पुणे जिले के पिंपर्खेड गांव में तेंदुओं का आतंक इस कदर बढ़ गया है कि ग्रामीणों को अपनी सुरक्षा के लिए अनोखे उपाय अपनाने पड़ रहे हैं. खेतों में काम करने वाले लोग अब कांटेदार (स्पाइक्ड) कॉलर पहनकर बाहर निकल रहे हैं, ताकि तेंदुए के हमले से बच सकें.
गांव के निवासी विठ्ठल रंगनाथ जाधव ने ANI से बातचीत में बताया, 'हम ये कॉलर इसलिए पहनते हैं क्योंकि तेंदुए कभी भी आ जाते हैं. खेती ही हमारी रोज़ी-रोटी है, डर के कारण घर पर नहीं बैठ सकते. हर दिन तेंदुआ दिखता है. एक महीने पहले मेरी मां तेंदुए का शिकार हो गईं. उससे पहले एक छोटी बच्ची की मौत हुई थी. मेरी मां सुबह 6 बजे मवेशियों को चारा देने गई थीं, तभी तेंदुए ने हमला कर दिया और उन्हें करीब एक किलोमीटर तक गन्ने के खेतों में घसीट ले गया. गांव में हर कोई डरा हुआ है. हम घर से बाहर निकलते समय ये कॉलर पहनते हैं. सरकार से गुज़ारिश है कि कुछ कदम उठाए.'
#WATCH | Pune, Maharashtra | Residents of the leopard-hit Pimparkhed village wear spiked collars, while working in the fields, to save themselves from the fatal leopard attacks. (21.11) pic.twitter.com/mXlfaQPzLS
— ANI (@ANI) November 21, 2025
लगातार बढ़ रहे हमले
ग्रामीणों के अनुसार, पिछले कुछ महीनों में तेंदुओं के हमले बढ़ गए हैं. गन्ने के खेतों में तेंदुओं को छिपने के लिए पर्याप्त जगह मिल जाती है, जिससे वे आसानी से इंसानों और मवेशियों पर हमला कर सकते हैं.
यह भी पढ़ें- मां है या जल्लाद... 15 साल के बेटे को दिलवा रही थी 'आतंक की ट्रेनिंग', केरल का सनसनीखेज मामला
सरकारी कार्रवाई की मांग
गांव के लोग प्रशासन से तेंदुओं को पकड़ने और सुरक्षित स्थान पर ले जाने की मांग कर रहे हैं. फिलहाल, वन विभाग की ओर से पिंजरे लगाने और निगरानी बढ़ाने की बात कही जा रही है, लेकिन ग्रामीणों का कहना है कि यह पर्याप्त नहीं है.
बता दें कि पुणे के पिंपरखेड गांव में तेंदुए का आतंक लोगों में खौफ बढ़ा रहा है. दो हफ्ते पहले ही एक आदमखोर तेंदुए को वन विभाग और एक बचाव दल के संयुक्त अभियान के दौरान गोली मारी गई थी. लेकिन फिर भी तेंदुओं का आतंक रुक नहीं रहा है.