केरल की 19 वर्षीय फहीमा शिरिन (Faheema Shirin) को हॉस्टल से इसलिए निकाल दिया गया था क्योंकि उसने हॉस्टल के नियमों के तहत शाम 6 से रात 10 बजे के बीच मोबाइल फोन जमा करने से इनकार कर दिया था. फहीमा (Faheema Shirin) ने हॉस्टल के इस फरमान के खिलाफ कानूनी लड़ाई लड़ी और जीत हासिल की. गुरुवार को केरल हाईकोर्ट (Kerala High Court) ने छात्रा के हक में फैसला सुनाते हॉस्टल के नियमों को अनुचित करार दिया है. साथ ही छात्रा को कॉलेज के हॉस्टल में फिर से प्रवेश देने के निर्देश दिए है. कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि मोबाइल फोन के इस्तेमाल पर पूरी तरह से पाबंदी और पढ़ाई के घंटों में इसे जमा करवाने का निर्देश पूरी तरह से गैरजरूरी है. अदालत ने यह भी कहा कि अनुशासन लागू करते वक्त मोबाइल फोन के सकारात्मक पहलू को देखना भी जरूरी है.
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फहीमा शिरीन, कोझिकोड के श्री नारायणगुरू कॉलेज की सेकंड ईयर की छात्रा हैं. उन्हें हॉस्टल से नियमों की अवहेलना करने के आरोप में बाहर निकाल दिया गया था. फहीमा ने हॉस्टल वार्डन को अपना मोबाइल फोन देने से मना कर दिया था. छात्रावास में इस नियम को जून महीने से लागू किया गया था. इससे पहले हॉस्टल में रहने वाली छात्राओं को रोजाना रात 10 बजे से सुबह 6 बजे के दौरान छात्राओं को अपना लैपटॉप और मोबाइल जमा छात्रावास के वॉर्डन के पास जमा कराना होता था.
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फहीमा ने एनडीटीवी से बातचीत में कहा कि हम मोबाइल फोन और इंटरनेट का इस्तेमाल कई कामों के लिए करते हैं जिसमें पढ़ाई भी शामिल है. मैं हमेशा से ही अपने रिसर्च और असाइनमेंट के लिए इंटरनेट का इस्तेमाल करती रही हूं. शाम 6 से लेकर रात 10 बजे तक हमारी पढ़ाई के लिए महत्वपूर्ण समय होता है. लिहाजा मैंने अपना फोन वॉर्डन के पास जमा करने से इनकार कर दिया था. फहीमा के मुताबिक उनके इस विरोध में उन्हें उनके पिता का पूरा समर्थन मिल रहा था.
अपनी याचिका में फहीमा ने कहा कि हॉस्टल के नियम उनके स्वतंत्रता और अभिव्यक्ति के मौलिक अधिकार के खिलाफ है. याचिका के अनुसार यह नियम निजता और शिक्षा के अधिकार के भी खिलाफ है. हॉस्टल से निकाले जाने के बाद फहीमा को रोजाना कॉलेज आने और जाने के लिए 120 किमी की यात्रा करनी पड़ती थी. अब केरल हाईकोर्ट ने फहीमा के हक में फैसला सुनाया है फहीमा का कहना है कि अब परिस्थितियां उनके मुताबिक है. कॉलेज ने इस नियम को छात्राओं के माता-पिता की शिकायतों से प्रेरित बताया. उन्होंने कहा कि कई छात्राओं के माता-पिता ने शिकायत की थी जिसकी वजह से यह नियम लागू करना पड़ा था. कॉलेज के मुताबिक हॉस्टल में रहने वाली 39 छात्राएं इन नियमों का पालन कर रही थी.
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फहीमा ने कहा कि कोर्ट के फैसले से मैं बहुत खुश हूं, कॉलेज और हॉस्टल में मेरी दोस्त भी बहुत खुश हूं, मेरी दोस्त हॉस्टल के नियमों का विरोध नहीं कर रही थीं लेकिन वह मेरे समर्थन में थी और कोर्ट के फैसले का स्वागत करती हैं. फहीमा के पिता ने कहा कि वह न सिर्फ अपने लिए खड़ी हुई बल्कि अपनी पूरी पीढ़ी के हर शख्स के लिए खड़ी हुई. उन्होंने कहा कि यह सिर्फ मेरे और मेरी बेटी के लिए नहीं था, इस पीढ़ी को आप जंजीरों में नहीं जकड़ सकते. हमें उन्हें निर्देशित करना है और उन्हें उनके दायरे के बारे में समझाना है.
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