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Brain Eating Amoeba: कितनी खतरनाक है यह बीमारी, केरल में ली 19 लोगों की जान

केरल में यह बीमारी पिछले कुछ वर्षों में बहुत तेजी से फैल रही है. सरकारी आंकड़ों के अनुसार, केरल में इस बीमारी के लगभग 69 मामले सामने आ चुके हैं, जिनमें से 18 लोगों की मौत हो गई है. राज्य में बढ़ते मामलों के बीच सरकार ने जांच को लेकर सख्ती बढ़ा दी है है.

Brain Eating Amoeba:  कितनी खतरनाक है यह बीमारी, केरल में ली 19 लोगों की जान
  • केरल में ब्रेन ईटिंग अमीबा नामक बीमारी से अब तक 19 लोगों की मौत हो चुकी है और संक्रमण तेजी से बढ़ रहा है
  • नेगलेरिया फाउलेरी नामक अमीबा दिमाग में सूजन और मेनिंगोएनसेफेलाइटिस जैसी घातक समस्या पैदा करता है
  • यह बीमारी मुख्यतः अशुद्ध पानी के सेवन या उसमें तैरने से फैलती है और इसका समय पर इलाज जरूरी है
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नई दिल्ली:

केरल में आई एक बीमारी ने सबको हैरान कर दिया है. दिमाग खाने वाले अमीबा नाम की इस बीमारी से अब तक 18 लोगों की मौत हो चुकी है. ब्रेन ईटिंग अमीबा के बढ़ते संक्रमण को देखते हुए नेशनल सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल और राज्य स्वास्थ्य विभाग ने अपनी निगरानी बढ़ा दी. पिछले एक महीने के अंदर इस बीमारी ने 7 लोगों  की जान ले ली है, जिसके बाद आम लोगों की चिंता बढ़ गई है. 

इसे नेगलेरिया फाउलेरी कहते हैं

इस बीमारी के बारे में बात करते हुए सर गंगाराम अस्पताल के न्यूरोलॉजी विभाग के वाइस चेयरपर्सन डॉ. अंशु रोहतगी ने कहा, "दिमाग खाने वाली बीमारी एक अमीबा होती है जिसे नेगलेरिया फाउलेरी कहते हैं. ये दिमाग के अंदर घुस कर दिमागी बुखार करता है, जिसको हम अमीबिक मेनिंगोएनसेफेलाइटिस कहते हैं. इस बीमारी के कारण मरीज को दौरे पड़ते हैं, बेहोशी आती है, मरीज कोमा में चला जाता है, पैरालिसिस हो जाता है और जान जाने का खतरा बढ़ जाता है. यह बीमारी बहुत खतरनाक होती है और अगर समय पर इलाज न किया जाए तो मृत्यु दर 100% तक है".

केरल में कुछ सालों से फैल रही है ये बीमारी

केरल में यह बीमारी पिछले कुछ वर्षों में बहुत तेजी से फैल रही है. सरकारी आंकड़ों के अनुसार, केरल में इस बीमारी के लगभग 69 मामले सामने आ चुके हैं, जिनमें से 18 लोगों की मौत हो गई है. राज्य में बढ़ते मामलों के बीच सरकार ने जांच को लेकर सख्ती बढ़ा दी है है.

शिशु से लेकर बुजुर्ग तक सबको है खतरा

केरल के स्वास्थ्य मंत्री वीना जॉर्ज ने कहा, "अब ये मामले पूरे राज्य में छिटपुट रूप से सामने आ रहे हैं, तीन महीने के शिशु से लेकर 91 साल के वृद्ध तक. सरकार ने हाई अलर्ट जारी किया है और सभी अस्पतालों को हर संदिग्ध मामले की सख्त जांच करने के निर्देश दिए हैं. केरल की 24 प्रतिशत जीवित रहने की दर वैश्विक औसत 3 प्रतिशत से कहीं बेहतर है, जिसका श्रेय समय पर डायग्नोसिस और मिल्टेफ़ोसिन दवा को जाता है".

