Ladakh Clash: पूर्वी लद्दाख में गालवान घाटी में भारत और चीन के सैनिकों के बीच हिंसक संघर्ष के बाद देश में चीन को लेकर भारी गुस्सा है. चीन को 'आर्थिक चोट' पहुंचाने के लिए वहां बने सामान के बायकॉट (Boycott Chinese goods) की मांग जोर पकड़ रही है. चीनी सामान के बहिष्कार की उठ रही आवाजों के बीच फेडरेशन ऑफ इंडियन एक्सपोर्ट ऑर्गेनाइजेशन (FIEO) के प्रमुख का एक बयान सामने आया है, जिसमें उन्होंने कहा है- चीनी उत्पादों पर प्रतिबंध व्यवहार्य नहीं होगा क्योंकि चीनी उत्पादों पर देश की अभी भी काफी निर्भरता है. FIEO प्रमुख शरद कुमार सराफ ने कहा, "अगर चीन ने जवाबी कार्रवाई की तो भारत को अधिक नुकसान होगा." गौरतलब है कि पूर्वी लद्दाख में भारत और चीन के सैनिकों के बीच हिंसक संघर्ष में 20 भारतीय सैनिकों को जान गंवानी पड़ी थी, वहीं 70 से अधिक घायल हुए. खबरों के अनुसार, चीन के 45 सैनिकों को या तो इस संघर्ष में जान गंवानी पड़ी है या वे घायल हुए हैं. 0 चीनी सामान के बायकॉट की मांग से जुड़ी
चीनी सामान के बहिष्कार को लेकर उठी इस आवाज के बीच कई व्यापारियों ने कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स या CAIT की बायकॉट की आवाज के साथ सुर मिलाया है, वही कुछ अन्य ने इस बात पर चिंता जताई है कि फिलहाल चीनी सामान को 'रिप्लेस' करने के लिए विकल्प नहीं है. कई श्रेणियों में भारतीय उत्पाद अनुपलब्ध हैं और जो उपलब्ध भी हैं वे कीमत के लिहाज से पासंग नहीं ठहरते. एक्सपोर्ट काउंसिल (Export Council )ने कहा कि चीनी घटक (components) निर्यात की जाने वाली वस्तुओं में भी मूल्य को कांपिटेटिव बनाए रखते हैं. फेडरेशन ऑफ इंडियन एक्सपोर्ट ऑर्गनाइजेशन के महानिदेशक अजय सहाय ने कहा, "हम चीनी उत्पादों पर प्रतिबंध लगाने के खिलाफ हैं. हमें चीन से प्रमुख 'इनपुट' मिलते हैं जो निर्यात को प्रतिस्पर्धी बनाता है." उन्होंने कहा, "भावनाओं में बहकर चीनी उत्पादों पर प्रतिबंध लगाना सही नहीं होगा. हमारी अर्थव्यवस्था को इस तरह के कदम के परिणाम का आंकलन करना होगा."
श्री सहाय ने कहा कि कच्चे माल के रूप में 50 से 60 फीसदी निर्यात चीन जाता है. चीन प्रोसेसिंग करने के बाद इसे अन्य देशों को निर्यात करता है. उन्होंने कहा, "हमें भारत से चीन को कच्चे माल के निर्यात पर कड़ी नजर रखने की जरूरत है, इसे नियंत्रित करने की जरूरत है." गौरतलब है कि पिछले हफ्ते, सरकार ने भारत संचार निगम लिमिटेड को सुरक्षा के मुद्दों के मद्देनजर अपने 4 जी अपग्रेडेशन में चीनी उपकरणों का उपयोग न करने का निर्णय लिया है, इसी क्रम में एक चीनी फर्म के 471 करोड़ रुपये के इंडियन रेलवे के साथ करार को "काम में देर के मद्देनजर" रद्द कर दिया गया है.
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