नई दिल्ली: केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू का मंत्रालय बदल दिया गया है. केंद्र सरकार ने बृहस्पतिवार को दो मंत्रियों के विभागों में बदलाव करते हुए किरेन रिजिजू की जगह संसदीय कार्य राज्यमंत्री अर्जुन राम मेघवाल को कानून मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) बनाया है. जब किरेन रिजुजु को कानून मंत्री पद से हटाया तो नवनियुक्त मंत्री अर्जुन मेघवाल उनसे मिलने उनके घर गए. लेकिन जब मेघवाल ने मंत्रालय का चार्ज लिया, तब रिजुजु मंत्रालय में मौजूद नहीं रहे. अक्सर देखा गया है कि सरकार में जब किसी मंत्रालय का मंत्री बदलता है तो पुराना मंत्री नए मंत्री को चार्ज देता है. लेकिन यहां ऐसा होता नहीं दिखा और किरेन रिजुजु की गैरमौजूदगी ने कई सवालों को जन्म दे दिया है.
भारत के पहले कानून मंत्री बी.आर आंबेडकर से लेकर किरेन रिजुजु तक हमेशा कानून मंत्रालय कैबिनेट रैंक के मंत्री को दिया गया. ऐसा इसलिए क्योंकि कैबिनेट की बैठक में उपस्थित कानून और विधि मंत्री महत्वपूर्ण मुद्दों पर अपनी राय दे सकता है. हालांकि, बतौर राज्य मंत्री स्वतंत्र प्रभार अर्जुन राम मेघवाल महत्वपूर्ण मुद्दों पर कैबिनेट में हिस्सा ले सकते हैं. संभवत यह पहली बार है, जब किसी राज्य मंत्री स्वतंत्र प्रभार को कानून और विधि मंत्रालय की जिम्मेदारी दी गई. मेघवाल राज्य मंत्री हैं. अगर बतौर कैबिनेट मंत्री उन्हें यह मंत्रालय मिलता तो उन्हें कैबिनेट मंत्री की शपथ लेनी होती. तकनीकी तौर पर अमूमन राज्य मंत्री स्वतंत्र प्रभार के नीचे राज्य मंत्री नहीं होता है.
राज्य मंत्री स्वतंत्र प्रभार फंक्शनल दायित्व है, ऐसे में उसकी सहायता के लिए राज्य मंत्री नहीं दिया जाता है. किसी भी मंत्रालय में राज्य मंत्री कैबिनेट मंत्री को सहायता देने के लिए होता है. लेकिन कानून और विधि मंत्रालय अब राज्य मंत्री स्वतंत्र प्रभार अर्जुन राम मेघवाल के पास है और इसी मंत्रालय में एसपीएस बघेल राज्य मंत्री थे. एक अधिसूचना के अनुसार बघेल का मंत्रालय बदल दिया गया है. उनको कानून और स्वास्थ्य परिवार कल्याण मंत्रालय दिया गया है. हालांकि, दोपहर में राष्ट्रपति भवन से जारी अधिसूचना के अनुसार राज्य मंत्री एसपी सिंह बघेल का विभाग बदल दिया गया है. बघेल अब कानून और न्याय मंत्रालय में राज्य मंत्री के जगह पर स्वास्थ्य परिवार कल्याण मंत्रालय में राज्य मंत्री होंगे.
क्या इसे नए प्रयोग के तौर पर देखा जाए?
रिजुजु से पहले यह डॉ जितेंद्र सिंह के पास राज्य मंत्री स्वतंत्र प्रभार के तौर पर था. लेकिन एक कैबिनेट मंत्री को भूविज्ञान विभाग देना भी एक अनूठा कदम माना जा रहा है. 2014 में मोदी सरकार बनने पर एक नया प्रयोग किया गया था. तब दस ऐसे राज्य मंत्री थे जिन्हें अपने विभागों का स्वतंत्र प्रभार तो था. लेकिन वे अन्य मंत्रालयों में राज्य मंत्री भी थे. उदाहरण के तौर पर पीयूष गोयल, निर्मला सीतारामन, धर्मेंद्र प्रधान, जनरल वी के सिंह आदि के पास राज्य मंत्री स्वतंत्र प्रभार के तौर भी मंत्रालय था और वे अन्य कैबिनेट मंत्रियों के साथ उनके मंत्रालय में राज्य मंत्री भी थे. इसीलिए आज के घटनाक्रम को भी प्रशासन में एक नए प्रयोग के तौर पर देखा जा रहा है.
विवादों में रहे किरेन रिजिजू
कैबिनेट में फेरबदल होना कोई नई बात नहीं है. लेकिन किरेन रिजिजू कानून मंत्री का जिम्मा संभालने के बाद से न्यायपालिका की आलोचना कर कई विवाद खड़े कर चुके हैं. जजों की नियुक्ति का कॉलेजियम सिस्टम, पूर्व जजों की ऐक्टिविस्ट के साथ सक्रियता जैसे मुद्दों पर अपनी टिप्पणियों से कर किरेन विवाद खड़ा कर चुके हैं.
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं