मैसूर में एक बस स्टॉप इसलिए चर्चा में था क्योंकि बीजेपी नेता को वो देखने में मस्जिद जैसा लग रहा था. जिसको लेकर भाजपा सांसद ने इसे गिराने की चेतावनी तक दे डाली थी. दरअसल बस स्टॉप पर तीन गुंबद थे. अब इसका एक वीडियो और फोटोज सामने आए हैं, जिसमें इसके नए लुक को देखा जा सकता है. राष्ट्रीय राजमार्ग-766 के केरल बॉर्डर-कोल्लेगला खंड पर बस स्टॉप पर अब केवल एक ही गुंबद दिख रहा है, जिसे लाल रंग से रंगा गया है. वहीं दो छोटे गुंबद जो पहले मौजूद थे, वो अब गायब है.
कर्नाटक के भाजपा सांसद प्रताप सिम्हा ने यह कहकर विवाद खड़ा कर दिया कि उन्होंने इंजीनियरों से "मस्जिद जैसी" संरचना को ध्वस्त करने के लिए कहा है, जिसे उनकी पार्टी के एक विधायक ने बनवाया था. उन्होंने कहा, "मैंने इसे सोशल मीडिया पर देखा है. बस स्टैंड में तीन गुंबद हैं, बीच में एक बड़ा और उसके बगल में दो छोटे हैं, जो कि एक मस्जिद है." उन्होंने यह भी दावा किया था कि मैसूर के अधिकांश हिस्सों में इस तरह के "गुंबद जैसे" ढांचे का निर्माण किया जा रहा था.
उन्होंने कहा था, "मैंने इंजीनियरों से कहा है कि वे तीन-चार दिनों में ढांचे को गिरा दें. अगर वे ऐसा नहीं करते हैं, तो मैं एक जेसीबी लूंगा और इसे गिरा दूंगा." उनके इस बयान की विपक्ष समेत कई लोगों ने विभाजनकारी बताकर आलोचना की थी. स्थानीय भाजपा विधायक राम दास, जिन्होंने बस स्टॉप का निर्माण किया. उन्होंने पहले अपने पार्टी सहयोगी की टिप्पणियों का खंडन किया और कहा कि ये बस शेल्टर डिजाइन मैसूर पैलेस से प्रेरित था.
इसके बाद में, दास ने स्थानीय लोगों को संबोधित एक पत्र में माफी मांगते हुए कहा कि उन्होंने "मैसूर की विरासत को ध्यान में रखते हुए बस स्टॉप को डिजाइन किया था." उन्होंने कहा, "लेकिन विचारों में मतभेद हो गया..इसलिए मैं दो गुंबदों को हटवा रहा हूं. अगर किसी की भावनाएं आहत हुई हैं तो मैं माफी चाहता हूं." आज सुबह, सिम्हा ने बस शेल्टर में किए गए बदलावों के बारे में खबर साझा की. उन्होंने उनकी चिंताओं को दूर करने के लिए भाजपा विधायक और जिला प्रशासन को भी धन्यवाद दिया.
इससे पहले, NHAI ने सिम्हा के ट्वीट को ध्यान में रखते हुए, मैसूर सिटी कॉरपोरेशन और कर्नाटक रूरल इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट लिमिटेड (KRIDL) को बस शेल्टर स्टॉप को हटाने के लिए नोटिस जारी किया था. यह दावा करते हुए कि "विवादास्पद प्रकार के मुद्दों" को प्राप्त करने के लिए संरचना का निर्माण किया गया था, राजमार्ग प्राधिकरण ने इसे हटाने के लिए एक सप्ताह का समय दिया. एनएचएआई ने कहा, "चूंकि इसने (संरचना) सांप्रदायिक मुद्दा विकसित किया है ... इसे नोटिस के रूप में माना जा सकता है, वरना राजमार्ग प्रशासन अधिनियम 2003 के अनुसार कार्रवाई शुरू की जाएगी."
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