ताज संरक्षित क्षेत्र के मथुरा में कृष्णा गोवर्धन सड़क परियोजना (Krishna govardhan road project)के लिए सड़क के लिए हजारों पेड़ काटने की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने यूपी सरकार (UP Government) से रोचक सवाल पूछा है. सुप्रीम कोर्ट ने पूछा है, 'पेड़ों को काटकर सड़कों को सीधा क्यों बनाया जाए? सड़क पेड़ के चारों ओर मोड़ क्यों नहीं ले सकती. इसका मतलब केवल यह होगा कि गति धीमी होगी. यदि गति धीमी है, तो यह दुर्घटनाओं को कम करेगा और अधिक सुरक्षित होगा. इससे कई लोगों की जान बचेगी.'
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सीजेआई बोबडे ने यूपी सरकार से कहा कि जीवित पेड़ों का मूल्यांकन केवल लकड़ी के मूल्य के आधार पर नहीं किया जा सकता है. पेड़ ऑक्सीजन देते हैं, इसे भी मूल्यांकन में शामिल किया जाना चाहिए. इसके साथ ही SC ने यूपी सरकार से से दो हफ़्ते में "हज़ारों पेड़ों" की प्रकृति और संख्या का पता लगाने के लिए जवाब देने को कहा है.
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CJI ने कहा कि PWD ने आश्वासन दिया है कि वे उसी पेड़ को दूसरे क्षेत्र में लगाकर क्षतिपूर्ति करेंगे ताकि पर्यावरण को कोई नुकसान न हो. हमारे लिए केवल अंकगणितीय शब्दों में एक मुआवजे को स्वीकार करना संभव नहीं है खासकर जब उत्तर प्रदेश या पीडब्ल्यूडी की ओर से कोई बयान नहीं आता है कि पेड़ों की प्रकृति के बारे में कि उन्हें झाड़ियों या बड़े पेड़ों के रूप में वर्गीकृत किया गया है. इसके अलावा पेड़ों की उम्र के संबंध में कोई जानकारी उपलब्ध नहीं है क्योंकि यह स्पष्ट है कि प्रतिपूरक वनीकरण नहीं किया जा सकता है यदि 100 साल पुराने पेड़ को काट दिया जाए. यूपी ने बयान नहीं दिया कि किस वन विभाग ने क्यू में पेड़ों का मूल्यांकन करने का इरादा किया है.भारत के मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे की पीठ हजारों पेड़ों काटने की अनुमति के लिए एक अर्जी पर सुनवाई कर रही है. सुप्रीम कोर्ट मामले में अब चार हफ्ते बाद सुनवाई करेगा.
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