तमिलनाडु में दरगाह बनाम मंदिर का विवाद गरमाता जा रहा है. मंदिर की पहाड़ी के एक स्तंभ पर दीप जलाने की इजाजत देने वाले जज के खिलाफ महाभियोग के लिए विपक्षी सांसदों ने प्रस्ताव दिया है. दरअसल, थिरुपरनकुंदरम पहाड़ी भगवान मुरुगन के छह पवित्र आश्रयों अरुपदई वीडु में से एक है. इस पहाड़ी पर एक प्राचीन चट्टान काटकर बनाया गया गुफानुमा मंदिर बना है. यह तमिलनाडु भर के श्रद्धालुओं के लिए लंबे समय से एक तीर्थस्थल रहा है. इसके समीप दरगाह भी है. मंदिर और दरगाह की मात्र 3 किलोमीटर की दूरी को लेकर हिंदू और मुस्लिम समुदायों के बीच पहाड़ी पर अधिकार को लेकर तनाव होता रहा है. मंदिर और दरगाह ने 1920 में पहली बार पहाड़ी पर कानूनी अधिकार को लेकर चुनौती दी थी.
एक सिविल कोर्ट ने पहले फैसला दिया था कि दरगाह से जुड़े कुछ क्षेत्रों को छोड़कर यह पहाड़ी सुब्रमण्यस्वामी मंदिर (देवस्थानम) की है. इस फैसले ने पहाड़ी के स्वामित्व का निपटारा तो कर दिया, लेकिन इसमें रीति-रिवाजों, परंपराओं या दीपम की परंपरा का उल्लेख नहीं किया गया था.इसके बाद मंदिर के पवित्र स्तंभ में दीप (कार्थीगाई दीपम लैंप) जलाने की इजाजत देने वाला जस्टिस जीआर स्वामीनाथन का फैसला आया.
बीजेपी सांसद मनन कुमार मिश्रा ने मद्रास हाईकोर्ट के जस्टिस स्वामीनाथन के खिलाफ विपक्ष के महाभियोग नोटिस की आलोचना की. उन्होंने जस्टिस स्वामीनाथन के फैसले को सही ठहराया. उन्होंने कहा कि तमिलनाडु में चुनाव हैं, इसलिए डीएमके के लोग वोटों का ध्रुवीकरण करना चाहते हैं. उन्होंने कहा, मंदिर में दीप जलाने में क्या गलत है? कोर्ट ने कहा कि सुरक्षा होनी चाहिए, अनुमति होनी चाहिए. हर मामले को आप महाभियोग तक ले आएंगे तो यह मजाक बन जाएगा। तमिलनाडु में चुनाव हैं और ये लोग वोटों का ध्रुवीकरण करना चाहते हैं, लेकिन इससे कोई लाभ होने वाला नहीं है.
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