कर्नाटक में पिछले कई दिन से चला आ रहा राजनैतिक 'नाटक' अब अंतिम चरण में है, और जल्द ही पता चल जाएगा कि JDS-कांग्रेस की एच.डी. कुमारस्वामी सरकार बहुमत हासिल कर पाएगी या नहीं, क्योंकि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद JDS और कांग्रेस के बागी विधायकों को सदन की कार्यवाही में भाग लेने के लिए विवश नहीं किया जा सकता. गुरुवार को विश्वासमत प्रस्ताव पेश किया गया, लेकिन एच.डी. कुमारस्वामी ने विश्वासमत हासिल नहीं किया, और स्पीकर ने चर्चा जारी रखी. इसका विरोध करते हुए BJP ने राज्यपाल से गुहार की, जिन्होंने खत लिखकर मुख्यमंत्री से विश्वासमत की प्रक्रिया को गुरुवार को निपटाने के लिए कहा, लेकिन ऐसा नहीं किया गया, और शुक्रवार सुबह विधानसभा की कार्यवाही शुरू हो जाने के बावजूद कांग्रेस ने राज्यपाल द्वारा खत लिखे जाने के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाज़ा भी खटखटा दिया. बहरहाल, आप पढ़ें ऐसे पांच किस्से, जो सरकार गठन के लिए विभिन्न समय पर विभिन्न राज्यों में होते रहे हैं, और चर्चा में रहे.
उत्तराखंड में डेढ़ महीने से ज़्यादा चला था ड्रामा...
2016 में उत्तराखंड में कांग्रेस की हरीश रावत सरकार के खिलाफ कांग्रेस के ही नौ विधायकों ने बजट के समय विद्रोह कर दिया था, और फिर राज्यपाल ने हरीश रावत को 28 मार्च, 2016 को सदन में बहुमत साबित करने का निर्देश देने के बावजूद एक TV चैनल के स्टिंग ऑपरेशन को आधार बनाकर 27 मार्च को ही सरकार को बर्खास्त कर राष्ट्रपति शासन लागू कर दिया था. हरीश रावत नैनीताल हाईकोर्ट गए, जहां कहा गया कि सदन में कराया गया फ्लोर टेस्ट ही बहुमत या अल्पमत सिद्ध कर सकता है. केंद्र सरकार इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंच गई, जहां इसी फैसले की पुष्टि की गई. इसके बाद नौ बागियों को अयोग्य घोषित कर दिए जाने के कारण सुप्रीम कोर्ट द्वारा विश्वास मत के दौरान वोट डालने से रोक दिया गया, और 10 मई को हरीश रावत ने 61 में से 33 वोट हासिल कर विश्वासमत जीत लिया.
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उत्तर प्रदेश में बना था तीन दिन का मुख्यमंत्री...
BJP की कल्याण सिंह सरकार को उत्तर प्रदेश के राज्यपाल रोमेश भंडारी ने 21 फरवरी, 1998 को बर्खास्त कर दिया था, तो कांग्रेस नेता जगदम्बिका पाल मुख्यमंत्री बन गए थे, लेकिन कल्याण सिंह ने इलाहाबाद हाईकोर्ट का दरवाज़ा खटखटाया, जिसने 23 फरवरी, 1998 को ही कल्याण सिंह सरकार को बर्खास्त किए जाने को असंवैधानिक करार दिया, और कल्याण सिंह सरकार बहाल हो गई.
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सिर्फ आठ दिन में इस्तीफा देना पड़ा था नीतीश कुमार को...
बिहार में वर्ष 2000 में हुए विधानसभा चुनाव के बाद समता पार्टी के नीतीश कुमार को सरकार गठन का न्योता दिया गया, और उन्हें मुख्यमंत्री पद की शपथ दिला दी गई, लेकिन आठ ही दिन बाद उन्हें सदन में बहुमत साबित नहीं कर पाने की वजह से इस्तीफा देना पड़ा, और राष्ट्रीय जनता दल (RJD) की राबड़ी देवी मुख्यमंत्री बन गईं.
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सबसे विचित्र रहा है तमिलनाडु का किस्सा...
वर्ष 2016 में 5 दिसंबर को तमिलनाडु की पूर्व मुख्यमंत्री जयराम जयललिता की मृत्यु हो गई, और उनके स्थान पर मुख्यमंत्री की ज़िम्मेदारियां संभाल रहे ओ. पन्नीरसेल्वम को मुख्यमंत्री के रूप में पद एवं गोपनीयता की शपथ दिला दी गई. लेकिन जल्द ही जयललिता की पुरानी मित्र और सहयोगी शशिकला को ऑल इंडिया अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कषगम (AIADMK) का महासचिव नियुक्त कर दिया गया, और फरवरी में पन्नीरसेल्वम ने इस्तीफा दे दिया, ताकि शशिकला के मुख्यमंत्री बन जाने का रास्ता साफ हो जाए. लेकिन जब शशिकला सरकार गठन का दावा पेश करने वाली थीं, आधी रात को कार्यवाहक मुख्यमंत्री पन्नीरसेल्वम ने मीडिया के सामने आकर कहा कि दिवंगत जयललिता ने उन्हें सच्चाई बताने के लिए कहा है, और उन्हें इस्तीफा देने के लिए मजबूर किया गया था. इसके बाद शशिकला द्वारा दावा पेश करने के बावजूद राज्यपाल ने भ्रष्टाचार के मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले का इंतज़ार करना बेहतर समझा, और 14 फरवरी को दो दशक पुराने मामले में शशिकला को दोषी करार दे दिया गया. इसके बाद पार्टी के भीतर हुए समझौते के तहत ई. पलानीस्वामी को मुख्यमंत्री पद की शपथ दिला दी गई, जिन्होंने दिए गए समय से पहले ही बहुमत सिद्ध कर दिखा दिया.
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कर्नाटक में पहले भी हुआ है 'नाटक'...
इसी तरह का मामला कर्नाटक में भी हो चुका है, जब वर्ष 2018 के विधानसभा चुनाव के नतीजे 15 मई को घोषित हुए, तो 222 सीटों (दो सीटों पर चुनाव स्थगित कर दिया गया था) पर हुए चुनाव में तब तक सत्तारूढ़ रही कांग्रेस को सिर्फ 80 सीटें हासिल हुई थीं, जबकि BJP 104 सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी के रूप में सामने आई थी, लेकिन बहुमत से दूर थी. उधर, जनता दल सेक्युलर (JDS) को 37 सीटें मिली थीं, और उन्होंने कांग्रेस के साथ मिलकर गठबंधन बना लिया, जिसके पास अब 117 विधायक थे, जो बहुमत के आंकड़े से ज़्यादा थे, लेकिन राज्यपाल वजूभाई वाला ने 16 मई को सबसे बड़ी पार्टी होने के नाते BJP को सरकार गठन के लिए आमंत्रित किया, और 17 मई को बी.एस. येदियुरप्पा ने मुख्यमंत्री के रूप में पद एवं गोपनीयता की शपथ ले ली. उन्हें बहुमत सिद्ध करने के लिए 15 दिन का समय दिया गया था, लेकिन येदियुरप्पा ने 19 मई को ही फ्लोर टेस्ट का सामना किए बिना इस्तीफा दे दिया, और अंततः 23 मई, 2018 को कांग्रेस-JDS गठबंधन की सरकार के मुखिया के रूप में एच.डी. कुमारस्वामी ने शपथ ग्रहण की.
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