अरविंद केजरीवाल की तरफ से सुप्रीम कोर्ट में गिरफ्तारी को चुनौती देने वाली याचिका पर जवाब दाखिल किया गया है. सुप्रीम कोर्ट में दाखिल ईडी (ED) के हलफनामे पर ये जवाब दाखिल किया गया है. इसमें कहा गया है कि केजरीवाल की गिरफ्तारी सुप्रीम कोर्ट द्वारा दी गई व्यवस्था को नजरअंदाज करके की गई है. ईडी की तरफ से भेजे गए हर एक समन का विस्तार से जवाब दिया गया है. ईडी सिर्फ जांच में सहयोग नहीं करने का हवाला देकर गिरफ्तार नहीं कर सकती.
केजरीवाल की तरफ से दाखिल जवाब में कहा गया है कि जो दस्तावेज उनके पक्ष में आते हैं, उनको जानबूझकर कोर्ट के सामने ईडी ने नहीं रखा. जिन बयानों और सबूतों के आधार पर अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी हुई है वो 7 दिसंबर 2022 से लेकर 27 जुलाई 2023 तक के हैं. उसके बाद से कोई भी सबूत केजरीवाल के खिलाफ ईडी के पास नहीं हैं. ऐसे में इन पुराने सबूतों के आधार पर 21 मार्च को गिरफ्तारी की क्या जरूरत थी, ये समझ से परे है. 21 मार्च को गिरफ्तारी से पहले इन पुराने सबूतों पर सफाई को लेकर केजरीवाल का कोई बयान भी दर्ज नही किया गया.
अपने जवाब में केजरीवाल ने कहा कि ईडी ने जानबूझकर उन सह आरोपियों के उन बयानों को कोर्ट में नहीं रखा है, जिसमें केजरीवाल पर कोई आरोप नहीं लगाया गया था. ईडी का एकमात्र मकसद ये था कि केजरीवाल के खिलाफ कुछ बयानों को हासिल किया जाए, जैसे ही बयान मिले उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया. अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी अपने आप में एक बड़ा उदाहरण है कि कैसे केन्द्र सरकार ईडी जैसी एजेंसियों का दुरुपयोग कर अपने राजनीतिक विरोधियों को खत्म करने में लगी है.
इस बात का कोई सबूत नहीं है कि आप पार्टी को साउथ ग्रुप से धन या एडवांस में रिश्वत मिली. गोवा चुनाव प्रचार में उनका उपयोग करना तो दूर की बात है. आप पार्टी को एक भी रुपया नहीं मिला. ईडी द्वारा लगाए गए आरोप का कोई ठोस सबूत नहीं हैं. एक ईडी की तरफ से गवाह मगुंटा श्रीनिवास रेड्डी अब तेलुगू देशम पार्टी ज्वाइन कर चुका है, वो अब एनडीए का हिस्सा है.
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