लेबनान में हजारों पेजरों में एक साथ धमाके आखिर कैसे हुए? इतने पेजरों में धमाके की साजिश को किसने और कैसे अंजाम दिया? क्या पेजरों को हैक किया गया या फिर इनके अंदर विस्फोटक प्लांट किया गया? पेजरों में हुए धमाकों के पीछे इजरायल की खुफिया एजेंसी मोसाद का हाथ होने का आरोप लगाया जा रहा है. जानकारों की मानें, तो इतनी बड़ी संख्या में पेजरों में धमाके कराने के पीछे दो थ्योरी हो सकती हैं. लेबनान में हजारों पेजर में जो एक साथ धमाके हुए, उसमें कम से कम नौ लोगों के मारे जाने की पुष्टि हो चुकी है और करीब 3000 लोग घायल हुए हैं, जिनमें कइयों की हालत गंभीर बताई गई है. लेबनान में ईरान के जो राजदूत हैं, वो भी पेजर धमाके की चपेट में वह भी आकर घायल हुए. इनको लेकर शुरुआती तौर पर कहा जा रहा था कि यह मामूली रूप से घायल हैं लेकिन ताजा जानकारी यह भी आ रही है कि उनको गहरी चोट लगी है. उनको आंख में भी चोट लगी है. पेजर में धमाके जो है वो बेरू समेत पूरे लेबनान में हुए हैं और इसकी जद में अधिकतर हिज्बुल्लाह से जुड़े जो लड़ाके हैं वो आए हैं.
थ्योरी नंबर-1: बैटरी ओवरहीटिंग कर धमाका
लेबनान में पेजर धमाके कैसे हुए या कैसे किए गए इसे लेकर दो अलग-अलग तरह की बातें कही जा रही हैं. शुरुआती जानकारी के तौर पर यह बात कही गई कि पेजर सिस्टम को हैक कर यह धमाका किया गया. इसका शक इजराइल और इसकी खुफिया एजेंसी मोसाद पर जताया जा रहा है. अब पहली जो थ्योरी सामने आई है, उसके मुताबिक, हैकिंग के जरिए पेजरों की लिथियम बैटरी को इतना गर्म कर दिया गया कि उनमें धमाका हो गया. जैसे अमूमन चार्जिंग के दौरान हम मोबाइल बैटरी के फटने खबरें सुनते हैं. लेकिन साथ ही यह भी कहा जा रहा है कि बैटरी हीटिंग के जरिए धमाका संभव नहीं लगता, क्योंकि ओवरहीटिंग के चलते कुछ एक पेजर में तो आग लग सकती है, जिसकी बैटरी 100 फीसदी से ज्यादा चार्ज हो जाए. लेकिन 50 फीसदी से कम चार्ज वाली बैटरी में धमाका नहीं हो सकता. ऐसे पेजर में धुआं निकल सकता है. अगर ऐसे पेजर में धमाका होता भी है, तो वह बेहद कम क्षमता का होगा. इसलिए ओवरहीटिंग की बात गले नहीं उतरती कि इसको हैक करके ओवरहीटिंग के जरिए धमाका किया गया.
थ्योरी नंबर-2: पेजरों में प्लांट किये विस्फोटक
दूसरी थ्योरी कहती है कि पेजर बनाते समय या फिर उसकी आपूर्ति के समय सप्लाई चेन को कहीं भेज गया और हजारों पेजर में विस्फोटक प्लांट किए गए. धमाकों में फटे पेजरों की जो तस्वीरे सामने आ रही हैं, उनके जरिए ये आशंका जताई जा रही है. बताया जा रहा है कि ये तमाम पेजर ताइवान में गोल्ड अपोलो कंपनी में बने हैं, जिनका मॉडल नंबर AP924 है. हालांकि, अपोलो कंपनी का कहना है कि ये यूरोपीय देश में बना पेजर है, जिसके पास गोल्ड अपोलो कंपनी के नाम का इस्तेमाल करने का अधिकार है. सूत्रों और सुरक्षा विशेषज्ञों के हवाले से यह भी कहा जा रहा है कि पेजर के उत्पादन के समय ही इजराइली खुफिया एजेंसी मोसाद ने इनमें एक ऐसा बोर्ड प्लांट कर दिया, जिसमें विस्फोटक लगे थे और कुछ तो विस्फोटक की मात्रा भी बताते हैं. इनमें विस्फोटक की मात्रा करीब 3 ग्राम बताई जा रही है.
पेजर की सप्लाई चेन ब्रेक करने की भी थ्योरी
वहीं, कुछ रिपोर्ट्स में ये भी कहा जा रहा है कि विस्फोटक सप्लाई चेन को भेद कर डाला गया यानी जिस भी देश में ये पेजर बना, वहां से जब ये पेजर लेबनान के लिए चला, तो बीच में कहीं इन पेजर में विस्फोटक डाला गया. लेकिन वो कौन-सा देश है या कौन-सा क्षेत्र है, जहां ऐसा किया गया? इस नतीजे तक पहुंचने के लिए पेजर आपूर्ति के मार्ग की समीक्षा करनी होगी... और यकीनन वो किसी ना किसी स्तर पर जरूर की जा रही होगी.
गौरतलब है कि हिजबुल्ला ने 5000 पेजरों का ऑर्डर ताइवान की कंपनी को दिया था, जिसकी आपूर्ति पिछले कुछ महीने पहले ही हुई थी. हिजबुल्लाह अपने लोगों से मोबाइल फोन की बजाय पेजर के इस्तेमाल की हिदायत देता रहा है, क्योंकि इसके लिए इंटरनेट की जरूरत नहीं होती और ये रेडियो फ्रीक्वेंसी के जरिए काम करता है. इसे फोन की तरह ट्रैक नहीं किया जा सकता, लेकिन इन धमाकों के बाद जाहिर है कि हिजबुल्ला सखते में है और वो इसके लिए पूरी तरह से इजरायल को जिम्मेदार ठहरा रहा है.
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