- CM सिद्धारमैया और डिप्टी CM शिवकुमार के बीच सत्ता संघर्ष को सुलझाने के लिए आलाकमान ने हस्तक्षेप किया है
- आलाकमान के निर्देश पर सिद्धारमैया ने शिवकुमार को नाश्ते पर आमंत्रित किया है, ताकि मतभेदों पर चर्चा हो सके
- दोनों नेताओं के बयानबाजी से पार्टी के शीर्ष नेतृत्व ने नाराजगी जताई है और एकजुटता की मांग की है
कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया और उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार के बीच चल रही सत्ता की खींचतान जारी है. इस बीच, सूत्रों ने बताया है कि दोनों को कांग्रेस आलाकमान से इस मतभेद को सुलझाने के लिए फोन आया है. पार्टी के शीर्ष नेतृत्व के इशारे के बाद, सिद्धारमैया ने शिवकुमार को कल नाश्ते पर बैठक के लिए आमंत्रित किया है. शीर्ष नेताओं ने कथित तौर पर वरिष्ठ नेताओं की इस 'वाकयुद्ध' के लिए आलोचना भी की है.

गुरुवार को, शिवकुमार ने एक्स पर लिखा था, "अपनी बात पर कायम रहना दुनिया की सबसे बड़ी ताकत है! शब्दों की शक्ति ही विश्व शक्ति है. दुनिया की सबसे बड़ी ताकत अपनी बात पर कायम रहना है. चाहे जज हों, राष्ट्रपति हों या कोई और, चाहे मैं ही क्यों न हूं, सभी को अपनी बात पर चलना ही होगा. शब्दों की शक्ति ही विश्व शक्ति है."
सूत्रों ने एनडीटीवी को बताया कि सोशल मीडिया पर "शब्दों" का आदान-प्रदान भी शीर्ष नेताओं को रास नहीं आया. अब दोनों नेताओं को आने वाले दिनों में दिल्ली में होने वाली किसी भी बैठक से पहले एकजुटता दिखाने के लिए कहा गया है.
सिद्धारमैया का शिवकुमार को नाश्ते पर निमंत्रण
शुक्रवार शाम, मुख्यमंत्री ने कहा कि आलाकमान ने उन्हें इस मुद्दे पर चर्चा के लिए शिवकुमार से मिलने के लिए कहा है. इसलिए, मैंने उन्हें नाश्ते पर बुलाया है. जब वह नाश्ते पर आएंगे, तो हम इस पर चर्चा करेंगे.

वहीं डीके शिवकुमार ने अपनी ओर से कहा कि उन्हें कुछ नहीं चाहिए और उन्हें कोई जल्दी नहीं है. पार्टी कार्यकर्ता उत्सुक हो सकते हैं, लेकिन मुझे कोई जल्दी नहीं है. पार्टी सभी निर्णय लेगी.
अफवाहों वाला 'फ़ॉर्मूला'
2023 में, ऐसी खबरें आईं थी कि "रोटेशनल मुख्यमंत्री फ़ॉर्मूले" के आधार पर समझौता हो गया है, जिसके अनुसार शिवकुमार ढाई साल बाद मुख्यमंत्री बनेंगे, लेकिन पार्टी ने इसकी आधिकारिक पुष्टि नहीं की थी.

20 नवंबर को राज्य में कांग्रेस सरकार के पांच साल के कार्यकाल के आधे पड़ाव पर पहुंचने के बाद, इस महीने ये अफवाहें और तेज़ हो गईं. कई नेताओं, जाति समूहों और धार्मिक हस्तियों के सार्वजनिक बयानों के कारण ये अफवाहें सत्ता संघर्ष में बदल गईं. जब शिवकुमार से इस तथाकथित फ़ॉर्मूले के बारे में पूछा गया, तो उन्होंने सीधा जवाब देने से इनकार कर दिया और एक "गुप्त समझौते" का बात छेड़ दी.
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