कश्मीर के बडगाम में सेना के जवानों की गोलीबारी में दो कश्मीरी युवकों की मौत के बाद कश्मीर आग में जल उठा है। इन मासूम नागरिकों की मौत पर बवाल मचा हुआ है।
घटना के बाद अलगाववादियों को हालात बिगाड़ने का जो मौका मिला, उसके चलते कश्मीर के कई हिस्सों में जम कर हिंसा हुई है। कई जगह पथराव की घटनाएं भी हुई हैं। अब सवाल ये उठ रहा है कि क्या जम्मू कश्मीर में आई बाढ़ के दौरान सेना के बचाव अभियान से जो छवि बनी थी उसे बिगाड़ने की कोशिश जा रही है।
इसमें कोई दो राय नही कि चुनावी माहौल के बीच यह घटना हालात को बिगाड़ने का काम करेगी।
बडगाम में सेना की गोलीबारी में दो युवकों की मौत की घटना पर नौगांव क्षेत्र में आज सुरक्षाबलों और प्रदर्शनकारियों के बीच संघर्ष हुआ। पुलिस के मुताबिक दोनों मृतकों का अंतिम संस्कार करने के कुछ ही मिनट बाद युवकों के एक समूह ने कानून एवं व्यवस्था बनाये रखने के लिए तैनात पुलिसकर्मियों पर पत्थर फेंकना शुरू कर दिया।
लिहाजा, पुलिसकर्मियों ने प्रदर्शनकारियों को खदेड़ने के लिए आंसू गैस के गोले दागे लेकिन इलाके में रुक-रुक कर संघर्ष जारी रहा।
गौरतलब है कि कल शाम पांच बजे बडगाम जिले के छत्तरगाम इलाके में उस वक्त दो युवकों की मौत हो गई और दो अन्य घायल हो गए थे जब सैन्यकर्मियों ने गोली चला दी। बताया जा रहा है कि सुरक्षा बलों को सुचना मिली कि इलाके में आतंकी आ सकते है तो कई जगह नाके लगाए गए और जब छतरगाम के तीसरे पोस्ट पर भी नहीं रुकने पर सेना के जवानों ने कार पर गोलियां दाग दी। गोलीबारी में वाहन में सवार सभी चार लोग घायल हो गए थे।
बाद में दो लोगों की हालात बेहद गंभीर होने के बाद मौत हो गई। इस घटना से उग्र होकर आम नागरिक सड़कों पर उतर आए। इस घटना के लिए जिम्मेदार सुरक्षाबल के जवानों की गिरफतारी की मांग कर रहे हैं। इनका आरोप है कि सेना ने निर्दोष आम नागरिकों के वाहन पर गोलियां चलाई। रक्षा मंत्री अरूण जेटली ने अत्यंत खेदजनक घटना का वर्णन करते हुए कहा दोषियों के प्रति उचित कारवाही की जाएगी।
इसे लेकर सूबे के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने रक्षामंत्री अरुण जेटली से बात की। उमर ने ये भी कहा कि सुधरते सुरक्षा माहौल में इस तरह की घटनाओं की कोई जगह नहीं है जहां आतंकी घटनाओं में रिकॉर्ड कमी आई है। मुख्यमंत्री ने कहा कि मौतों से घाटी में चुनावी माहौल खराब हुआ है जहां बाढ़ के बाद लोगों के सामने खड़ी पुनर्निर्माण की चुनौती पहले से ही परेशानी का सबब बनी हुई है।
हालांकि सेना ने मौतों पर अफसोस जताते हुए दावा किया था कि कार में जा रहे युवक दो नाकों पर नहीं रुके और उन्होंने रुकने के लिए कहे जाने पर तीसरे बैरियर को भी तोड़ने की कोशिश की गई। तथ्यों का पता लगाने के लिए सेना ने कोर्ट ऑफ इंक्वायरी शुरू कर दी है और कहा है कि किसी भी दोष सामने आने पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
राज्य सरकार ने बडगाम की घटना को ‘अत्यंत अफसोसनाक’ करार दिया था और कहा था कि निष्पक्ष जांच कराई जाएगी तथा दोषी पाए जाने वालों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
लेकिन बड़ा सवाल यह है कि सेना ने जो कुछ भी कश्मीर में सितंबर माह में बाढ़ से आई आफत के दौरान लोगों को बचाने और सुरक्षित स्थानों पर ले जाने में जो काम किया और जिसमें भारतीय सेना की खूब वाहवाही भी हुई, अब वही लोग सेना के विरोध में उठ खड़े हुए हैं। जब सेना को पता था कि कश्मीर में एक चिंगारी माहौल पूरी तरह खराब हो सकता है तब जरूरी था कि ऐसा किसी समय पर बहुत सावधानी बरती जाती।
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