CONG+ झटक ले, तो इस केस में BJP को 10 में से 8 सीटें मिलेंगी. CONG+ के पास 2 सीटें हो जाएंगी.
- अगर BJP के 15% वोट CONG+ झटक ले, तो BJP को 5 सीटें ही मिलेंगी. CONG+ को भी 5 सीटें मिलेंगी.    

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JJP और INLD किसे पहुंचाएंगे नुकसान?    
राजनीतिक विश्लेषक संजय सेठ कहते हैं, "हरियाणा एक ऐसा स्टेट है, जहां 2014 के पहले BJP की स्थिति इतनी मजबूत नहीं थी. 2014 के बाद ही BJP हरियाणा के विधानसभा और लोकसभा सीटों पर मजबूत स्थिति में आई है. सरकार की 10 साल की इंकमबेंसी होगी. प्रो इंकमबेंसी भी हो सकती है और एंटी इंकमबेंसी भी हो सकती है. क्योंकि बीच में बहुत सारी ऐसी घटनाएं हुई हैं, जैसे किसान आंदोलन... इसका असर चुनाव में दिखेगा. जाहिर तौर पर JJP और INLD इसका फायदा उठाने की कोशिश करेगी. अब BJP को कितना नुकसान पहुंचाएगी, ये देखने वाली बात होगी."

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जातियों के अखाड़े में कौन जीतेगा?            
राजनीतिक विश्लेषक अमिताभ तिवारी कहते हैं, "इस बार का चुनाव कई मायनों में बदला हुआ है. किसान आंदोलन का असर साफतौर पर दिख रहा है, जिससे कांग्रेस को फायदा हुआ है. अग्निवीर से भी BJP की अग्निपरीक्षा होनी है. कांग्रेस युवाओं की नाराजगी को वोटों में बदलना चाह रही है. हालांकि, सबसे ज्यादा असरदार फैक्टर पीएम मोदी का ही चेहरा रहने वाला है."

क्या मुख्यमंत्री बदलने से BJP को होगा फायदा?
राजनीतिक विश्लेषक अमिताभ तिवारी कहते हैं, "हरियाणा में BJP मजबूत पोजिशन में हैं. लेकिन BJP ने चुनाव से पहले सीएम बदल दिया. BJP ने हरियाणा में OBC वर्ग से आने वाले नायब सिंह सैनी को मुख्यमंत्री बनाकर पिछड़े वर्ग के नेताओं को एकजुट किया है. इससे सीधे तौर पर OBC वोट बैंक को साधने की कोशिश के तौर पर देखा जा सकता है."

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