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This Article is From May 28, 2020

केंट ने आटा गूंथने की मशीन के भेदभाव दिखाने वाले अपने विज्ञापन के लिए माफी मांगी

केंट ने अपने आटा और ब्रेड मेकर के विज्ञापन में लिखा था- क्या आप अपनी मेड को घर पर आटा गूंथने देते हैं? उनके हाथ इन्फेक्टेड हो सकते हैं

केंट ने आटा गूंथने की मशीन के भेदभाव दिखाने वाले अपने विज्ञापन के लिए माफी मांगी
केंट की आटा गूंथने वाली मशीन का विज्ञापन.
नई दिल्ली:

हेल्थकेयर कंपनी 'केंट आरओ सिस्टम्स' ने अपने विज्ञापन के लिए माफी मांगी है. उसके इस विज्ञापन में एक वर्ग को गंदा बताने पर उसकी सोशल मीडिया पर तीखी आलोचना की गई . केंट आरओ सिस्टम को उसके एक एड के लिए काफी ट्रोल किया गया. इसके बाद केंट ने ट्विटर पर माफी मांगी है. अपने इस विज्ञापन में केंट आरओ ने लिखा था, ''क्या आप अपनी मेड को घर पर आटा गूंथने देते हैं? उनके हाथ इन्फेक्टेड हो सकते हैं.'' केंट ने यह अपने आटा और ब्रेड मेकर के विज्ञापन में लिखा था. विज्ञापन में उपभोक्ताओं को बिना हाथ का इस्तेमाल किए आटा गूंथने वाली मशीन में इन्वेस्ट करने के लिए प्रेरित किया गया है.

केंट ने बुधवार को एक बयान जारी करते हुए माफी मांगी. इस बयान में चेयरमैन महेश गुप्ता ने लिखा, ''मैं केंट आटा और ब्रेड मेकर के विज्ञापन के लिए माफी मांगना चाहता हूं. यह अनजाने में लेकिन गलत तरीके से प्रसारित किया गया है और इसे वापस ले लिया गया है.'' उन्होंने आगे लिखा, ''हम सोसाइटी के सभी लोगों का सम्मान करते हैं और आपका समर्थन करते हैं.''

केंट द्वारा वापस लिया गया यह विज्ञापन ऐसे वक्त पर आया जब कोरोना महामारी के चलते देश भर में लॉकडाउन है. बंदिशों के कारण मार्च से घरेलू कामकाज करने वाले लोगों के पास काम नहीं है. ट्विटर पर कई लोगों ने घरेलू काम कारने वालों के हाथ गंदे होने के कंपनी के सुझाव को लेकर उसे आड़े हाथों लिया.

      
"एक वर्गभेदी तरीके से विज्ञापन बताता है कि केवल एक नौकरानी का हाथ ही गंदा हो सकता है." एक ट्विटर यूजर ने आटा गूंथने की मशीन के निर्माता के विज्ञापन का स्क्रीनशॉट साझा करते हुए लिखा, इसमें अभिनेत्री और ब्रांड एंबेसडर हेमा मालिनी हैं.

कई ट्विटर यूजर ने मानते हैं कि इस विज्ञापन में केवल भेदभाव दिखाया गया है को उन लोगों के प्रति है जो घरेलू काम में मदद करते हैं. राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में कई रेजिडेंट्स वेलफेयर एसोसिएशनों ने घरेलू काम करने वालों के प्रवेश पर प्रतिबंध लगा दिया है. उनका तर्क है कि वे कोरोन वायरस के संभावित वाहक हो सकते हैं क्योंकि वे घनी आबादी वाले समूहों में रहते हैं.

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