Bihar Lockdown: बिहार सरकार ने माना है कि वर्तमान में पिछले साल की मंदी और कोरोना वायरस (Coronavirus) संक्रमण के कारण लॉकडाउन के चलते भीषण आर्थिक संकट के हालात बन गए हैं. सरकार ने बृहस्पतिवार को औपचारिक रूप से मदद की गुहार लगाई है. उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने कहा कि पिछले वर्ष की आर्थिक सुस्ती व वर्तमान लॉकडाउन के दौर में नगण्य राजस्व संग्रह के कारण केन्द्र व बिहार सहित अन्य राज्य सरकारें भीषण वित्तीय संकट के दौर से गुजर रही हैं. ऐसे में, बिहार के मुख्यमंत्री सहित अन्य राज्यों ने केन्द्र सरकार से एफआरबीएम एक्ट के तहत सकल राज्य घरेलू उत्पाद (जीएसडीपी) के 3 प्रतिशत तक ऋण लेने की सीमा को बढ़ाकर 4 प्रतिशत करने की मांग की है. इसके साथ ही पहली बार सरकार ने आरबीआई से राज्य के सिंकिंग फंड की राशि से पुराने ऋण की किस्त के 7,035 करोड़ के भुगतान की मांग की है.
मोदी ने कहा कि आर्थिक सुस्ती के कारण पिछले वर्ष 2019-20 में केन्द्रीय करों का कम संग्रह होने के कारण बिहार को केन्द्रीय करों की हिस्सेदारी में प्रस्तावित राशि से 25 हजार करोड़ कम प्राप्त हुआ. बल्कि यह 2018-19 से भी10 हजार करोड़ कम रहा.
ज्ञातव्य है कि 2009 में राज्य सरकार ने सिंकिंग फंड का गठन किया था जिसमें प्रति वर्ष लोक ऋण व अन्य बकाया दायित्व की 0.5 प्रतिशत की राशि निवेश की जाती है. इस कोष में अभी 7,683.02 करोड़ जमा है, जिसमें मूलधन 5740.12 करोड़ व उसकी ब्याज राशि 1,942.90 करोड़ है. आरबीआई से उसी फंड से पुराने ऋण के मूलधन के इस साल की किस्त की वापसी की मांग की गई है.
वित्तीय वर्ष 2020-21 में केन्द्र सरकार ने बिहार को जीएसडीपी के 3 प्रतिशत के तहत 26,419 करोड़ रुपये ऋण उगाही की अनुमति दी है जिससे 21188.42 करोड़ रुपये का कर्ज बाजार से लिया जा सकता है. अगर जीएसडीपी के 4 प्रतिशत तक ऋण लेने की अनुमति मिलती है तो बिहार अतिरिक्त 6,461 करोड़ का कर्ज ले सकता है.
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