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This Article is From Jun 14, 2024

शिक्षा विभाग से अब भूमि सुधार....क्या बिहार में अब केके पाठक करेंगे नया चमत्कार?

भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी केके. पाठक को शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव पद से हटाकर राजस्व भूमि सुधार विभाग का अपर मुख्य सचिव बना दिया.

शिक्षा विभाग से अब भूमि सुधार....क्या बिहार में अब केके पाठक करेंगे नया चमत्कार?

बिहार के चर्चित भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी केके. पाठक को शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव पद से हटाकर राजस्व भूमि सुधार विभाग का अपर मुख्य सचिव बना दिया. केके पाठक नीतीश कुमार के चहते अधिकारियों में शामिल है. बीते दिनों में पाठक को मद्य निषेध विभाग में महत्वपूर्ण जिम्मेदारी दी गई थी और बिहार में शराब माफियाओं के खिलाफ पाठक ने कई ऑपरेशन को अंजाम दिया. हालांकि, बिहार में शराब को खेल को रोकने में पाठक कामयाब नहीं हुए. राज्य के कई जिलों में जहरीली शराब से लोगों की मौत हुई और केके पाठक सवालों के घेरे में आ गए.

1990 बैच के IAS अधिकारी है केके पाठक
केशव कुमार पाठक (केके पाठक) बिहार कैडर के 1990 बैच के आईएएस अफसर हैं. पाठक अक्सर अपने फैसलों को लेकर चर्चा में रहते है. केके पाठक का जन्म उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद में हुआ है. उसके पिता मेजर जीएस पाठक भी बिहार में लघु जस संशाधन विभाग में सचिव रह चुके है. पाठक इलाहाबाद विवि से अर्थशास्त्र में स्नातक की डिग्री प्राप्त की है.

जब साधू यादव से भिड़ गए थे पाठक...
यह बात साल 1996 की है, जब संयुक्त बिहार में केके पाठक को जिलाधिकारी के रुप में गिरिडीह जिले की कमान मिली. जब राबड़ी देवी बिहार की सीएम बनीं तो केके पाठक को लालू यादव के गृह जिले गोपालगंज की जिम्मेदारी मिली और यहीं से पाठक चर्चा में आ गए. यहां केके पाठक ने सांसद फंड से बने एक अस्पताल को उद्घाटन सफाईकर्मी से करवा दिया. मजेदार बात ये थी कि फंड गोपालगंज के सांसद और राबड़ी देवी के साधु यादव ने कराया था और उस समय बिहार की सत्ता में साधू यादव की हनक थी. पाठक की ये बात साधू यादव को पंसद नहीं आया और फिर मचा बवाल. हालांकि, पाठक पीछे नहीं हटे. बाद में राबड़ी देवी ने पाठक को वापस सचिवाल बुला लिया.

सुशील मोदी को भेजा था लीगल नोटिस
केके पाठक का बिहार के पूर्व पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव, पूर्व सांसद रघुनाथ झा के साथ भी काम चुके और इनलोगों से भी उनका विवाद हो चुका है. 2015 में सनकी कहने पर सुशील मोदी को केके पाठक से लीगल नोटिस भेज दिया था.

सेंट्रल डेपुटेशन पर गए, फिर बिहार लौटे पाठक
साल 2010 में पाठक सेंट्रल डेपुटेशन पर चले गए. फिर 2015 में जब बिहार में महागठबंधन बनी तो नीतीश कुमार मुख्यमंत्री बने और उन्होंने केके पाठक को एक बार फिर से बिहार बुला लिया. 2015 में बिहार में शराबंबदी लागू करने में पाठक की अहम भूमिका रही. 2017-18 में एक बार फिर पाठक सेंट्रल डेपुटेशन पर चले गए. 2021 में प्रोमोशन के साथ पाठक कि फिर बिहार वापसी हुई.

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