
कोरोना वायरस महामारी और लॉकडाउन के कारण जहां उद्योग-धंधे चौपट हो गए वहीं नौकरीपेशा लोगों के लिए यह महामारी विकराल संकट बनकर आई है. रोजगार छिन गए और बेरोजगारी बढ़ गई है. अब इसी मुद्दे पर कवि कुमार विश्वास ने अपनी बात रखी है. ट्विटर समेत सोशल मीडिया पर बेरोजगारी को लेकर कराए जा रहे ट्रेंड के बीच कुमार विश्वास ने लिखा, ''' जरा तो सोचिए उन बच्चों के बारे में दिल पर हाथ रखकर, कि जो बच्चे मेहनत से पढ़कर, प्रतियोगी परीक्षाएं पास करके भी, सरकारी काहिली के कारण वर्षों-वर्ष से अपनी नौकरी की प्रतीक्षा कर रहे हैं ! सोचिए कि उनके लिए जीवन कितना कष्टकर हो रहा होगा? किसी भी दल-नेता के प्रति समर्पित रहो पर सरकारों से सरोकारों के सवाल तो पूछो ! सरकारें देश नहीं हैं यारों ! आनी-जानी हैं !''
इसलिए समय के सैलाबों को मत रोको
— Dr Kumar Vishvas (@DrKumarVishwas) September 17, 2020
बेचैन हवाओं में न खिड़कियाँ बंद करो,
हर किरन ज़िंदगी के आँगन तक आने दो
नवनिर्माणों की गति को अब स्वच्छंद करो????
यदि बाँध बांधने से पहले जल सूख गया
धरती की छाती में दरार पड़ जाएँगीं????????????#राष्ट्रीय_रोजगार_दिवस#बेरोजगार_दिवस #राष्ट्रीय_बेरोजगारी_दिवस
माँ की बीमारी,बहन की शादी,खेत पर क़र्ज़ा और अल्हड़ मुहब्बत से किया वादा,सिर्फ़ इसलिए लाचार है क्यूँकि सरकारों की संकल्पशक्ति बेकार है?
— Dr Kumar Vishvas (@DrKumarVishwas) September 17, 2020
हर पार्टी,सरकार से सादर निवेदन है,माँ वाणी न करें कि युग के किसी कवि को अपनी अमृत-भाषा में क्रांतिधर्मा अग्नि भरनी पड़े????https://t.co/tsv2vmZhzZ
एक रिपोर्ट के मुताबिक, सरकारी पोर्टल पर नौकरियों के लिए एक करोड़ से अधिक लोगों ने रजिस्ट्रेशन कराया है, लेकिन सिर्फ 1.77 लाख नौकरियां ही उपलब्ध हैं. गौरतलब है कि जब नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री बने थे, उन्होंने देश के युवाओं से वायदा किया था कि वे दो करोड़ युवाओं को हर साल रोजगार दिलवाएंगे. लेकिन स्थिति यह है कि देश में 14 करोड़ लोग बेरोजगार हो गए हैं.
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बता दें कि संसद के मानसून सत्र में भी कोरोना वायरस महामारी के कारण बड़े पैमाने पर लोगों के बेरोजगार होने और उनमें पैदा हो रही हताशा के कारण आत्महत्या की बढ़ती प्रवृत्ति का मुद्दा उठाया गया. कोरोना वायरस को फैलने से रोकने के लिए लागू किए गए लॉकडाउन के कारण अपनी आजीविका गंवाने वाले लोगों को हर महीने 15 हजार रूपये भत्ता देने का सरकार से अनुरोध किया गया.
गौरतलब है कि लॉकडाउन के कारण करोड़ों लोगों की आजीविका प्रभावित हुई है और कई परिवार बिखर गए हैं. ऐसे में बच्चों की पढ़ाई-लिखाई तो दूर रही, वे भूखे सोने के लिए विवश हो गए हैं. महामारी के कारण लोगों में मानसिक तनाव और हताशा बढ़ती जा रही है. ऐसे में लोग आत्महत्या की ओर बढ़ रहे हैं.
स्थिति यह है कि रोजगार छिनने के कारण बड़ी संख्या में लोगों ने पीएफ निकासी का सहारा लिया. यही कारण है कि श्रम मंत्रालय के ताजा आकड़ों के मुताबिक अप्रैल से अगस्त 2020 के दौरान कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) ने 94.41 लाख पीएफ निकासी के आवेदनों का निपटारा किया. इन चार महीनों में 35445 करोड़ की राशि पीएफ धारकों ने निकाली. यह अप्रैल-अगस्त, 2019 के मुकाबले 32% ज्यादा है.
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