
प्रतीकात्मक फोटो
चंडीगढ़:
पंजाब-हरियाणा में फसल कटाई के बाद खूंटी (कटाई के बाद खेत में बचा रहने वाला फसल का हिस्सा ) जलाने की समस्या पर अंकुश लगाने की सरकार की कोशिशें नाकाफी साबित हो रही हैं। सोमवार को दिल्ली-एनसीआर में कोहरे की चादर में लिपटी नजर आई। इसकी वजह खूंटी जलाने से उठने वाला धुंआ भी है।
वातावरण में धुंआ-धुंआ
सोमवार को सवेरे दिल्ली-एनसीआर में धुंध कुछ अधिक दिखी। कोहरे की चादर से वातावरण धुंधला हो गया। इसकी बड़ी वजह वाहनों के प्रदूषण के साथ पंजाब, हरियाणा और पश्चिम उत्तर प्रदेश के खेतों में धान की कटाई के बाद बची हुई खूंटी जलाना है। इससे समस्या कई गुना बढ़ गई है। अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा के सैटलाइट ने पश्चिम उत्तर भारत के खेतों में खूंटी जलने की ताजा तस्वीर भेजी है। अंदाजा लगाना मुश्किल नहीं कि समस्या कितनी गंभीर हो चुकी है, लेकिन किसान हैं कि प्रतिबंध के बावजूद बाज नहीं आ रहे हैं।
होने वाले नुकसान से अनजान किसान
अम्बाला के एक किसान का मत है कि खूंटी जलाने से कोई नुकसान नहीं होता। इससे खेत जल्दी तैयार हो जाता है। खूंटी आसानी से नहीं कटती, ट्रेक्टर से भी नहीं, इसलिए जलानी पड़ती है।
सरकार किसानों को ऐसा करने से रोकने के लिए विज्ञापन जारी करती है। जिलों के डिप्टी कमिश्नरों को एफआईआर तक दर्ज करने के निर्देश दिए गए हैं, लेकिन सख्ती करने में सरकार के सामने दिक्कत यह है कि यह मसला सियासी है। सरकार किसानों के खिलाफ मामले दर्ज करने में डरती है।
हरियाणा के स्वस्थ्य मंत्री अनिल विज कहते हैं कि खूंटी जलाने से कार्बन कंटेंट हवा में बढ़ जाता है। इसके लिए सरकार ने सभी डिप्टी कमिश्नरों को निर्देश दिए हैं। दिशानिर्देश दिए गए हैं कि इसे रोकने के लिए सख्ती करेंगे ताकि कोई भी इसको जलाए न।
बिजली बनाने की योजना, तत्काल कोई उपाय नहीं
इस बारे में पूछे जाने पर पंजाब के मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल ने कहा कि 'हम पावर प्लांट लगा रहे हैं जिसमें खूंटी से बिजली बनेगी, फिर किसान नहीं जलाएंगे। यह समस्या सभी जगह है, हरियाणा, गुजरात में भी है। आप पंजाब को लेकर इशू क्यों बना रहे हैं।'
मोहाली के एक संस्थान ने हाल ही में अपने एक शोध में पाया की खूंटी जलाने से उठने वाले धुएं में कैंसर पैदा करने वाले कण मौजूद होते हैं।
वातावरण में धुंआ-धुंआ
सोमवार को सवेरे दिल्ली-एनसीआर में धुंध कुछ अधिक दिखी। कोहरे की चादर से वातावरण धुंधला हो गया। इसकी बड़ी वजह वाहनों के प्रदूषण के साथ पंजाब, हरियाणा और पश्चिम उत्तर प्रदेश के खेतों में धान की कटाई के बाद बची हुई खूंटी जलाना है। इससे समस्या कई गुना बढ़ गई है। अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा के सैटलाइट ने पश्चिम उत्तर भारत के खेतों में खूंटी जलने की ताजा तस्वीर भेजी है। अंदाजा लगाना मुश्किल नहीं कि समस्या कितनी गंभीर हो चुकी है, लेकिन किसान हैं कि प्रतिबंध के बावजूद बाज नहीं आ रहे हैं।
होने वाले नुकसान से अनजान किसान
अम्बाला के एक किसान का मत है कि खूंटी जलाने से कोई नुकसान नहीं होता। इससे खेत जल्दी तैयार हो जाता है। खूंटी आसानी से नहीं कटती, ट्रेक्टर से भी नहीं, इसलिए जलानी पड़ती है।
सरकार किसानों को ऐसा करने से रोकने के लिए विज्ञापन जारी करती है। जिलों के डिप्टी कमिश्नरों को एफआईआर तक दर्ज करने के निर्देश दिए गए हैं, लेकिन सख्ती करने में सरकार के सामने दिक्कत यह है कि यह मसला सियासी है। सरकार किसानों के खिलाफ मामले दर्ज करने में डरती है।
हरियाणा के स्वस्थ्य मंत्री अनिल विज कहते हैं कि खूंटी जलाने से कार्बन कंटेंट हवा में बढ़ जाता है। इसके लिए सरकार ने सभी डिप्टी कमिश्नरों को निर्देश दिए हैं। दिशानिर्देश दिए गए हैं कि इसे रोकने के लिए सख्ती करेंगे ताकि कोई भी इसको जलाए न।
बिजली बनाने की योजना, तत्काल कोई उपाय नहीं
इस बारे में पूछे जाने पर पंजाब के मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल ने कहा कि 'हम पावर प्लांट लगा रहे हैं जिसमें खूंटी से बिजली बनेगी, फिर किसान नहीं जलाएंगे। यह समस्या सभी जगह है, हरियाणा, गुजरात में भी है। आप पंजाब को लेकर इशू क्यों बना रहे हैं।'
मोहाली के एक संस्थान ने हाल ही में अपने एक शोध में पाया की खूंटी जलाने से उठने वाले धुएं में कैंसर पैदा करने वाले कण मौजूद होते हैं।
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