कोरोना की चुनौती से उबरने की कोशिश कर रही दुनिया में हर रोज़ कुछ प्रेरित करने वाली कहानियां भी सामने आ रहीं हैं. ऐसी ही एक कहानी है बच्चों को पढ़ाने से जुड़ी एक मुहिम की. 'चलो पढ़ाएं' के अंदाज़ में चलाये जा रहे इस मिशन का नाम है डोनेट योर टाइम फॉर नेशन बिल्डिंग (Donate Your Time For Nation Building). मतलब अगर आप बच्चों को ऑनलाइन पढ़ना चाहते हैं तो आपका स्वागत है इस कैंपेन में. प्रतियोगिता परीक्षाओं की तैयारी करने वाले छात्रों के बीच लोकप्रिय ऑनलाइन प्लेटफार्म दिल्ली नॉलेज ट्रैक नाम के एक स्टार्ट-अप ने ये कैंपेन शुरू किया है. दिल्ली नॉलेज ट्रैक की एडिटर प्रिया जिंदल बताती हैं कि इस कैंपेन को शुरू किये उन्हें कऱीब 2 हफ्ते हुए हैं और परिणाम काफी उत्साह बढ़ने वाले हैं.
इस कैंपेन में बच्चों को पढ़ाने के लिए जिन लोगों से अपना वक़्त देने का वादा किया है, उनमें आईएसएस, इंडियन फॉरेन सर्विस, आईपीएस, इंडियन रेवेन्यू सर्विस, इंडियन इकोनॉमिक सर्विस, इंडियन स्टैटिस्टिकल सर्विस, भारतीय रिज़र्व बैंक समेत देश की दूसरी केंद्रीय सेवाओं में काम करने वाले युवा अधिकारी, कॉलेजों और कोचिंग इंस्टीटूट्स में पढ़ाने वाले प्रोफेसर, एम्स दिल्ली के पूर्व और वर्तमान छात्र, आईआईटी दिल्ली, आईआईटी मद्रास, आईआईटी रुड़की, आईआटी धनबाद से पढ़ाई कर चुके या पढ़ रहे छात्र, एनआईटी के पूर्व स्टूडेंट, टाटा इंस्टिट्यूट ऑफ़ सोशल साइंसेज की स्टूडेंट, किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी की स्टूडेंट, नेशनल लॉ स्कूल ऑफ़ इंडिया यूनिवर्सिटी के स्टूडेंट, जेएनयू, डीयू, बीएचयू, इलाहाबाद यूनिवर्सिटी और इग्नू समेत कई दूसरे प्रतिष्ठित केंद्रीय विश्विद्यालयों से पढ़ाई कर चुके या पढ़ाई कर रहे स्टूडेंट्स, कई प्रोफेशनल्स - जिन्हें पढ़ना और पढ़ाना अच्छा लगता है, शामिल हैं.
कैंपेन का मक़सद ये है कि लॉक-डाउन और कोरोना संकट की वजह से बच्चे स्कूल नहीं जा पा रहे हैं लिहाज़ा उनके लिए क्वालिटी कंटेंट तैयार किया जायें और जो मुफ़्त में उपलब्ध हों. ये सारे ऑडियो विज़ुअल्स कंटेंट दिल्ली नॉलेज ट्रैक की वेबसाइट और यूट्यूब चैनल पर लगातार अपलोड किये जा रहे हैं. लेक्चर्स एनसीईआरटी के पाठ्यक्रम पर आधारित हैं. और शुरुआत दसवीं और बारहवीं क्लास से की गई है क्योंकि उन बच्चों को बोर्ड की परीक्षा देनी होती है. जहां तक कंटेंट की स्क्रीनिंग का सवाल है, दिल्ली नॉलेज ट्रैक के एडिटर प्रिया जिंदल बताती हैं कि अगर एक युवा फॉरेन सर्विस का ऑफिसर जो एमबीबीएस की पढ़ाई कर चुका हो वो बायोलॉजी पढ़ता है और कोई आईआईटी दिल्ली से इंजीनियरिंग फिजिक्स का ग्रेजुएट मेकेनिक्स पढ़ता हो तो आपको ये सोचने की जरुरत ही नहीं है कि कंटेंट की क्वालिटी क्या होगी. असल में यही इस पूरे मुहिम की खास बात भी है. पढ़ाने के लिए टाइम डोनेट करने वालों में काफी क्वालिफाइड लोग हैं.
मसलन, आईआईटी रुड़की का और आईआईटी मद्रास से पढ़े लोग आपको मैथ्स पढ़ा रहे हैं, एम्स दिल्ली से एमबीबीएस कर चुके आपको केमिस्ट्री पढ़ा रहे हैं, इंडियन इकनोमिक सर्विस, इंडियन स्टैटिस्टिकल सर्विस और फैकल्टी ऑफ़ मैनेजमेंट स्टडीज वाले इकोनॉमिक्स पढ़ा रहे हैं, जेएनयू के इंटरनेशनल स्टडीज से एमफील कर चुके पोलिटिकल साइंस के लेक्चर्स दे रहे हैं, टाटा इंस्टिट्यूट ऑफ़ सोशल साइंसेज में क्लीनिकल साइकोलॉजी की स्टूडेंट साइकोलॉजी पढ़ा रहीं हों, इसी तरह अपने अपने सब्जेक्ट्स के मास्टर लोग अलग अलग विषय पढ़ाएं तो न सिर्फ बच्चों के लिए एक जगह बहुत अच्छी सामग्री तैयार हो रही है बल्कि स्कूल के अलावा उन्हें एक ऐसा प्लेटफार्म मिल रहा है जहाँ वो एक फ्रेश आईडिया के साथ फ्री में अपनी पढ़ाई को आगे बढ़ा सकते हैं.
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