Karnataka Elections: बेलगावी की 18 सीटों पर कांग्रेस-बीजेपी में कांटे की टक्कर, जानें सियासी समीकरण

कर्नाटक की बेलगावी जिले के 18 विधानसभा क्षेत्रों में 39.01 लाख मतदाता हैं. इनमें से 19 लाख 68 हजार 928 पुरुष मतदाता, 19 लाख 32 हजार 576 महिला मतदाता और 141 अन्य के रूप में रजिस्टर्ड हैं.

बेंगलुरु:

कर्नाटक में 10 मई को विधानसभा चुनाव (Karnataka Assembly Elections 2023) होने हैं. बेंगलुरु शहर के बाद कर्नाटक में सर्वाधिक विधानसभा सीट वाले बेलगावी (Belagavi Seat) जिले में स्थानीय मुद्दों की अपेक्षा लिंगायत राजनीति छाई रहती है. इसके कारण इस सीट पर भारतीय जनता पार्टी (BJP) और कांग्रेस के बीच कांटे की टक्कर देखने को मिल सकती है. हालांकि, सीमा संबंधी मुद्दों को उठाने की कोशिश कर रही महाराष्ट्र एकीकरण समिति (MES) कुछ सीटों पर इन दोनों दलों का खेल बिगाड़ सकती है.

बेलगावी जिले में 18 विधानसभा क्षेत्र
सीमावर्ती बेलगावी जिले में 18 विधानसभा क्षेत्र हैं. यह जिला लिंगायत समुदाय का मजबूत गढ़ है. पिछले दो दशक से बीजेपी का गढ़ रहा है. पिछले तीन चुनावों की तरह ही अधिकतर विधानसभा क्षेत्रों में बीजेपी और कांग्रेस के बीच सीधा मुकाबला होने की संभावना है. बेलगावी की 5 सीट पर शिवसेना-राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) समर्थित एमईएस उन्हें नुकसान पहुंचा सकती है. इन सीट पर एमईएस ने स्थानीय उम्मीदवारों को चुनावी मैदान में उतारा है. महाराष्ट्र एकीकरण समिति (MES) कर्नाटक की बेलगावी और अन्य मराठी भाषी इलाकों को महाराष्ट्र में शामिल किए जाने की समर्थक है.

येदियुरप्पा की वजह से मतदान में पड़ेगा असर
इसके अलावा बीएस येदियुरप्पा को दरकिनार करने के बाद लिंगायत समुदाय में पैदा हुई नेतृत्व की कमी भी मतदान में असर डाल सकती है. वहीं, सुरेश अंगड़ी और उमेश कट्टी जैसे कुछ प्रमुख स्थानीय लिंगायत बीजेपी नेताओं के निधन और अनुसूचित जनजाति समुदाय से संबंध रखने वाले जारकीहोली परिवार के बढ़ते दबदबे का असर भी मतदान पर पड़ने की संभावना है.

नाराज विधायक भी बिगाड़ सकते हैं खेल
आगामी विधानसभा चुनाव के लिए टिकट नहीं दिए जाने से नाराज तीन बार के विधायक और पूर्व उपमुख्यमंत्री लक्ष्मण सावदी सहित कई असंतुष्ट बीजेपी नेताओं के पार्टी छोड़ देने से बेलगामी में बीजेपी को कुछ नुकसान भी होने की आशंका जताई जा रही है.

सीमा संबंधी मुद्दों को भुनाने की होगी कोशिश
दूसरी ओर, एमईएस बेलगावी में सीमा संबंधी मुद्दों को जीवित रखने की भरसक कोशिश कर रही है. बेलगावी में मराठी भाषी जनसंख्या करीब 40 प्रतिशत है. उन पांच निर्वाचन क्षेत्रों में त्रिकोणीय मुकाबले से राष्ट्रीय दलों को नुकसान हो सकता है, जहां मराठी भाषी लोग बहुसंख्यक हैं.

पांच निर्वाचन क्षेत्रों में मराठों का वर्चस्व
इस जिले के पांच निर्वाचन क्षेत्रों में मराठों का वर्चस्व है, जबकि शेष 13 निर्वाचन क्षेत्रों में से अधिकतर में लिंगायत बहुसंख्यक हैं. इसके अलावा अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) और अनुसूचित जाति/ जनजाति (एससी/एसटी) की भी अच्छी खासी आबादी है. जिले में इन समूहों के लिए दो सीट आरक्षित हैं. इस जिले में कई निर्वाचित प्रतिनिधि चीनी के व्यापारी हैं. तीन शक्तिशाली राजनीतिक परिवार - जारकीहोली, जोले और खट्टी- का अच्छा खासा प्रभाव है.

जारकीहोली परिवार के सदस्य भी लड़ रहे चुनाव
जारकीहोली परिवार से रमेश जारकीहोली गोकक और बालचंद्र जारकीहोली अराभवी विधानसभा क्षेत्रों से बीजेपी के टिकट पर चुनावी मैदान में उतरे हैं. इस परिवार के एक अन्य सदस्य सतीश जारकीहोली यमकनमर्दी सीट से कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं.

जोले परिवार में मैदान में
एक अन्य प्रमुख परिवार जोले है, जिसका प्रतिनिधित्व वर्तमान मुजराई (धार्मिक और धर्मार्थ बंदोबस्ती) मंत्री शशिकला जोले करती हैं. वह निप्पनी निर्वाचन क्षेत्र से बीजेपी के टिकट पर चुनाव लड़ रही हैं. उनके पति अन्ना साहब जोले बेलगावी जिले के चिकोडी से भाजपा के लोकसभा सदस्य हैं.

खट्टी परिवार भी चुनाव में आजमा रहा किस्मत
वहीं, खट्टी परिवार से, रमेश खट्टी चिकोड़ी -सदलगा सीट से बीजेपी के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं, जबकि उनके भतीजे निखिल खट्टी अपने पिता उमेश खट्टी के असामयिक निधन के बाद हुक्केरी विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ रहे हैं. उमेश खट्टी आठ बार विधायक और छह बार मंत्री रहे थे.

आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, बेलगावी जिले के 18 विधानसभा क्षेत्रों में 39.01 लाख मतदाता हैं, जिनमें से 19,68,928 पुरुष मतदाता, 19,32,576 महिला मतदाता और 141 अन्य के रूप में रजिस्टर्ड हैं. इससे पहले, 2018 के चुनावों में बीजेपी ने 10 और कांग्रेस ने आठ सीट पर जीत हासिल की थी, लेकिन कांग्रेस के तीन विजयी नेता बाद में बीजेपी में शामिल हो गए थे.

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