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दिवाली पर मिट्टी के दीये बनाने की गजब मशीन, रांची में खादी इंडिया ने दिखाई झलक

Machine For Earthen Clay Lamps: ये एक खास तरह की मशीन है, जिसमें मिट्टी रखने के बाद कुम्हार आसानी से बर्तन या दीये तैयार कर सकते हैं. कई जगह इसका इस्तेमाल हो रहा है.

दिवाली पर मिट्टी के दीये बनाने की गजब मशीन, रांची में खादी इंडिया ने दिखाई झलक
मिट्टी से बर्तन और दीये बनाने के लिए खास मशीन

दिवाली के त्योहार पर सबसे ज्यादा डिमांड दीये की होती है. लोग अपने घरों के लिए कई अलग-अलग साइज और कलर के दीये लाते हैं. आमतौर पर ये दीये दो या पांच रुपये में मिल जाते हैं. हालांकि इसे बनाने में कुम्हारों को काफी मेहनत करनी पड़ती है. ऐसे में खादी इंडिया की तरफ से एक ऐसी मशीन बनाई गई है, जिससे कुम्हारों की मेहनत भी कम हो जाएगी और प्रोडक्टिविटी भी बढ़ेगी. इस मशीन को इलेक्ट्रिक पॉटर व्हील कहा जाता है. 

कुम्हारों को बांटी जाएंगीं मशीनें

रांची में दिवाली से ठीक पहले कुम्हारों को ये खास मशीनें दी जाएंगीं, जो उनके लिए काफी मददगार हैं. झारखंड के रांची में 'ग्रामोद्योग विकास योजना' के तहत खादी महोत्सव 2025 में इन मशीनों को रखा गया है. केंद्रीय रक्षा राज्य मंत्री संजय सेठ दिवाली के त्योहार से पहले कुम्हारों को ये इलेक्ट्रिक पॉटर व्हील बांटेंगे. 

क्या होता है इलेक्ट्रिक पॉटर व्हील? 

मिट्टी के बर्तन बनाने वाले कुम्हारों को सबसे ज्यादा दिक्कत चक्का घुमाने में आती है, यानी जिस चीज पर बर्तनों या फिर दीयों को शेप दिया जाता है उसे चलाने में काफी मेहनत लगती है. अब इलेक्ट्रिक पॉटर व्हील से ये समस्या दूर हो रही है, ये एक इलेक्ट्रिक मशीन है और लगातार कई घंटों तक बिना रुके चल सकती है. ये खुद ही स्पिन होती है, ऐसे में कुम्हार तेजी से काम कर सकते हैं. इससे कई तरह के नए डिजाइन भी बनाए जा सकते हैं. इसका आरपीएम 0-180 तक है. 

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इन चीजों से भी मिलती है मदद

कुम्हारों के लिए इस तरह की कई मशीनें तैयार की गई हैं, जिन्हें सरकार की तरफ से उन्हें बांटने का काम किया जाता है.  ब्लंजर भी एक ऐसी ही इलेक्ट्रिक मशीन है, जो एक घंटे में 400 से 500 किलो कच्ची मिट्टी तैयार कर सकता है. इसमें ऊपर से मिट्टी डाल दी जाती है और पानी मिलाया जाता है, जिसके बाद गीली मिट्टी तैयार हो जाती है. 

इसी तरह की एक मशीन पगमिल (Pugmill) भी है, जिससे मिट्टी को पीसा जाता है. इस काम में कुम्हारों को काफी मेहनत करनी पड़ती है और पैरों से मिट्टी को गूंथकर समरूप बनाया जाता है. यही काम अब मशीन कर रही है. ये मशीन प्रति घंटे 500 किलो तक मिट्टी तैयार कर लेती है. 

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