नेगलेरिया फाउलेरी एक तरह का छोटा जीव

दरअसल, नेगलेरिया फाउलेरी एक तरह का छोटा जीव है, जो इंसान के दिमाग पर हमला कर सकता है. यह बहुत ही दुर्लभ लेकिन खतरनाक बीमारी है. इसमें यह अमीबा दिमाग की कोशिकाओं और टिश्यू को नष्ट करता जाता है, जिससे दिमाग में सूजन हो जाती है और बीमारी बहुत तेजी से फैलकर जानलेवा साबित हो सकती है.  इसी वजह से इसे आम भाषा में ब्रेन-ईटिंग अमीबा यानी दिमाग खाने वाला अमीबा कहा जाता है.

अशुद्ध पानी के सेवन से होती है ये बीमारी

नई दिल्ली स्थित एम्स के न्यूरोलॉजी विभाग की हेड डॉ. मंजरी त्रिपाठी ने कहा, "ये बहुत सीरियस इंफेक्शन होता है. इसका मुख्य कारण अशुद्ध पानी होता है. अगर आप अशुद्ध पानी में तैरते हैं या फिर अशुद्ध पानी का सेवन करते हैं तो इसमें ब्रेन ईटिंग अबीमा हो सकता है. यह बहुत खतरनाक होता है और बहुत सारे लोगों के बचने की उम्मीद कम होती है. इसीलिए लोगों को रुके हुए पानी में नहीं घुसना चाहिए."

14 से 18 दिन में जा सकती है मरीज की जान

ब्रेन ईटिंग अमीबा सुनने में जितना डरावना लगता है, असल में भी उतना ही खतरनाक है. यह बीमारी केवल चार से 14 या 18 दिन के अंदर मरीज की जान ले सकती है. सिरदर्द, बुखार, मतली और उल्टी आना इसके प्रारंभिक लक्षण हैं जिनके बाद गर्दन में अकड़न, भ्रम, दौरे, मतिभ्रम और आखिर में कोमा की स्थिति देखी जाती है. यह छूने से फैलती नहीं है लेकिन ये किसी भी उम्र के लोगों को हो सकती है. यही वजह है कि इसका समय पर पता चलना जरूरी है तभी इलाज हो सकता हो पायेगा.

सीएसएफ टेस्ट से किया जा सकता है डायग्नोसिस

डॉ. अंशु रोहतगी ने कहा, अगर बीमारी का टाइमली डायग्नोसिस कर लें और इसका डायग्नोसिस है सीएसएफ का टेस्ट. अगर जांच में इस अमीबा के बारे में पता चल जाए तो समय पर इसका इलाज किया जा सकता है. पहले लोग कहते थे कि इसकी मृत्यु दर 100% है, ऐसा नहीं है. केरल में जहां सबसे अधिक मामले सामने आ रहे हैं, वहां हाई इंडेक्स ऑफ सस्पिसन था, वहां जल्दी डायग्नोसिस कर जल्दी से इलाज किया गया. इस वजह से इस बीमारी की मोर्टालिटी काफी कम हो गई.

केरल में जून-जुलाई में दिखता था ये इंफेक्शन

केरल में आमतौर पर यह संक्रमण जून- जुलाई में देखने को मिलता था. लेकिन इस बार अगस्त और सितंबर में संक्रमण और मौत दर्ज की जा रही है. इसके पीछे की वजह जलवायु परिवर्तन है. दरअसल, इस बार केरल में मॉनसून समय से पहले पहुंचा और अभी तक बारिश का दौर जारी है. 2016 और 2022 के बीच, केरल में अमीबिक मेनिंगोएन्सेफलाइटिस के केवल आठ मामले सामने आए. लेकिन 2023 में, यह संख्या बढ़ गई. उस साल 36 संक्रमण के मामले मिले और नौ लोगों की मौतें हो गई. 

सालों से इस बीमारी के मामले आ रहे हैं सामने

भारत में ये बीमारी कोई नई नहीं है. कई सालों से इसके मामले सामने आते रहे हैं. हालांकि, हाल के वर्षों में इनकी संख्या थोड़ी बढ़ी है. इस बीमारी का दायरा केरल से बढ़कर अन्य राज्यों तक भी पहुंच चुका है. ICMR के मुताबिक, साल 2019 तक देश में इस बीमारी के 17 मामले सामने आए थे लेकिन कोरोना महामारी के बाद कई तरह के संक्रमणों में उछाल देखने को मिला है.

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