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अपने फायदे के लिए ही तो... केरल के सीएम ने कांग्रेस पर लगाए गंभीर आरोप, पढ़ें क्या कुछ कहा

मुख्यमंत्री विजयन ने कहा कि जहां कई इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग अनुयायी ऐसे गठबंधनों का विरोध करते हैं, वहीं यूडीएफ जमात-ए-इस्लामी और भाजपा दोनों को खुश करने का प्रयास कर रहा है.

अपने फायदे के लिए ही तो... केरल के सीएम ने कांग्रेस पर लगाए गंभीर आरोप, पढ़ें क्या कुछ कहा
नई दिल्ली:

केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन अपने एक विवादित बयान को लेकर सुर्खियों में बने हुए हैं. उन्होंने कहा है कि जमात-ए-इस्लामी और हिंदुत्व संगठनों की सोच एक जौसी है. दोनों ही धर्म के नाम पर अपनी राजनीति करते हैं. और ऐसे संगठन चाहते हैं कि सत्ता पर धर्म का नियंत्रण हो. उनके इस बयान पर बवाल मच गया है. सीएम विजयन ने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा कि उसने सिर्फ वोटों की राजनीति के लिए जमात-ए-इस्लामी से हाथ मिलाकर 'राजनीतिक आत्महत्या' की है. उन्होंने ये बयान एर्नाकुलम प्रेस क्लब में मीडिया से बात करते हुए दिया है. इस दौरान सीएम विजयन ने कहा कि केरल के ज्यादातर मुस्लिम-सुन्नी, मुजाहिद और दूसरे समुदाय को नहीं मानते हैं. इसके बावजूद भी ये संगठन राज्य के मुद्दों में लगातार दखत देता है. 

उन्होंने कहा कि भारत में, राजनीतिक इस्लामवादी और हिंदुत्व विचारक एक ही पंख के पक्षी हैं. भले ही वे एक-दूसरे का विरोध करते दिखें, लेकिन उन्होंने सहयोग की संभावनाएं तलाश ली हैं. उन्होंने दावा किया कि 2011 में वेलफेयर पार्टी ऑफ इंडिया के लॉन्च के दौरान - जमात-ए-इस्लामी द्वारा स्थापित राजनीतिक शाखा - इस कार्यक्रम में उपस्थित होने वाले एकमात्र गैर-संगठनात्मक व्यक्ति भाजपा अल्पसंख्यक मोर्चा के नेता डॉ जेके जैन थे . उन्होंने आरोप लगाया कि संगठन ने 2023 में आरएसएस के साथ चर्चा की थी. उदाहरण के तौर पर जम्मू-कश्मीर चुनावों का हवाला दिया जहां उन्होंने सीपीआई (एम) नेता मोहम्मद यूसुफ तारिगामी को हराने के लिए भाजपा और जमात-ए-इस्लामी के बीच सांठगांठ का आरोप लगाया, जो आखिरकार जीत गए.

मुख्यमंत्री विजयन ने कहा कि जहां कई इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग अनुयायी ऐसे गठबंधनों का विरोध करते हैं, वहीं यूडीएफ जमात-ए-इस्लामी और भाजपा दोनों को खुश करने का प्रयास कर रहा है. वे राज्य की शांति और धर्मनिरपेक्षता को गिरवी रखने की कोशिश कर रहे हैं. अन्य मुद्दों पर बात करते हुए उन्होंने कहा कि पिछले साढ़े नौ वर्षों में 10,000 करोड़ रुपये से अधिक खर्च करके केरल की सार्वजनिक वितरण प्रणाली को मजबूत किया गया है. धान खरीद को लेकर उन्होंने आरोप लगाया कि कुछ मिल मालिक जानबूझकर सरकार का सहयोग करने से इनकार कर रहे हैं.उन्होंने कहा कि नागरिक आपूर्ति निगम की देखरेख में खरीद सुनिश्चित करने के लिए पलक्कड़ में सहकारी समूहों को शामिल करने वाला एक नया मॉडल शुरू किया जाएगा.

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