वायरल वीडियो 'Kodaikanal Won't' का एक दृश्य (सौजन्य : झटका)
मुंबई:
28 साल की रैप सिंगर सोफिया अशरफ के वायरल वीडियो 'Kodaikanal Won't' को एक हफ्ते के अंदर करीब 18 लाख हिट मिल गए हैं। सात साल पहले बुरक़ा रैपर के नाम से पहचानी जाने वाली सोफिया ने वीडियो के ज़रिए दिखाया है कि कैसे तमिलनाडु के कोडाइकनाल में यूनीलीवर की थर्मामीटर बनाने वाली फैक्ट्री से फैले शीशे और पारे के ज़हर से वहां के लोगों की सेहत पर बुरा असर पड़ा हैं।
सोफिया का वीडियो इतना वायरल हो गया कि मल्टीनैश्नल कंपनी यूनीलीवर भी जवाब देने के लिए मजबूर हो गई। इस वीडियो के एक हफ्ते के अंदर ही यूनीलीवर ने प्रेस रिलीज़ और ट्वीट के ज़रिए सफाई देते हुए कहा सुरक्षा उनके लिए एक अहम मुद्दा है और जांच से पर्यावरण या कर्मचारियों को किसी भी तरह की नुकसान की बात सामने नहीं आई है।
सोफिया का वीडियो इतना वायरल हो गया कि मल्टीनैश्नल कंपनी यूनीलीवर भी जवाब देने के लिए मजबूर हो गई। इस वीडियो के एक हफ्ते के अंदर ही यूनीलीवर ने प्रेस रिलीज़ और ट्वीट के ज़रिए सफाई देते हुए कहा सुरक्षा उनके लिए एक अहम मुद्दा है और जांच से पर्यावरण या कर्मचारियों को किसी भी तरह की नुकसान की बात सामने नहीं आई है।
Safety is our number one priority. Extensive studies found no harm to workers or environment in Kodaikanal. Facts: http://t.co/QaKjYlpsUN
— Unilever (@Unilever) August 4, 2015
इसके अलावा यूनीलीवर ने ये भी लिखा कि फैक्ट्री के इलाके से मिट्टी को हटाने के लिए कदम उठाए जा चुके हैं। बस उसे पूरा करने के लिए स्थानीय अधिकारियों की मंजूरी का इंतज़ार हो रहा है।We’ve taken action to clean up soil on factory premises – now waiting final consent from local authority before completing.
— Unilever (@Unilever) August 4, 2015
कंपनी के एक और ट्वीट में कहा गया है कि पूर्व कर्मचारियों के साथ किसी संतोषजनक नतीजे पर पहुंचने की कोशिश की जा रही है लेकिन इसके लिए मामले से जुड़ी सभी पार्टियों का एकमत होना ज़रुरी है।Working hard to find fair resolution with former workers – but need all parties around the table to agree on an outcome.
— Unilever (@Unilever) August 4, 2015
बता दें कि पिछले चौदह सालों से कोडाइकनाल में ज़हरीले कचरे और मिट्टी को हटाए जाने के लिए आवाज़ उठाई जा रही है। 2001 में कंपनी की फैक्ट्री के बंद होने से पहले यहां थर्मामीटर बनाने का काम होता था जिसके पारे और शीशे के कचरे से होने वाला प्रदूषण अभी तक यहां के लोगों की सेहत पर बहुत बुरा असर छोड़ रहा है। दुनिया के सबसे खतरनाक और ज़हरीले प्रदूषण में इसकी गिनती होती है और ये भोपाल गैस त्रासदी के बाद दूसरा सबसे गंभीर मामला बताया जाता है।
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