केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने कहा है कि केरल सरकार और उनके बीच कोई फर्क नहीं होता है. यह उनकी जिम्मेदारी है कि ऐसी कोई स्थिति न पहुंचे जहां पर संवैधानिक मशीनरी धराशायी हो जाए. आपको बता दें कि केरल की पी. विजयन सरकार ( CM Pinarayi Vijayan Govt) नागरिकता कानून (CAA) के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) का दरवाजा खटखटा चुकी है. CAA के खिलाफ SC पहुंचने वाला केरल पहला राज्य है. केरल सरकार ने इस कानून की वैधता को शीर्ष अदालत में चुनौती दी है. इस पर राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान (Arif Mohammad Khan) ने राज्य सरकार के प्रति नाराजगी जाहिर की है. उन्होंने कहा कि शिष्टाचार के नाते राज्य सरकार को कोर्ट जाने से पहले उनसे अनुमति लेनी चाहिए थी. सरकार के पास कोर्ट जाने का अधिकार है लेकिन पहले उन्हें राज्यपाल को इसकी जानकारी देनी चाहिए थी.
Arif Mohammad Khan, Kerala Governor on state Government: There are no differences between us. It is my responsibility to ensure that things do not reach a stage where there is a collapse of the constitutional machinery. pic.twitter.com/XPMfjmOZp5
— ANI (@ANI) January 17, 2020
राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने कहा, 'ये प्रोटोकॉल और तहजीब का उल्लंघन है. मैं इस पर गौर करूंगा कि क्या राज्य सरकार राज्यपाल की मंजूरी के बिना सुप्रीम कोर्ट जा सकती है. अगर मंजूरी नहीं तो वो मुझे सिर्फ जानकारी दे सकते थे. वो लोग सु्प्रीम कोर्ट गए हैं, मुझे इसपर कोई आपत्ति नहीं है लेकिन पहले उन्हें मुझे इसकी जानकारी जरूर देनी चाहिए थी. मैं संवैधानिक तौर पर प्रमुख हूं और मुझे इसके बारे में न्यूज पेपर से पता चलता है. जाहिर है, मैं सिर्फ एक रबर स्टैंप नहीं हूं.'
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बता दें कि केरल सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में दायर की गई अपनी याचिका में कहा है कि नागरिकता कानून संविधान के कई अनुच्छेदों का उल्लंघन है. यह समानता के अधिकार का भी उल्लंघन है. यह कानून संविधान में दर्ज धर्मनिरपेक्षता के मूल सिद्धांतों के खिलाफ है. राज्य सरकार ने 2015 में पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से गैर-मुस्लिम प्रवासियों के प्रवास को नियमित करने वाले पासपोर्ट कानून और विदेशियों (संशोधन) आदेश में 2015 में किए गए परिवर्तनों की वैधता को भी चुनौती दी है, जो 2015 से पहले भारत में प्रवेश कर चुके हैं. सुप्रीम कोर्ट में CAA के खिलाफ अभी तक 60 से ज्यादा याचिकाएं दाखिल की जा चुकी हैं. अदालत 22 जनवरी को इस मामले की सुनवाई करेगी. इसी महीने की शुरूआत में केरल सरकार ने विधानसभा में CAA के खिलाफ प्रस्ताव भी पारित किया है. राज्यपाल इस प्रस्ताव की वैधता को असंवैधानिक करार दे चुके हैं. उनका कहना है कि नागरिकता देने का अधिकार केंद्र सरकार के पास है न कि राज्य सरकार के पास.
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