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This Article is From Jul 06, 2022

'संविधान विरोधी' बयान को लेकर केरल के मंत्री ने दिया इस्तीफा : पीटीआई न्यूज एजेंसी

मंत्री के बयान को लेकर विपक्षी गठबंधन यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (यूडीएफ) की तरफ से स्थगन प्रस्ताव लाए जाने की योजना थी लेकिन इससे पहले ही विधानसभा अध्यक्ष ने सदन को दिन भर के लिए स्थगित करने का ऐलान कर दिया. 

'संविधान विरोधी' बयान को लेकर केरल के मंत्री ने दिया इस्तीफा : पीटीआई न्यूज एजेंसी
नई दिल्ली:

'संविधान विरोधी' बयान को लेकर केरल के मंत्री साजी चेरियन ने इस्तीफा दे दिया है. चेरियन ने कहा था कि हर कोई कहता है कि यह एक अच्छा लिखित संविधान है. इस देश में सबसे महत्वपूर्ण है. लेकिन मैं कहूंगा, यह इस देश के लोगों को लूटने के लिए लिखा गया था. उन्होंने वही लिखा जो अंग्रेजों ने संविधान के रूप में तैयार किया था.  यहां 75 साल से इसका पालन किया जा रहा है. उनके इस विवादित बयान पर हर तरफ उन्हें आलोचना का सामना करना पड़ रहा था. 

मंत्री के बयान को लेकर विपक्षी गठबंधन यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (यूडीएफ) की तरफ से स्थगन प्रस्ताव लाए जाने की योजना थी लेकिन इससे पहले ही विधानसभा अध्यक्ष ने सदन को दिन भर के लिए स्थगित करने का ऐलान कर दिया. अध्यक्ष की कार्रवाई को गलत बताते हुए, विपक्षी नेताओं ने बाद में उनसे उनके कार्यालय में मुलाकात की और उनके अचानक स्थगन के फैसले पर अपनी नाराजगी व्यक्त की और आरोप लगाया कि सरकार और सत्तारूढ़ मोर्चा विपक्ष के सवालों से बचने की कोशिश कर रहा है.

बताते चलें कि संविधान के खिलाफ कथित टिप्पणी को लेकर केरल के सांस्कृतिक मामलों और मत्स्य पालन मंत्री साजी चेरियन के इस्तीफे के लिए विपक्ष के बढ़ते दबाव के बीच, मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के शीर्ष नेताओं ने स्थिति का जायजा लेने के वास्ते बुधवार एक बैठक की थी. पार्टी मुख्यालय में आयोजित इस बैठक में मुख्यमंत्री पिनारयी विजयन समेत माकपा के राज्य सचिव कोडियेरी बालाकृष्णन और चेरियन समेत अन्य शीर्ष नेताओं ने हिस्सा लिया था.बैठक के बाद बाहर निकलते हुए चेरियन ने खुद के इस्तीफा देने के सवाल के जवाब में कहा, ‘‘क्यों, मैं इस्तीफा क्यों दूं?''हालांकि बाद में उन्होंने इस्तीफा दे दिया. 

राज्य विधानसभा में विपक्ष के नेता वी. डी. सतीसन ने चेरियन की टिप्पणी के लिए उन पर निशाना साधते हुए कहा था कि यह न केवल संविधान और देश का अपमान है, बल्कि डॉ. बी. आर. आंबेडकर का भी अपमान है. जिन्होंने संविधान का मसौदा तैयार करने वाली प्रारूप समिति की अध्यक्षता की थी.

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