अभी तो उसे अपने पिता के बुढ़ाते का सहारा बनना था, अपनी एक साल की बच्ची के साथ खूब सारी मस्ती करनी थी, उसके रोने पर रात-रात भर जागना था, उसे अपने हाथों में खिलाना था. लेकिन अब ये मुमकिन नहीं हो पाएगा. ऐसा इसलिए क्योंकि इससे पहले की सिबिन अपना ये सपना मुकम्मल कर पाता, कुवैत की उस इमारत में लगी आग ने उससे उसकी जिंदगी छीन ली. अगर पीछे कुछ बचा है तो वो है बस उसकी यादें. आपको बता दें कि कुवैत की इमारत में लगी आग में जितने लोगों की मौत हुई थी उनसे सबसे ज्यादा भारतीय थे. और उन्हीं भारतीयों में शामिल थे सिबिन और श्रीहरि.
जिन 45 भारतीयों की मौत हुई है उनके शवों को लेकर वायुसेना का विशेष विमान कल यानी शुक्रवार को कोच्चि एयरपोर्ट पहुंचा था. इसके बाद मरने वालों में जो लोग केरल के थे उनके शव को वहां उनके परिजनों को सौंप दिया गया. जबकि अन्य शवों को आज फ्लाइट से दिल्ली लाया जाएगा और उसके बाद बांकी बचे शवों को उनके परिजनों तक पहुंचाया जाएगा.
इस आग में जान गंवाने वाले लोगों को कोच्चि एयरपोर्ट पर श्रद्धांजलि दी गई. इस दौरान कई अभिभावक अपने परिजनों के शव को कॉफिन में बंद देख बेहद भावुक दिखे. भावुक अभिभावकों और परिजनों की कई तस्वीरें और उनसे जुड़ी की कहानी अब सामने आ रही हैं. कुवैत में जिन लोगों ने उस भयानक आग में अपनी जान गंवाई उनमे से एक थे केरल के रहने वाले सिबिन टी. कोच्चि में जब सिबिन टी के कॉफिन को नीचे उतारा गया तो उनके पिता नम आंखों से अपने बेटे के कॉफिन को काफी देर तक निहारते रहे.
मानों उन्हें यकीन ही नहीं हो रहा हो कि उनका बेटा अब उनके बीच नहीं है. सिबिन टी के पिता को जब बेटे के कॉफिन के पास ले जाया गया तो वो उससे लिपट कर ऐसा रोए मानों अब धरती फट जाएगी. एक पिता का अपने बेटे को याद कर इस तरह भावुक होने का यह दृश्य जिस किसी ने भी देखा वो अपने आंसू नहीं रोक पाया.
सिबिन की एक बेटी भी है जिसका पहला जन्मदिन अगले ही महीने है. इस मौके पर सिबिन को कुवैत से वापस आना था. सिबिन पिता और घर के अन्य सदस्य अपनी पोती के पहले जन्मदिन की तैयारियां को लेकर भी से लिस्ट तैयार कर रहे थे. बीच में सिबिन से भी बात हुई थी जिसमें उन्हें बताया गया था कि उनकी बेटी का पहला जन्मदिन बहुत धूम-धाम से मनाया जाएगा. लेकिन परिवार की सभी खुशियों को उस एक आग ने जलाकर राख कर दिया है. सिबिन की एक साल की बेटी को अभी अपने पिता के साथ खूब खेलना था. उन्हें रात-रात भर तंग करना, उन्हें रात भर नींद से जगाकर रखना था. अभी तक तो इस नन्हीं सी जान ने अपने पिता को पहचानना शुरू ही किया था. पर अब वह अपने पिता से कभी नहीं मिल पाएगी. उनके साथ खेल नहीं पाएगी. पता नहीं उसका परिवार अब इस नुकसान की भरपाई कैसे कर पाएगी.
केरल के कोट्टायम के रहने वाले श्रीहरि भी उन लोगों में शामिल हैं जिन्होंने इस आग में अपनी जान गंवाई है. श्रीहरि की तो यह पहली नौकरी थी. अभी करीब महीने भर पहले ही तो कुवैत जाकर नौकरी शुरू की थी. उन्हें तो अभी अपनी पहली सैलरी का इंतजार था. वो अपनी पहली सैलरी से मां को सरप्राइज गिफ्ट देने वाले थे. लेकिन वो ऐसा कर नहीं पाए. उनके परिवार के लिए तो कुवैत की इमारत में लगी उस आग ने ना सिर्फ उस इमारत को ही जलाया बल्कि उसके साथ-साथ उनके तमाम सपनों को भी खत्म कर दिया है.
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